नवरात्री पर ऐसे करें उपवास
नवरात्री शक्ति का पर्व है, और अपने भीतर की शक्ति अर्थात ऊर्जा को जगाने के लिए ही उपवास किये जाते हैं।
प्राचीन काल से ऐसी परंपरा है की ऋतुओं के बदलने पर नवरात्री के उपवास किये जाते हैं, ताकि हमारा शरीर नए ऋतु के भोजन के लिए खुद को तैयार कर सके एवं डिटॉक्स कर सके। अतः अपने शरीर को डिटॉक्स करने एवं नयी ऊर्जा का संचार करने के लिए नवरात्र के उपवास उत्तम है। और इससे ही हमारे भीतर के असुर रूपी अवगुणों को परास्त करने शक्ति का प्रादुर्भाव होता है। लेकिन आज कल सही समझ न होने के कारण कई लोग तला भुना आलू, चिप्स, फलाहारी पुड़ी पकोड़े खाकर इस डिटॉक्स कार्य को बाधा पहुँचाते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे करें उपवास -
प्रथम तीन दिन -
केवल मीठे फलों का ही सेवन करें जैसे सेव, केला,चीकू, पपीता, मीठे अंगूर आदि।
आप आमला का रस, लौकी का जूस, नारियल डाब पानी भी पी सकते हैं।
अगले तीन दिन -
केवल एक समय नवरात्री पारम्परिक फलाहार जैसे साबूदाना, सिंघाड़ा, राजगिरा, कुदु आदि के बने भोजन ले सकते हैं।
बाकी दिन भर फलों का जूस, छाछ, दूध आदि का सेवन कर सकते हैं।
अंतिम तीन दिन -
आप पारम्परिक नवरात्रि भोजन दोनों समय कर सकते हैं
यह विशेष डाइट केवल स्वस्थ लोगों ले लिए है। अगर आप किस अन्य स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या से ग्रसित हों तो अपने अनुसार इसमें फेरबदल कर सकते हैं।
यह आहार हमारे पित्त को शांत करता है, क्यूँकि यह स्वाभाविक है की इस मौसम में हमारे शरीर में पित्त दोष उत्पन्न हो।
सेंधा नमक का ही प्रयोग करें, तले भोजन से बचें, सात्विकता के लिए प्याज- लहसुन से भी परहेज़ करें।
साबूदाना वड़ा, कुट्टू पकौड़ा, सिंघाड़ा बर्फी, खीर आप आठवें दिन से ले सकते हैं।
यह पोस्ट वरिष्ठ आयुर्वेदिक वैद्य एवं आहार विशेषज्ञों से परामर्श करके ही लिखा गया है।
-हरीश शादीजा