बप्पी लहरी की सफलता का वो राज जिसकी बदौलत तीन साल में ही बना ली बॉलीवुड में अपनी जगह...
बॉलीवुड समाचार
बप्पी लहरी के बारे में कहा जाता है कि वो उन गायकों में से एक हैं जिन्होंने भारत में डिस्को को प्रचलन में लाया। उनके निधन से फ़िल्म संगीत के 'पॉप-डिस्को संगीत' के एक युग का अब अंत हो गया है।बप्पी लहरी की फ़िल्म संगीत में शुरुआत 1973 में हुई तब लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल, कल्याणजी आनंद जी और आरडी बर्मन जैसे कई दिग्गज संगीतकारों की धूम थी।लेकिन बप्पी लहरी ने दिग्गज संगीतकारों के बीच भी सिर्फ़ तीन साल में ऐसी जगह बना ली जो 48 साल तक अनवरत चलते रहा।इसके पीछे भी कुछ वजह थी जिसे जानना जरूरी है।
असल में बप्पी लहरी की सफलता के चार खास कारण थे। जिसे हर कोई कलाकार अपने अंदर नहीं ला सकता। एक तो यह कि वह युवाओं की नब्ज़ बहुत अच्छे से समझ रहे थे, दूसरा वह फटाफट धुनें बनाते थे। तीसरा उनका अदभुत व्यवहार जिससे बड़े गायक-गायिकाएं बप्पी दा की प्रतिभा और व्यवहार के कायल थे। किशोर कुमार तो उनके मामा ही लगते थे इसलिए उनके साथ काम करने के लिए कोई भी सिंगर झट से हां कर देता था। चौथा कारण ये था कि वह तब अन्य संगीत निर्देशकों की तुलना में पैसे कम लेते थे।वे कभी-कभी इस शर्त पर भी काम करने को तैयार हो जाते थे कि यदि फ़िल्म हिट हो जाए तो बाकी पैसे बाद में दे देना इसलिए तब बप्पी दा को 'ग़रीब फिल्म निर्माताओं का आरडी बर्मन' कहा जाने लगा था।
पर बप्पी दा की सफलता की इससे भी बड़ी कहानी 1980 के दशक में तब लिखी गई, जब 1982 में 'डिस्को डांसर' रिलीज हुई। यही वह फिल्म है जिसने बप्पी लहरी युग का शुरूआत हुआ। विजय बेनेडिक्ट का गाया -आय एम डिस्को डांसर, पार्वती खान का गया -जिमी जिमी, उषा उत्थुप का गाया -कोई यहां नाचे नाचे, सुरेश वाडेकर-उषा मंगेशकर का -गोरों की ना कालों की और बप्पी का गाया 'याद आ रहा है तेरा प्यार', फिल्म के ऐसे गीत थे जिनसे फिल्म संगीत की हवा ही बदल गई। इस फिल्म ने बप्पी लहरी को सफलता की उस लोकप्रियता की शिखर तक पहुंचा दिया की लोगों के जेहन में शिर्फ़ बप्पी दा ही दिखाई देने लगे, साथ ही, फिल्म के नायक मिथुन चक्रवर्ती इसी फिल्म से बॉलीवुड के रॉक स्टार बन गए, बप्पी दा की तरह मिथुन भी तब गरीब फ़िल्मकारों के अमिताभ बच्चन कहे जाने लगे।बप्पी दा संगीत में इस कदर तेजी ला दी थी कि 1986 में बप्पी लहरी ने 33 फिल्मों के 180 गीत रिकॉर्ड्स करके अपना नाम 'गिनीज़ बुक ऑफ रिकॉर्डस' में दर्ज करा लिया था।
बप्पी लहरी ने मई 2014 में राजनीति में भी आने की कोशिश की थी। वह 2014 में बीजेपी में शामिल हुए थे। तब लहरी ने कहा था कि देश में नरेंद्र मोदी की लहर है। 2004 में लहरी ने कांग्रेस के लिए भी कैंपेन किया था। उन्होंने बीजेपी में शामिल होते हुए कहा था कि 10 साल पहले कांग्रेस की लहर थी।2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बप्पी लाहिड़ी को हुगली ज़िले के श्रीरामपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार भी बनाया था लेकिन वह चुनाव हार गए थे। मंगलवार की रात बप्पी लहरी को जुहू के क्रिटी केयर हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। समाचार एजेंसी पीटीआई से अस्पताल के निदेशक डॉक्टर दीपक नामजोशी ने कहा था, ''बप्पी लहरी पिछले एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे और उन्हें इसी सोमवार को डिस्चार्ज किया गया था। लेकिन मंगलवार रात फिर से उनकी तबीयत बिगड़ गई। वह कई समस्याओं से जूझ रहे थे। उनकी मौत मंगलवार को आधी रात से ठीक पहले ओएसए (ऑब्सट्रक्टिव स्लीप ऐप्निया) से हुई है।'' और आज उनका अंतिम सफर खत्म हो गया।