10 अक्टूबर "विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस" विशेष
मानव मन व् इसकी वृत्तियाँ बहुत ही रहस्यमयी हैं। हम वास्तव में २ तरह के जगत में रहते हैं। एक बाहर का जगत है जिसको हम शरीर से उपभोग करते हैं, जिसमें हम देखते, खाते पीते, मिलते हैं, पांचों इन्द्रियों से कार्य करते हैं।
दूसरा हमारे भीतर का जगत है, हमारा मन जिसका प्रतिनिधित्व करता है। जिसमे हम सोचते समझते हैं, सुख दुःख, इच्छायें, वासनायें, प्रेम ,करुणा, घृणा, ग्लानि क्रोध आदि भावनायें, सही गलत पसंद नापसंद आदि का निर्णय, अहंकार आदि इसी भीतर जगत के कार्य हैं।
जीवन को समझने और रसपूर्ण बनाने के लिए दोनों जगत में तालमेल महत्वपूर्ण है, और इसके लिए भी शरीर और मन स्वस्थ रहें यह आवश्यक है।
प्रायः हम सभी शारीरिक स्वास्थ के प्रति हमारी जिम्मेदारी निभाते ही हैं लेकिन उससे भी अधिक महत्वपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सजग होना हमारी आदत में नहीं। एक कमज़ोर मन मजबूत शरीर को नहीं संभाल सकता लेकिन एक मजबूत मन कमज़ोर शरीर को सहारा दे सकता है। और अब इस कोविड 19 के समय में सब इम्युनिटी की बात कर रहे और इसके लिए बाजार में हज़ारों इम्युनिटी बूस्टर उत्पाद उपलब्ध हैं। परन्तु इनसे मानसिक स्वास्थ्य तो बेहतर नहीं किया जा सकता
मानसिक स्वास्थ्य का हमारी इम्युनिटी पर 50% प्रभाव पड़ता है। जब हम तनावग्रस्त होते हैं, मानसिक अवसाद से ग्रसित होते हैं हमारे भीतर रोग प्रतिरोधक क्षमता भी क्षीण होती है। हमारे भीतर अत्यधिक ऊर्जा का पुंज है, वैज्ञानिक कहते हैं अगर हमारी ऊर्जा को इलेक्ट्रिक एनर्जी में परिवर्तित करें तो लंदन जैसे शहर को ५०० सालों तक बिजली उपलब्ध हो सकती है। किन्तु अपनी तनावपूर्ण जीवनशैली और बदलते परिवेश के कारण हम अपनी सजगता खो बैठे हैं। इसलिए अगर हम अंतर्मुखी होने का प्रयत्न करें तो उस असीम ऊर्जा के स्रोत को पहचान सकते हैं। किसी भी रोग में अगर हम मन में दृढ़ता लाते हैं की हम स्वस्थ हो जायेंगे तो चिकित्सक द्वारा दिया गया उपचार दुगना प्रभावशाली हो जाता है।
इसके लिए तनाव, चिंता, अवसाद को हमें जीवन से अनिवार्य रूप से खत्म करना ही चाहिए। दुनिया में लगभग 275 मिलियन लोग चिंता से ग्रसित हैं। जब हम ऐसी किसी तनावपूर्ण स्थिति का सामना करते हैं तो हमारा मस्तिष्क प्राथमिक तनाव हार्मोन कॉर्टिसोल जारी कर देता है और यह कोर्टिसोल हमारे पाचन, प्रतिरक्षा और नींद सहित शरीर में लगभग सभी आवश्यक प्रक्रियाओं बाधित कर सकता है। इसलिए हमें हमेशा ही मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सजग होना चाहिए। इसके लिए विभिन्न तरीकों से जीवन को आयाम देना चाहिए
योग, ध्यान, प्राणायाम और कुछ श्वांस प्रक्रिआ मानसिक स्वास्थ्य में सबसे कारगर साबित होती हैं। इससे मन की शांति के साथ साथ ऊर्जा स्तर में बढ़ोत्तरी, तीक्ष्ण बुद्धि, बेहतर निर्णय क्षमता का विकास, आपसी रिश्तों में मधुरता, क्रोध पर नियंत्रण और सकारात्मक विचार भी प्राप्त होते हैं।
प्राकृतिक स्थानों का भ्रमण, - दैनिक दिनचर्या से कुछ समय का विश्राम आपको फिर से उमंग और ताजगी से भर देता है। प्रकृति के संग होने से हमें हमारे सच्चे स्वाभाव का आत्मबोध होता है।
अच्छी पुस्तकें पढ़िये - पुस्तकों को हमेशा ही व्यक्ति का अच्छा मित्र कहा गया है। इनसे हमें व्यवाहरिक ज्ञान और बुद्धि को विकसित करने का अवसर प्राप्त होता है। अच्छी किताबों से सकारात्मक विचार आते हैं और यही विचार सकारात्मक कार्य करने के स्रोत बनते हैं।
समाज के उपेक्षित तबके की सेवा करिये - कभी कभी समय निकाल कर बालश्रम, वृद्धाश्रम, मुकबधीर बच्चों अथवा गरीब बस्ती में आकर उनके साथ समय बिताएं। इससे हमारी व्यक्तिगत परेशानियों के प्रति हमें मजबूती मिलती है। दया, करुणा, उदारता जैसे मानवीय मूल्य भी खिलते हैं।
पसंदीदा संगीत सुनिये , रसायनमुक्त आहार लीजिये और दोस्तों के साथ सकारात्मक चर्चा करिये , प्रसन्नचित्त मन को जीवन में स्थान देना आवश्यक है। मन से प्रसन्न व्यक्ति ही दूसरों को प्रसन्न कर सकता है। और इसी तरह कई प्रसन्न मन मिल कर खुशहाल समाज का निर्माण करते हैं।
हरीश शादीजा
योग ध्यान प्रशिक्षक
आर्ट ऑफ़ लिविंग