छत्तीसगढ़ के विभिन्न जगहों में लगातार हाथियों के मौत पर पूर्व केबिनेट मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा, जब वन अमला इसकी निगरानी अब करेगी तो पहले कौन कर रहा था?
छत्तीसगढ़ के विभिन्न जगहों में लगातार हाथियों के मौत पर पूर्व केबिनेट मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा, जब वन अमला इसकी निगरानी अब करेगी तो पहले कौन कर रहा था?
रायपुर, छत्तीसगढ़ में हाथियों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसे लेकर कल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने निवास में उच्चस्तरीय बैठक बुलाई थी, तब तक 5 हाथियों की मौत हो चुकी थी, इसे लेकर चिंता व्यक्त की गई और बैठक में तय किया गया कि हाथियों के लगातार मौत पर अब वन अमला निगरानी करेगा। इसके तुरंत बाद पूर्व केबिनेट मंत्री व भाजपा के तेजतर्रार नेता अजय चंद्राकर जो लगातार इस मामले को लगातार उठाते आ रहे हैं ने ट्वीट कर सवाल किया है,कि तो अब तक कौन कर रहा था निगरानी...?
डॉ.रमन सरकार में कद्दावर मंत्री रहे अजय चंद्राकर जो समय- समय पर भूपेश सरकार को कई मौके पर घेरते रहे हैं ने कहा है आपकी उच्चस्तरीय बैठक के बाद छठे हाथी की मौत.....! इस रफ्तार में तो प्रदेश में कोई हाथी नहीं बचेगा.....और उन्होंने इस बात पर सवाल उठाया है कि जब अब वन अमला इसकी निगरानी करेगा तो कल तक इसकी निगरानी कौन कर रहा था?
ज्ञातव्य हो कि छत्तीसगढ़ में हाथियों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है, एक बार फिर रायगढ़ में देर रात एक दंतैल हाथी की मौत हो गई। हाथी का शव सुबह छाल रेंज के बेहरामार गांव में मिला। सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। हालांकि हाथी की मौत का कारण अभी स्पष्ट नहीं है। धरमजयगढ़ क्षेत्र में तीन दिन के दौरान यह दूसरी हाथी की मौत है। वहीं छत्तीसगढ़ में 8 दिनों में अब तक 6 हाथियों की मौत हो चुकी है। इस पूरे मामले में कई लापरवाही के कारण भी शिकार हुए हैं। इसमें वन विभाग के साथ-साथ विद्युत विभाग और अराजक तत्वों की भी मिलीभगत सामने आई है बताया जा रहा है।
सूरजपुर के प्रतापपुर में 9 और 10 जून को एक गर्भवती हथिनी सहित 2 मादा हाथियों की मौत हुई। बलरामपुर में अतौरी के जंगल में 11 जून को 1 हाथिनी की मौत धमतरी में माडमसिल्ली के जंगल में कीचड़ में फंसने और सांस रुक जाने से 15 जून को एक हाथी के बच्चे की मौत। रायगढ़ के धरमजयगढ़ में 16 और 18 जून को 2 हाथियों की मौत ने हिला कर रख दिया है।अब देखना होगा कि छत्तीसगढ़ सरकार इसे रोकने क्या जो कदम उठाने जा रही है, उसमें कहाँ तक सफलता मिलती है।