मोहन मरकाम देश के सबसे सफलतम प्रदेश अध्यक्ष,पार्टी को लगातार जीत दिलाने का रिकॉर्ड कांग्रेस हाईकमान की नजर में मरकाम का कद बढ़ा

मोहन मरकाम देश के सबसे सफलतम प्रदेश अध्यक्ष,पार्टी को लगातार जीत दिलाने का रिकॉर्ड कांग्रेस हाईकमान की नजर में मरकाम का कद बढ़ा

नई दिल्ली डेस्क। सामान्यतः देखा ये जाता है कि प्रदेश में जिस पार्टी की सत्ता है वह पार्टी सांगठनिक रूप से कमजोर हो जाती है।परंतु छत्तीसगढ़ में इसके ठीक उलट मोहन मरकाम इस मिथक को तोड़ते हुए अपनी सक्रियता के दम पर कांग्रेस को और भी मजबूत किया है।बल्कि यह कहना अतिश्योक्ति न होगा कि वे देश के सबसे सफलतम अध्यक्ष में से एक बन गए हैं।

साल 2018 में कांग्रेस जब छत्तीसगढ़ में 15 वर्षों के बाद भारी बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करि तो यह माना जा रहा था कि इसके ठीक एक साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में भी पार्टी अप्रत्याशित जीत हासिल करेगी ।परंतु ऐसा नहीं हुआ और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को कुल 11 लोकसभा सीट में से महज 2 सीट पर ही संतुष्ट होना पड़ा।इसके बाद राहुल गांधी ने काफी मंथन के बाद मोहन मरकाम को पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी और शुरू हुआ मोहन युग का जहां असफलता के लिए उन्होंने कोई जगह ही नहीं छोड़ी।

उनके कार्यकाल में जितने भी चुनाव हुए कांग्रेस को एकतरफा जीत मिलते गई। यह भी की मोहन मरकाम के अध्यक्षीय काल में ही कुल चार विधानसभा के उपचुनाव लड़े गए और चारों सीट पर कांग्रेस की जीत हुई।इसमें खैरागढ़ के सीट की जीत ने तो मरकाम के कद को हाईकमान की नजर में और भी बढ़ा दिया है। वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा संगठतनात्मक रूप से और भी कमजोर होते नजर आ रही है।पार्टी नेताओं में एकजुटता महज एक दिखावा बन कर रह गई है।

माह भर पहले हुए देश के विभिन्न पांच राज्यों में  विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था।तब पार्टी हाईकमान ने उन पांचों राज्यों के अध्यक्षों से इस्तीफा ले लिया था।इसका सीधा सा अर्थ था कि जब भी कोई चुनाव लड़ी जाती है तो जवाबदेही पार्टी अध्यक्ष की होती है। गौर करने वाली बात है कि उन पांच राज्यों में पंजाब राज्य भी सम्मिलित था जहां कांग्रेस की सरकार थी और मुख्यमंत्री चन्नी थे बावजूद नवजोत सिंह सिध्धु से इस्तीफा मांगा गया। इसलिए कि यहां भी जिम्मेदारी पार्टी अध्यक्ष की थी। ठीक इसी तरह छत्तीसगढ़ में भी जितने चुनाव लड़े गए उसे जिताने की जिम्मेदारी पार्टी अध्यक्ष मरकाम की थी और वे इसमें अभूतपूर्व सफलता हासिल की है। देखा जाए तो छत्तीसगढ़ कांग्रेस की राजनीति में मोहन मरकाम का नाम उस सूची में दर्ज हो गया है, जो सबसे ज्यादा चुनाव जिताने की काबिलियत रखते हैं।

तेजी से उभरा यह नाम अब पार्टी हाईकमान की नजर में आ गया है और मोहन मरकाम का कद अचानक से बढ़ गया है।मोहन मरकाम  प्रदेश कांग्रेस में अभी तक के हुए एकलौते अध्यक्ष हैं,जो संगठन को मजबूती के शिखर पर ले जाने भी सफल हुए हैं। छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में डिजिटल सदस्यता में भी रिकॉर्ड 13 लाख से भी ज्यादा सदस्य बना कर साबित कर दिया है कि उनके लिए संगठन सर्वोपरि है। 

मोहन मरकाम के अध्यक्षीय कार्यकाल में जितने भी चुनाव हुए जितनी सफलता कांग्रेस पार्टी को मिली,उतनी आज तक किसी और के कार्यकाल में किसी और अध्यक्ष को नहीं मिला चाहे नगरी निकाय का चुनाव हो,पंचायत चुनाव, कांग्रेस पार्टी को एकतरफा जीत मिली है। प्रदेश में हुए 4 विधानसभा के उप चुनाव में 100% जीत मोहन मरकाम के कार्यकाल में ही सम्भव हो पाया है। मोहन मरकाम के लिए यह सब कर पाने की वजह भी है। संगठन को मजबूत करने वे लगातार प्रदेश के कोने-कोने तक दौरा करते हैं। कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखने उनका मनोबल बढ़ाते रहते हैं। सरकार की योजनाओं का प्रचार करते हैं।इसलिए कि वे इस बात को भली भांति जानते हैं कि संगठन है तो सत्ता है,वरना देश में अन्य राज्यों का हाल किसी से छुपा नहीं है कि वहां पार्टी संगठन की क्या स्थिति है। मरकाम जितना मेहनत कराते हैं उतना ही संगठन के व्यक्तियों को महत्व भी देते हैं। कभी युवा कांग्रेस के कार्यक्रम में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं तो कभी पार्टी के अन्य प्रकोष्ठ में। यही वजह है कि प्रदेश युवा कांग्रेस अपने बैनर पर ही लगभग 2 लाख सदस्य बना कर मरकाम की छोली में डाल दिया।

छत्तीसगढ़ में बस्तर अंचल कोडागांव से दो बार के विधायक मोहन मरकाम बहुत ही सरल सहज हैं और पार्टी के सभी सीनियर नेताओं से उनके अच्छे संबंध हैं। हालांकि,कहा जाता है टीएस सिंहदेव से उनकी नजदीकियां अधिक है। मोहन मरकाम 2013 और 2018 में लगातार दो बार के विधायक हैं। उन्होंने लता उसेंडी को हराया। मोहन मरकाम दो महीने शिक्षाकर्मी रहे तो लंबे अरसे तक एलआईसी के विकास अधिकारी भी। 54 वर्षीय मोहन मरकाम पार्टी अध्यक्ष बनने के पहले संगठन में कई जवाबदेही संभाल चुके हैं,ब्लाक अध्यक्ष से लेकर एआईसीसी का हिस्सा भी रह चुके हैं। पार्टी में अनुशासन प्रिय मोहन मरकाम जरूरत पड़ी तो पार्टी लाइन से बाहर बयानबाजी करने वाले नेताओं को भी गंभीरता से लिया और उसका दोटूक जवाब दिया। मरवाही उपचुनाव प्रचार के दौरान कहा था,कि संगठन सब कुछ देख और सुन रहा है कि कौन क्या कह रहा है। इसके बाद कई कांग्रेसी नेताओं के बयान आना बंद हो गए थे।