छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने आंदोलन के लिए आखिर थूक को माध्यम क्यों बनाया?

छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने आंदोलन के लिए आखिर थूक को माध्यम क्यों बनाया?

रायपुर (छत्तीसगढ़)| भारत में थूक से लाल हुई दीवारें और सड़कें बहुत सामान्य बात है।कई बार सामान्य पीक, कभी पान-गुटका-सुपारी खाकर थूकी गई पीक दीवारों और भवनों की शोभा बढ़ाते दिखते हैं।पर अब ये सिर्फ़ दीवारों और सड़कों तक सीमित नहीं है। बल्कि इस थूक को अब आंदोलन के रूप में भी उपयोग किया जाने लगा है।छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के प्रदेश प्रमुख अमित बघेल ने बताया कि छत्तीसगढ़ की महिला पुलिसकर्मियों के सामने पूर्व मंत्री मूणत ने अश्लील भाषा, गालियों का प्रयोग किया ये ठीक नहीं है। हम इसका विरोध करेंगे और विरोध भी ऐसा की हम रैली के रूप में मूणत के बंगले में जाकर थूकेंगे। इसे "जबर थूकव" आंदोलन नाम दिया गया है।

आखिर पूर्व मंत्री राजेश मूणत का क्यों हो रहा है विरोध:

दरअसल 5 फरवरी को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को काला झंडा दिखाने आए कांग्रेसियों और मूणत समर्थकों में मारपीट हुई थी। पुलिस आई तो मूणत ने सिटी एसपी से कहा कि हमने 15 साल राज किया है कोई....(खाली स्थान पर अपशब्द)। इसके बाद मूणत का इसी दिन का एक और वीडियो सामने आया उसमें वो पुलिस पर बरसते हुए कह रहे हैं इन ..... की हिम्मत कैसे हुए यहां आकर काला झंडा दिखाने की।

इसके बाद मूणत को दिन भर विधानसभा थाने लाकर हिरासत में रखा गया। वहां मूणत ने एक वीडियो बनाकर दावा किया कि पुलिस ने उनके साथ मारपीट की है। शाम को डॉ रमन सिंह, बृजमोहन अग्रवाल समेत भाजपा का हर बड़ा नेता थाने पहुंचकर धरना देने लगा। बाद में मामला शांत हुआ अब भाजपा इसे कांग्रेस और पुलिस की दमनकारी नीति बताकर जल्द ही रायपुर में बड़े आंदोलन की तैयारी में है।इसके पहले आज शुक्रवार को छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने धरना दे कर एलान किया है कि वे रैली निकाल कर मूणत के बंगले में जाकर थूकेंगे।

आंदोलन का ये संदेश ज़्यादा से ज़्यादा लोगों के कानों तक पहुंचे इसके लिए छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने इसके लिए बाकायदा धरना दे कर रैली निकालने की तैयारी कर रखी है। विदित रहे कि बीते साल जब महामारी ने भारत में दस्तक दी और ये कहा गया है कि कोरोना एयरबोर्न है तो भारतीयों के जहां-तहां थूकने की आदत पर ख़तरा सा मंडराने लगा। आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत तमाम तरह के नियम बनाए गए और अधिकारियों ने सार्वजनिक जगहों पर थूकने वालों के ख़िलाफ़ कठोर कार्रवाई का प्रावधान कर दिया, जुर्माना लगाया गया और थूकने पर जेल तक जाने का नियम बना दिया गया।

यहां तक की ख़ुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को अपने संबोधन में कहा कि वे सार्वजनिक जगहों को साफ़ रखें और इधर-उधर थूकें नहीं। यह साल 2016 में स्वास्थ्य मंत्री के दिये एक बयान का बिल्कुल उलट था। जब तत्कालिक स्वास्थ्य मंत्री ने थूकने की आदत से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए संसद को बताया था, "सर, भारत एक थूकने वाला देश है।जब हम ऊब जाते हैं तो हम थूकते हैं, जब हम थक जाते हैं तब हम थूकते हैं, जब हम गुस्से में होते हैं तब हम थूकते हैं और हम जब कुछ नहीं भी होता है तब भी थूकते हैं। हम जहां कहीं भी थूकते हैं और हम हर समय यहां तक की वक़्त-बेवक़्त भी थूकते हैं।" ठीक इसे के अनुरूप पूर्व मंत्री के गलत गतिविधियों को लेकर किया जा रहा आज का आंदोलन वाकई एक नए कलेवर में है।