नक्सल गढ़ बस्तर के दुर्गेश राय वो कांग्रेसी युवा नेता जो विपरीत परिस्थितियों में भी क्षेत्र की समस्या के निदान के लिए तत्पर नजर आते हैं...चर्चा दिल्ली तक!

नक्सल गढ़ बस्तर के दुर्गेश राय वो कांग्रेसी युवा नेता जो विपरीत परिस्थितियों में भी क्षेत्र की समस्या के निदान के लिए तत्पर नजर आते हैं...चर्चा दिल्ली तक!

जगदलपुर(छत्तीसगढ़)।राजनीति में हर शख्स की एक सोच होती है कि वह राजनीति में सक्रिय रह कर कभी मौका मिले तो वह कोई चुनाव लड़े। बस्तर क्षेत्र में आरक्षित सीटों की वजह से इन सारी संभावनाओं का कोई विकल्प न होने के बाद भी कोई नेता अपने संगठन की मजबूती के लिए डटे रहे,हर मुश्किल में क्षेत्र की लोगों की सेवा करते रहे,सब को साथ लेकर चलने की जिस व्यक्ति में अद्भुत क्षमता मौजूद हो, तो उसे पिछड़े वर्ग से आने वाले प्रदेश कांग्रेस के सचिव दुर्गेश राय कहते हैं।वैसे तो स्वास्थ्य की समस्या हो,सड़क निर्माण में अनियमितता से लेकर हर वे कार्य जो आम जनमानस से जुड़ा हो दुर्गेश राय निःस्वार्थ भाव से इसके निराकरण करने जुट जाते हैं,ऐसे ही इस बार उन्होंने सुकमा के गुम्मा पहुंच कर बच्चों की परेशानी को लेकर एक गंभीर मामले का मुद्दा उठाया है।

बता दें कि आज कल सुकमा के छिंदगड़ विकास खण्ड के अंतर्गत संयुक्त बालक आश्रम गुम्मा का मामला चर्चा में है।दुर्गेश राय इसी आश्रम का निरीक्षण करने गए थे। जिसे यहां के एक मात्र अधीक्षक के भरोसे पूरे 148 बच्चों का भविष्य को सौंप दिया गया है और कोई भी जिम्मेदार अधिकारी नहीं है जो इस ओर ध्यान दे। कहा तो यह भी जा रहा है कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने विभागीय अधिकारी को इस आश्रम व यहां के बच्चों के भविष्य को लेकर बात भी की पर इसका कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ रहा है। यहां न शिक्षकों की व्यवस्था है और न ही अन्य मूलभूत सुविधा। सवाल यह खड़ा होता है कि एक मात्र अधीक्षक इतने बच्चों को अध्यापन कराएगा की आश्रम की अन्य व्यवस्था भी देखेगा।

आश्रम के 100 बच्चे और गाँव के 48 बच्चों को एक अधीक्षक के हवाले छोड़ दिया जाना कहाँ तक सही है। जिम्मेदार लोगों को यहां के लचर व्यवस्था से कोई सरोकार नहीं है। सरकार द्वारा युक्तियुक्तकरण को लेकर स्कूलों को मर्ज करने का काम किया गया है,जिससे ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। सरकार के नुमाइंदे किस चीज का पैसा प्रतिमाह ले रहे हैं, समझ से परे है। ब्लाक मुख्यालय से 17 किलोमीटर का सफर तय कर ये न बच्चों की कोई परेशानी सुन सकते हैं न ही साक्षात देख सकेते हैं।जबकि यही अधिकारी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रहे हैं। इसलिए गरीब बच्चों के साथ इनका कोई सरोकार नहीं रह गया है।

बच्चों के अभिभवकों की गुहार पर दुर्गेश राय कुछ ही घंटों में इस आश्रम में पहुंच कर बच्चों बीच समय गुजार कर उनकी समस्याओं को बारिकी से देखा व समझा। दुर्गेश बच्चों की बातों को गंभीरता से लेते हुये जल्द ही प्रशासन के उच्च अधिकारियों से चर्चा कर शिक्षकों की व्यवस्था का आश्वशन दिया।उन्होंने कहा वे बहुत जल्द इन समस्याओं को लेकर जिला के कलेक्टर से लेकर शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों से मिलेंगे और समस्या का निराकरण के लिए चर्चा करेंगे। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द शिक्षकों की व्यवस्था करे,एक अधीक्षक पांच कक्षाओं को किस तरह पढ़ा पायेगा। पहली से लेकर पांचवी तक 4 से 6 विषय हर कक्षा में पढ़ना पड़ता है, एक विषय पढ़ने के लिए आधा घंटा से 45 मिनट तक का समय लगता है। अधीक्षक को अन्य कार्य करने का होता है, अधीक्षक पढ़ाएगा की आश्रम के अन्य काम भी करेगा शिक्षा विभाग ने संयुक्त बालक आश्रम गुम्मा क़े बच्चों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है।

इस समय स्थानीय जनप्रतिनिधि भी मौके पर पहुंच कर शिक्षकों की कमी पर काफ़ी नाराज नजर आए। शिक्षा विभाग त्वरित कार्यवाही नहीं करती है तो उग्र आंदोलन की उन्होंने चेतावनी भी दी है।