भाजपा अब मुस्लिम वर्ग के शीर्ष नेताओं को भी किनारे करने परहेज नहीं कर रही,कद्दावर नेता नकवी भी अब नप गए...
नई दिल्ली।भाजपा में चार बड़े मुस्लिम नेता हैं। इनमें केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, सैय्यद शहनवाज हुसैन, एमजे अकबर, जफर इस्लाम शामिल हैं। शहनवाज इस वक्त बिहार सरकार में मंत्री हैं। मुख्तार अब्बास नकवी केंद्रीय मंत्री हैं और एमजे अकबर और जफर इस्लाम राज्यसभा के सांसद। मुख्तार अब्बास नकवी के साथ-साथ एमजे अकबर और जफर इस्लाम का भी राज्यसभा कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। तीनों को भाजपा ने दोबारा प्रत्याशी नहीं बनाया है।अर्थात राज्यसभा के लिए बीजेपी ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारे। कयास यह भी लगाया जा रहा था कि मुख्तार अब्बास को लोकसभा के लिए उम्मीदवार बनाया जाएगा,पर यहां भी उनका पत्ता कट गया है।इस तरह भाजपा अब पार्टी के महत्वपूर्ण पदों को मुस्लिम मुक्त करने में लगी है।
बता दें कि केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की राज्यसभा सदस्यता सात जुलाई को खत्म हो रही है। नियम के मुताबिक किसी भी सदन का सदस्य नहीं होने के बाद भी मुख्तार अब्बास अगले छह महीने तक मंत्री बने रह सकते हैं। अगर छह महीने के अंदर लोकसभा या राज्यसभा का सदस्य नहीं बनते तो उन्हें इस्तीफा देना पड़ेगा। भाजपा ने मुख्तार अब्बास को राज्यसभा के लिए टिकट नहीं दिया। शनिवार को रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव के लिए भी प्रत्याशी का भी एलान कर दिया। पहले चर्चा थी कि मुख्तार को रामपुर से लोकसभा का उपचुनाव लड़ाया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। भाजपा ने मुख्तार अब्बास नकवी को रामपुर उपचुनाव के लिए भी टिकट नहीं दिया।
गौरतलब हो कि 1998 में इसी रामपुर से भारतीय जनता पार्टी ने मुख्तार अब्बास नकवी को टिकट दिया था और वह चुनाव जीत गए थे। तब उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री बनाया गया था। 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई तो मुख्तार अब्बास नकवी को अल्पसंख्यक राज्यमंत्री बनाया गया था, 2016 में कैबिनेट का दर्जा मिल गया। 2019 में फिर से जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली तो मुख्तार अब्बास नकवी को फिर से केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री बनाया गया।
अब परिस्थितियां अलग है।हालांकि अटकलें यह भी लगाई जा रही है कि नकवी को राष्ट्रपति द्वारा नामित कर यथास्थिति बनाये रखा जा सकता है।इसलिए कि राज्यसभा में 12 मनोनीत सांसद भी होते हैं,जो राष्ट्रपति द्वारा नामित किया जाता है। इस वक्त पांच मनोनीत सदस्य हैं, जबकि सात सीटें खाली हैं। ऐसे में यह संभव है कि भाजपा मुख्तार को राष्ट्रपति की ओर से नामित कराकर फिर से राज्यसभा भेज दे और मौजूदा जिम्मेदारी को कायम रखा जाए।