एमसीडी चुनाव में पूर्ण बहुमत के बाद भी आप अपना मेयर बना ले जरूरी नहीं!बीजेपी कैसे बाजी मार सकती है और क्या है गणित...

एमसीडी चुनाव में पूर्ण बहुमत के बाद भी आप अपना मेयर बना ले जरूरी नहीं!बीजेपी कैसे बाजी मार सकती है और क्या है गणित...

नई दिल्ली।दिल्ली एमसीडी चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वो दिल्ली को ठीक करने के लिए पीएम का भी आशीर्वाद चाहते हैं।उन्होंने जीत के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, "हमें दिल्ली को ठीक करने के लिए सभी के सहयोग की ज़रूरत है, ख़ासकर केंद्र सरकार के सहयोग की ज़रूरत है। केजरीवाल ने कहा,आज मैं इस मंच से केंद्र सरकार ख़ासकर प्रधानमंत्री जी से दिल्ली को ठीक करने के लिए आशीर्वाद चाहता हूं।केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री का आशीर्वाद भी चाहिए।अब सवाल उठता है क्या केजरीवाल अपना मेयर बना पाएंगे।समझिए पूरा गणित।

दिल्ली एमसीडी के एकीकरण के बाद पहली बार चुनाव हुए।जिसमें आप ने 15 साल तक राज कर रही दिल्ली एमसीडी से बीजेपी को बेदखल कर दिया है।एकीकरण के बाद वार्डों की संख्या 272 से घटकर 250 कर दी गई। इसमें आम आदमी पार्टी को 134, बीजेपी को 104, कांग्रेस को 9 और अन्य को 3 सीट मिली हैं।दिल्ली एमसीडी चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल करने के बाद भी मेयर आम आदमी पार्टी का ही होगा इसे लेकर अभी संशय बना हुआ है।बीजेपी भी अपना मेयर बना सकती है।

दरअसल एमसीडी का मेयर वोटिंग से चुना जाएगा, इसमें 250 चुने हुए पार्षद के अलावा दिल्ली के तीन राज्यसभा और सात लोकसभा सांसद भी वोट करेंगे। इसके बाद दिल्ली के उपराज्यपाल 12 सदस्यों को नॉमिनेट करते हैं जो मेयर चुनने के लिए अपने वोट का इस्तेमाल करते हैं। यह भी महत्वपूर्ण है कि दिल्ली एमसीडी चुनाव में चुने हुए पार्षद पार्टी के मेंबर नहीं होते हैं। बल्कि कोई भी पार्षद किसी भी पार्टी को सपोर्ट कर सकता है, उन पर दल बदल कानून लागू नहीं होता है। ऐसा पहले भी हुआ है कि एमसीडी में बहुमत किसी पार्टी को मिला हो और मेयर किसी दूसरी पार्टी ने बनाया हो।

बीजेपी लंबे समय से दिल्ली नगर निगम के एकीकरण की मांग कर रही थी। पार्टी का मानना था कि अगर तीनों नगर निगम एक हो जाएंगे तो एक ही मेयर होगा और उसकी शक्ति दिल्ली के मुख्यमंत्री के लगभग बराबर हो जाएगी। एमसीडी और दिल्ली सरकार के बीच अक्सर फंड,अधिकार क्षेत्र और काम के बंटवारे को लेकर खींचतान जारी रहती है। इस साल मार्च महीने में केंद्रीय कैबिनेट ने दिल्ली एमसीडी के एकीकरण पर मुहर लगा दी और फिर दोनों ही सदनों से विधेयक पास होने के बाद एकीकरण की प्रक्रिया पूरी हो गई।इस तरह से यह दुनिया का सबसे बड़ा एमसीडी बन गया है।