अंततः सुखविंदर सिंह सुक्खू को हिमाचल का कमान मिलना तय है,पर सुक्खू के बारे में आप क्या जानते हैं पढ़िए सब कुछ इस खबर में...
नई दिल्ली डेस्क।वैसे तो पिछले कुछ दशकों से हिमाचल राज्य का इतिहास रहा है कि वहाँ हर पाँच साल के बाद सरकार बदलती रही है। इसलिए ज़्यादातर विश्लेषक इसे कांग्रेस की जीत के बजाए बीजेपी की हार के तौर पर देख रहे हैं। कांग्रेस ने 68 में से 40 सीटें जीती हैं जबकि बीजेपी 25 सीटें ही जीत सकी है।परंतु यह भी गौर करने वाली बात है कि दोनों पार्टियों के वोट में केवल एक प्रतिशत का ही फर्क रहा है और कांग्रेस फिर एक बार सरकार बनाने जा रही है।परंतु पार्टी में खास कर दो नेताओं की मजबूत दावेदारी ने बड़ा सवाल ये बना हुआ है कि इस पहाड़ी राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा।वैसे सूत्रों से मिल रही खबरों से जो पता चल रहा है।सुखविंदर सिंह सुक्खू का नाम अगले मुख्यमंत्री के लिए फाइनल हो गया है बस औपचारिक घोषणा भर शेष है।
चौथी बार विधायक बने 58 वर्षीय सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल कांग्रेस का ऐसा चेहरा हैं, जिन्होंने युवा उम्र से ही कांग्रेस के अलग-अलग पदों पर दमदारी से काम किया है।ऐसा नहीं कि वे किसी नेता के पीछे चाहे हिमाचल का मुख्यमंत्री ही क्यों न हो पिछलग्गू बन कर अपनी वो छबि नहीं बनाई जो आज कल के राजनीति में अक्सर दिखाई देता है।बल्कि उन्होंने हमेशा पार्टी के मजबूती को लक्ष्य मान कर निडर हो कर काम करते रहे।यही वजह है कि हिमाचल की राजनीतिक बिसात पर सुखविंदर सिंह सुक्खू को नज़रअंदाज़ कर पाना पार्टी और हाईकमान को भी मुश्किल हो गया था।
बता दें कि सुक्खू कांग्रेस के छात्र विंग एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष रहे और बाद में छोटा शिमला से चुनाव जीत कर पार्षद भी रहे। साल 2002 में उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और तब से इस बार का चुनाव जीतकर वे चौथी बार विधानसभा पहुँचे हैं। उनकी दबंग छबि को देखते हुए AICC ने सुक्खू को साल 2013 से 2019 तक हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी दी।इस बीच उन्होंने वह कर दिखाया कि उन्हें हिमाचल में कांग्रेस का एक ऐसा बड़ा ज़मीनी नेता माना जाता है जिसकी हिमाचल के सभी 68 विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं के बीच अच्छी पकड़ है।
सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस बार के चुनाव से पहले तीन बार विधायक बनने के बावजूद सुक्खू कभी मंत्री नहीं रहे, वो हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर ज़िले से आते हैं, जहाँ भारतीय जनता पार्टी के प्रेम कुमार धूमल दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। सुक्खू के बारे में बताया जाता है कि वे हमेशा से ही वीरभद्र सिंह के ख़िलाफ़ अपनी राजनीति करते रहे और यही वजह है कि वीरभद्र सिंह के वफ़ादार लोग जो अब प्रतिभा सिंह के साथ हैं, वे उनके साथ उतनी सहजता से खड़े नहीं हो पाते हैं।हालांकि सुक्खू ने भी वह जमीन तैयार कर रखी कि आज उतने ही विधायक उनके साथ खड़े नजर आ रहे हैं, जितना कि प्रतिभा सिंह के साथ।यही वजह है कि वे आज मुख्यमंत्री के कुर्सी के करीब हैं।
बताया जाता है कि सुक्खू जब पार्टी अध्यक्ष थे तो उस समय के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से लगातार सीधी टक्कर लेने से कतराते नहीं थे।उनकी यही दमदार राजनीति करने का तरीका उन नेताओं को उनके करीब लाता था जो किसी न किसी वजह से वीरभद्र सिंह से नाराज़ हुआ करते थे।आज कम से कम 40 में से 15 विधायक उनके साथ हैं और संभावना है कि आज कभी भी मुख्यमंत्री के लिए उनके नाम की अधिकृत घोषणा हो सकती है।