मोदी राज में ईडी सीबीआई को पीछे छोड़ देश में सबसे ताकतवर संस्था कैसे बनते गई।जानिए सब कुछ...
रायपुर(छत्तीसगढ़)।शायद ही कोई ऐसा महीना हफ़्ता होता है, जब हम मनीलांड्रिंग के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय का नाम नहीं सुनते हैं। यहां तक की, प्रवर्तन निदेशालय अब सीबीआई को पीछे छोड़ दिया है, केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाली एक ऐसी एजेंसी जिसके गिरफ्त में कोई आ गया तो बच कर निकलना मुश्किल है।चाहे कोई राजनेता,प्रशासनिक अधिकारी या फिर कोई दलाल या फिल्म जगत से जुड़ा कोई बड़ी हस्ती क्यों न हो।साल 2005 में धन शोधन निरोधक अधिनियम (PMLA), 2002 लागू होने से पहले तक प्रवर्तन निदेशालय एक छोटी और सुस्त एजेंसी हुआ करती थी।परंतु अब पीएमएलए की वजह से आरोपियों को ज़मानत मिलना भी मुश्किल होता है। इस क़ानून के तहत ज़मानत मिलना इतना मुश्किल है कि कई बार लोगों को 2-3 साल जेल में काटने पड़ते हैं, भले ही वह बाद में निर्दोष साबित हो जाएं।
आज पूरे देश में ईडी की भूमिका को लेकर जबरदस्त चर्चा है।इसके द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ की जा रही ताबड़तोड़ कार्यवाही को लेकर आम जनता के बीच जहाँ मोदी सरकार की तारीफें हो रही है वहीं विपक्षी नेता आलोचना करने मुखर हैं।इसलिए कि केंद्र सरकार के समर्थन में रहने वाली यह एजेंसी खास कर विपक्षी नेताओं से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों में जांच कर रही है, ख़ासकर यह तब जब उस नेता के राज्य में चुनाव होने वाले हों।हालांकि जहां भी ईडी कार्यवाही कर रही है चाहे पश्चिम बंगाल, झारखंड,महाराष्ट्र या छत्तीसगढ़ क्यों न हो बड़े स्तर में भ्रष्टाचार के सबूत मिल रहे हैं।छत्तीसगढ़ में तो ईडी के पूरी की पूरी एक टीम स्थाई रूप से बैठ गई है और अभी तक जितने भी खुलासे किए हैं,वह चौकाने वाले हैं।हालांकि इस पूरे मामले में सत्तारूढ़ पार्टी के किसी बड़े नेता का नाम सार्वजनिक नहीं हुआ है,जो भी अब तक आरोपी बनाए गए हैं वो या तो कारोबारी,दलाल या प्रशासनिक अधिकारी हैं।
आर्थिक मामलों को लेकर अब तक आयकर विभाग के उस कार्यवाही की चर्चा होती थी जब बात कर चोरी की हो। जबकि प्रवर्तन निदेशालय(ED) का मुख्य काम है कि वो पैसे को ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि में इस्तेमाल होने से रोके।ये मसला है ही नहीं की उस पैसे पर टैक्स दिया गया हो या ना दिया गया हो।प्रवर्तन निदेशालय ने अगर कह दिया कि यह संपत्ति आपकी है, तो मतलब आपकी है। फिर चाहे असलियत में वह किसी और की ही क्यों न हो। इतना ही नहीं पीएमएलए की वजह से जमानत मिलना भी मुश्किल होता है। इस क़ानून के तहत जमानत मिलना इतना मुश्किल है कि कई बार लोगों को 2-3 साल जेल में काटने पड़ते हैं, भले ही वह बाद में निर्दोष साबित हो जाएं। बता दें कि पूर्व दूरसंचार मंत्री और 2 जी घोटाले में अभियुक्त ए. राजा को 15 महीने जेल में बिताने पड़े थे। हालांकि इस मामले में वे बाद में निर्दोष घोषित किए गए थे।
केंद्रीय एजेंसियों में अब ईडी एक ऐसी ताकतवर जांच एजेंसी बन गई है जो सीबीआई को भी पीछे छोड़ दिया है। दरअसल ईडी को यह अधिकार उसको मिले PMLA कानून का वह शक्ति है जो ताकतवर बनाती है। जमानत उन मामलों में नहीं दी जाती जिनमें ख़तरा हो कि अभियुक्त भाग सकता है या गवाहों को प्रभावित कर सकता है। लेकिन पीएमएलए इन मामलों में ज़मानत को बहुत मुश्किल बना देता है। यहां तक कि पीएमएलए मौजूदा समय में देश का एकलौता क़ानून है जिसमें जांच अधिकारी के सामने दिया गया बयान को भी कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता है। ऐेसे प्रावधान पोटा और टाडा जैसे आंतकवाद रोधी क़ानून में हुआ करता था।ईडी की छापे और जांच सालों तक चलती है। जहां सबूत ढूंढना मुश्किल होता है,वहाँ PMLA कानून मदद करता है।यह क़ानून अभियुक्त पर ये ज़िम्मेदारी डालता है कि वह ख़ुद को निर्दोष साबित करे।अगर उसे लगता है कि कोई संपत्ति 'बेनामी' है, तो वो उसे अटैच भी कर सकता है। किसी संपत्ति को अटैच करने का मतलब होता है कि उसे बेचा या स्थानांतरित किया जा सकता है।
ईडी अपने प्रकरणों की सुनवाई ईडी की विशेष अदालतों में करती है।प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्डरिंग एक्ट की धारा 4 के तहत दंडनीय अपराध की सुनवाई के लिए, केंद्र सरकार उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से एक या उससे अधिक सत्र न्यायालय को विशेष न्यायालय के रूप में नामित कर सकती है। प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्डरिंग एक्ट के तहत गठित की गई न्यायालय को "पीएमएलए कोर्ट" भी कहा जाता है।छत्तीसगढ़ में मनीलांड्रिंग के प्रकरणों की सुनवाई ईडी की विशेष अदालत में चल रही है।इसी तरह से अन्य राज्यों में भी विशेष अदालत गठित है।ईडी ने कुछ समय पहले शिवसेना सांसद संजय राउत को भी तलब कर जेल की सैर कराई थी,तो अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडीस से भी मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में पूछताछ की जाते रही है।छत्तीसगढ़ में ताबड़तोड़ ईडी की कार्यवाही को लेकर कोई भी नेता चाहे पक्ष या विपक्ष का क्यों न हो खुल कर बोल नहीं रहा है सिवाय सत्ताधारी मुख्यमंत्री के।