व्यक्ति विशेष: मोहन मरकाम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से कहीं हर एक कांग्रेस कार्यकर्ता की बन चुके पहली पसंद...

मोहन मरकाम लंबी रेस के घोड़ा साबित होने वाले हैं और राजनीति को भलीभांति जो नजदीक से समझते हैं वे इस बात को भी अच्छी तरह जानते हैं की मोहन मरकाम के साथ निष्ठा पूर्वक जुड़े रहने का उन्हें दूरगामी परिणाम देगा। यही वजह है कि उनके इर्दगिर्द का आभामंडल दिनबदिन बढ़ते ही जा रहा है और कांग्रेस संगठन में मजबूती की यह मुख्य वजह भी है।

व्यक्ति विशेष: मोहन मरकाम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से कहीं हर एक कांग्रेस कार्यकर्ता की बन चुके पहली पसंद...

रायपुर(छत्तीसगढ़)।छत्तीसगढ़ की राजनीति में मरकाम जी आज एक प्रतिष्ठित राज नेता,प्रखर राजनीतिज्ञ की भूमिका में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के पहली पसंद,नि:स्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर विभिन्न समाज में स्थापित सर्व स्वीकार्य व्यक्ति , सशक्त वक्ता के साथ ही सहज सरल और निष्कपट व्यक्ति के तौर पर पार्टी की मजबूती के लिए सभी नेताओं व राजनीति में अपनी भूमिका स्थापित कर चुके लोगों को एकजुट रखने वाले सफल रणनीतिकार बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति हैं। कांग्रेस में एक उदार चेहरे के रूप में उनकी पहचान पार्टी को लगातार मजबूती प्रदान कर रही है।उनके आज जन्म दिवस पर जहां छोटे बड़े सभी कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता उन्हें शुभकामनाएं प्रेषित कर रहे हैं,तो छत्तीसगढ़ के मिशन 2023 के चुनाव की रणनीति को लेकर वे लगातार लोगों के बीच हैं।

मोहन मरकाम को जब छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी,तब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी थे ऐसे में एक बात तो स्पष्ट था कि मरकाम राहुल गांधी के व्यक्तिगत पसंद भी थे और मरकाम की नियुक्ति ऐसे समय में हुई थी जब छत्तीसगढ़ में लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह से पराजित हो कर कुल 11 में से महज 2 सीट पर ही सफल हो सकी थी।कांग्रेस के फतह की ये दोनों सीट भी वह क्षेत्र था जहाँ घोषित प्रत्यशियों के व्यक्तिग जनाधार ज्यादा अहम रखता था,ऐसे में छत्तीसगढ़ कांग्रेस को मजबूती के ऊंचाइयों तक ले जाने की बहुत बड़ी चुनौती मोहन मरकाम के सिर पर थी।तब किसी ने यह सोचा न था कि मरकाम छत्तीसगढ़ के कांग्रेस कार्यकर्ताओं के पहली पसंद बन कर उभरेंगे और समय के साथ पूरे राज्य ने उन्हें तहेदिल से स्वीकार किया।उनके पूरे कार्यकाल में कांग्रेस बुलंदियों पर है।मरकाम जी के नेतृत्व में कांग्रेस ने एक भी पराजय नहीं देखा।निश्चित तौर पर वे जिस रणनीति के तहत काम कर रहे हैं,इस चेहरे के दम पर मिशन 2023 विधानसभा का चुनाव भी कांग्रेस के पक्ष में होगा निश्चित है।

कांग्रेस के उदयपुर में हुए चिंतन शिविर के महत्वपूर्ण निर्णयों की बात करें तो उसमें से एक "भारत जोड़ो यात्रा" शुरू करने का महत्वपूर्ण कार्यक्रम था और तय समय पर यह यात्रा शुरू भी हो गई है,जिसे जबरदस्त जनसमर्थन भी मिल रहा है।इसी चिंतन शिविर में इसी तरह एक निर्णय यह भी शामिल है की कांग्रेस नेताओं को अब रोटेशन प्रणाली से पद दिए जाने की कवायद शुरू होगी।अर्थात 5 साल तक जो जिस पद में हैं उनकी भूमिका इसके बाद बदल जाएगी।ऐसे में मरकाम विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस अध्यक्ष तो रहेंगे नहीं पर इतना तय है,की अगली भूमिका भी उनकी अहम रहने वाली है।बहुमत हासिल हुई तो राज्य की सत्ता में या फिर राष्ट्रीय संगठन में!कुल मिला कर मरकाम लंबी रेस के घोड़ा साबित होने वाले हैं और राजनीति को भलीभांति जो नजदीक से समझते हैं वे इस बात को भी अच्छी तरह जानते हैं की मोहन मरकाम के साथ निष्ठा पूर्वक जुड़े रहने का उन्हें दूरगामी परिणाम देगा। यही वजह है कि उनके इर्दगिर्द का आभामंडल दिनबदिन बढ़ते ही जा रहा है और कांग्रेस संगठन में मजबूती की यह मुख्य वजह भी है।

इस बीच सरकार में केबिनेट मंत्री कवासी लखमा के उस बयान को भी कांग्रेस के अंदर आदिवासी नेताओं में एकजुटता की कवायद के रूप में देखी जा रही है।जिसमें उन्होंने बीजेपी के अंदर आमूलचूल परिवर्तन किये जाने पर भाजपा को  भारी पड़ने की बात कही है।दरअसल विश्व आदिवासी दिवस के दिन भाजपा ने आदिवासी समाज से आने वाले अपने प्रदेश अध्यक्ष को हटा दिया था।उनका मानना है इससे भाजपा ने आदिवासी लोगों को झटका दिया है। उनका मानना है आदिवासी लोग क्या माफ करेंगे?लखमा ने कहा, यहां तो पिछड़ा वर्ग और आदिवासी लोगों का बोलबाला है। आदिवासी को निपटाने के बाद ये लोग बचेंगे क्या? यहां तो आदिवासी लोग और साहू लोग निपटा देंगे।लखमा के इस बयान का मतलब साफ है कि कांग्रेस में ऐसा कुछ होने वाला नहीं है जिससे आदिवासी वर्ग का आक्रोश पार्टी को झेलना पड़े।ऐसा बोल कर उन्होंने आदिवासी नेता मोहन मरकाम को एक तरह से समर्थन दे कर बता दिया है कि आगामी चुनाव में आदिवासी समाज की भूमिका हर बार की तरह अहम रहने वाली है।