तो क्या अमरजीत भगत छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष होंगे...!

तो क्या अमरजीत भगत  छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष होंगे...!

दिल्ली डेस्क। कांग्रेस ने क्या छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले अपने प्रदेश अध्यक्ष को बदलने की तैयारी कर ली है!यह खबर कई कांग्रेस के नेताओं के गले उतर नहीं रही है।इसलिए कि वर्तमान अध्यक्ष मोहन मरकाम का कार्यकाल  संगठन की दृष्टि से बेहद ही शानदार रहा है।पार्टी की मजबूती से लेकर उनके कार्यकाल में हुए चुनावों में कांग्रेस को मिली ऐतिहासिक जीत ने जहां उनकी कुशल कार्यप्रणाली पर मुहर लगाया है वहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मरकाम को मिल रहे अपार जन समर्थन ने उन्हें नई ऊंचाइयां भी दी है।इस बीच कांग्रेस के तहखाने से जो बात निकल कर आ रही है।मरकाम को हटा कर एक दूसरे आदिवासी नेता व सरकार में कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत को नए अध्यक्ष के तौर पर ताजपोशी की तैयारी कर ली गई है।हालांकि यह पहली बार नहीं है जब भगत का नाम पार्टी अध्यक्ष के लिए आया हो इसके पहले भी जब उन्हें अकेल मंत्री पद की सपथ दिलाई गई थी तो उन्होंने कहा था,मेरा नाम प्रदेश अध्यक्ष के लिए चल रहा था, लेकिन पार्टी ने मुझे सरकार के साथ काम करने का अवसर दिया है।

देश में छत्तीसगढ़ कुल 3 राज्यों में से एक ऐसा राज्य है जहां कांग्रेस पार्टी सत्ता में सबसे मजबूत की स्थिति में है।यहां कुल 90 में से 71 विधायक कांग्रेस के हैं। कांग्रेस सरकार के इस अवधि में ढाई-ढाई साल के नेतृत्व परिवर्तन की बात को छोड़ दें तो ऐसी कोई वजह नहीं रही कि कांग्रेस नेताओं का अंतर्कलह सतह पर देखा गया हो।बावजूद इस बीच हुए हर चुनाव में कांग्रेस ने एकतरफा जीत हासिल करि  और यह वह दौर रहा जब कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर मोहन मरकाम प्रदेश भर में काम करते देखे गए।उन्होंने पार्टी संगठन की जिम्मेदारी संभालते ही उन कार्यकर्ताओं की सुध लेनी शुरू कर दी जो विगत 15 सालों में विपक्ष में रहते संघर्ष के दिनों में कांग्रेस का झंडा थामे रखा था और एक के बाद एक नए चेहरों को उन्होंने संगठन के महत्वपूर्ण पदों पर तबज्जो देनी शुरू कर दी जिसकी वे कभी कल्पना भी नहीं किये थे। ये ऐसे चेहरे थे जिनके समक्ष एक छोटा सा कार्यकर्ता भी बेधड़क जा कर अपनी बात रख सकता था।उनके कार्य करने की यही शैली ने कांग्रेस के छोटे-छोटे कार्यकर्ताओं को भी पार्टी संगठन के करीब ला खड़ा कर दिया।

इस बीच मरकाम के तीन वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने पर कहा जाने लगा कि उनकी नियुक्ति को लेकर पार्टी संविधान के मुताबिक पुनः इस आशय के आदेश जारी करने की जरूरत पड़ेगी की उनकी कार्यावधि बढ़ाई जाती है।परंतु इस बीच राजनीतिक गलियारों में यह खबर दौड़ने लगी है कि उनकी जगह प्रदेश के एक और आदिवासी नेता,सरकार में कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत को नए अध्यक्ष के तौर पर ताजपोशी की तैयारी चल रही है।अब यह समझ से परे है कि मरकाम की जगह भगत को एन विधानसभा चुनाव के पहले क्यों बदलने की तैयारी है,जबकि दोनों ही चेहरे आदिवासी हैं।क्या इस बहाने सरगुजा बेल्ट में कमजोर पड़ती कांग्रेस को साधने की तैयारी है और बस्तर बेल्ट को लेकर कांग्रेस निश्चिंत है! या फिर वजह कुछ और है? ऐसा तो नहीं कि कांग्रेस अमरजीत भगत को लेकर सरगुजा क्षेत्र के 18 सीटों को फिर से हासिल करने अध्यक्ष के साथ-साथ और कोई बड़ा दांव लगाने तो नहीं जा रही है की वहां की जन आकांक्षाओं के अनुरूप हो।

बहरहाल अमरजीत भगत को लेकर चर्चा गर्म है। जिन्हें कांग्रेस पार्टी ने पहली बार 2003 के विधानसभा चुनाव में सीतापुर से मैदान में उतारा। इस चुनाव में अमरजीत ने बीजेपी प्रत्याशी राजाराम भगत को हराया और पहली बार विधायक बने। इसके बाद 2008 के चुनाव में उन्होंने बीजेपी के गणेशराम भगत, 2013 के चुनाव में बीजेपी के राजाराम भगत और 2018 के चुनाव में बीजेपी के ही प्रत्याशी गोपाल राम को हराया और लगातार चौथी बार विधायक बने।यह पहली बार नहीं है जब उनका नाम अध्यक्ष के लिए चला हो। बताया जाता है कि मंत्री बनने के पहले छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर अमरजीत भगत के नाम की सिर्फ औपचारिक​ घोषणा होनी भर बची थी, लेकिन फिर समीकरण बदला और उन्हें मंत्री बनाने का निर्णय आलाकमान ने लिया।तब से वे मंत्री के तौर पर महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी संभालते हुए सरकार में मुखर रहते हैं।