राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता को जिस तत्परता के साथ अयोग्य ठहराया गया था, क्या अब उनकी सांसदी की बहाली भी तत्काल होगी?

राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता को जिस तत्परता के साथ अयोग्य ठहराया गया था, क्या अब उनकी सांसदी की बहाली भी तत्काल होगी?

नई दिल्ली।सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मोदी सरनेम केस में राहुल गांधी की सज़ा पर रोक लगा दी है।गौरतलब हो कि साल 2019 में 'मोदी सरनेम' को लेकर दिए गए एक बयान पर सूरत की निचली कोर्ट ने उन्हें दो साल की सज़ा सुनाई थी। इस फ़ैसले के 24 घंटे के बाद ही लोकसभा की उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी।अब सवाल यह है कि राहुल गांधी के लोकसभा सदस्यता को जिस तत्परता के साथ अयोग्य ठहराया गया था क्या अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनकी सांसदी की बहाली को लेकर भी वैसी तत्परता दिखाई जायेगी।ऐसे में राहुल गांधी सोमवार को संसद में भाग ले सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद अब ये सवाल उठने लगा है कि राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता कैसे और कब बहाल होगी। संसदीय जानकारों का कहना है कि जैसे ही सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया तो अयोग्यता अपने आप खत्म हो गई है और जैसे ही ये आदेश निष्प्रभावी होता है, सदस्यता बहाल हो जाती है।इसके लिए लोकसभा सचिवालय को एक अधिसूचना जारी कर ये कहना होगा कि राहुल गांधी को दोषी करार दिए जाने के फ़ैसले पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के परिणामस्वरूप उनकी सदस्यता बहाल की जाती है। ये तत्काल प्रभाव से किया जाना चाहिए।

लोकसभा सचिवालय ने उन्हें दोषी करार दिए जाने के फ़ैसले के बाद जितनी जल्दबाज़ी दिखाई थी, उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उतनी ही तत्परता दिखानी होगी। इन हालातों में राहुल गांधी सोमवार से संसद के सत्र में हिस्सा ले सकते हैं और अगर उन्हें दोषी करार दिए जाने के फ़ैसले का मामला नहीं सुलझा तब भी वे अगला लोकसभा चुनाव लड़ सकेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा-

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के तहत इस अपराध के लिए अधिकतम दो साल की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।" मानहानि के इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने अधिकतम सज़ा सुनाने के लिए वादी की दलीलों के अलावा और कोई वजह नहीं बताई

"ये ध्यान देने वाली बात है इस दो साल की सज़ा के कारण ही जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) के प्रावधान लागू हुए और याचिकाकर्ता की सदस्यता रद्द हुई। अगर एक दिन भी ये सजा कम होती ये नियम लागू नहीं होता।" खासकर ऐसे मामलों में जब अपराध नॉन कम्पाउंडेबल हो, ज़मानती हो और संज्ञेय हो तो अधिकतम सजा देने के लिए ट्रायल जज से कारण बताने की उम्मीद की जाती है।

"हालांकि हाई कोर्ट ने अपील खारिज करने की वजह बताने में काफी पन्ने खर्च किए लेकिन इन पहलुओं पर गौर किया गया हो, ऐसा लगता नहीं है।" साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को लेकर ये भी कहा कि सार्वजनिक जीवन में किसी व्यक्ति को अपने सार्वजनिक भाषणों के वक्त एहतियात बरतने की उम्मीद की जाती है।