अजीत पैदा होते हैं...इतिहास रचने के लिए,...तो क्या रायपुर उत्तर में भी इसकी तैयारी है!
रायपुर(छत्तीसगढ़)।छत्तीसगढ़ गठन के साथ ही यही एक नाम अजीत से ही जोगी के रूप में जो पट कथा लिखी गई। प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में अजीत जोगी का नाम बार-बार इतिहास को दोहराता है।आज फिर से एक बार बेहद ही सुलझे हुए,होनहार,युवाओं में अति लोकप्रिय,उच्च शिक्षित,व्यवहार कुशल युवा नेता अजीत कुकरेजा की चर्चा हर किसी के जुबान पर है।बता दें कि सारी योग्यता के बावजूद कांग्रेस पार्टी ने एन वक़्त में उन्हें विधानसभा के टिकट से वंचित कर दिया।इसके साथ ही अजीत "अब नहीं तो कब" कह कर चुनाव मैदान में उतर गए हैं,तो क्या उनकी लोकप्रियता व युवाओं का जुनून एक और इतिहास रचने की तैयारी में है कि वे पहली बार रायपुर के किसी सीट से निर्दलीय विधायक होंगे।
छत्तीसगढ़ में नामांकन की अंतिम तिथि बीत जाने के बाद पूरा वातावरण अब चुनावी रंग में सराबोर होता चला जा रहा है।राजनीतिक पार्टियों का चुनावी घोषणा एक के बाद एक लोगों के जेहन में गुदगुदाने लगी है,पर मतदाता खामोश है।दोनों पार्टियों में बगावती के सुर तेज है।खास कर सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस में जिस तरह से बगावत देखने मिल रहा है।इसकी कल्पना तो कम ही थी।परंतु जिस तरह से टिकट वितरण हुआ।उससे तो साफ जाहिर है कि चुनाव के लिए सरकार का काम काज ही पर्याप्त और सब कुछ नहीं होता।बल्कि समय के साथ किसी भी प्रत्याशी की व्यक्तिगत छवि ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है।
कांग्रेस पार्टी ने इस बार मौजूदा 22 विधायकों के टिकट काट दिए।मतलब साफ है सरकार सही काम भी की हो।योजनायें अच्छी रही हों तो भी प्रत्याशी यदि जनता को स्वीकार्य नहीं है तो चुनाव नहीं जीता जा सकता।इसलिए यह चुनाव घोषणा पत्र की अपेक्षा प्रत्याशी के व्यक्तिगत छबि कैसा है पर केंद्रित रहेगा।राजनैतिक पार्टियों में अक्सर होता है कि योग्य उम्मीदवार होते हुए भी उस व्यक्ति को टिकट मिल जाती है जिसके चुनाव जीतने की क्षमता या कहें संभावना कम होती है।इस बार ऐसे कई सीट हैं जहां कांग्रेस व बीजेपी दोनों को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है।परंतु लोकतंत्र है हर किसी को अपना व्यक्तिगत निर्णय लेने का अधिकार है और यही निर्णय इस बार निर्णायक साबित होने वाली है।
जनमत के आधार पर बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में इस बार किसी भी पार्टी को बहुत ज्यादा सीटें नहीं मिलने वाली।अनुमान तो यही है अधिकतम 50 से 52 का आंकड़ा तक ही सीमित रहेगा।ऐसे में इस बार एक-एक विधायकों का महत्व अपने आप में महत्वपूर्ण होगा।इस बीच जो सबसे ज्यादा चर्चा राजधानी रायपुर के उत्तर विधानसभा की हो रही है उतनी कभी नहीं हुई। दरअसल नगर निगम में पार्षद, एमआईसी सदस्य के साथ-साथ युवाओं में अति लोकप्रिय अजीत कुकरेजा की इस विधानसभा से दावेदारी थी।परंतु अंतिम क्षणों में उनकी टिकट काट दी गई।जबकि कांग्रेस पार्टी अपने सर्वे में मौजूदा विधायक को टिकट देने के पक्ष में नहीं थी।परंतु अंत में अपने ही सर्वे के विरुद्ध उन्हें ही दे दिया।
अब अजीत कुकरेजा पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में उतर गए हैं और बताया जा रहा है कि उनकी जीत पक्की है।कुकरेजा सिंधी समाज से आते हैं और समाज के सहमति से ही चुनाव लड़ने का मन बनाया है।अजीत की सिंधी समाज ही नहीं उत्कल समाज से लेकर अन्य समाज के लोगों के बीच भी गहरी पैठ है।ऐसे में कोई आश्चर्य न होगा कि राजधानी रायपुर से कोई निर्दलीय विधायक चुन कर आ जाये जो अजीत कुकरेजा के नाम हो और एक इतिहास बन जाये।