बेरोज़गारी की वजह से 25 हजार भारतीयों ने आत्महत्या की बावजूद बेरोजगार युवक क्रांति करना भूल चुके

बेरोज़गारी की वजह से 25 हजार भारतीयों ने आत्महत्या की बावजूद बेरोजगार युवक क्रांति करना भूल चुके

नई दिल्ली।अंग्रेज़ी अख़बार द टेलीग्राफ़ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी सरकार ने बुधवार को संसद में बताया है कि साल 2018 से 2020 के बीच 25,000 से ज़्यादा भारतीयों ने बेरोज़गारी या कर्ज़ की वजह से आत्महत्या कर ली। देश में बेरोजगारी का मुद्दा कितना बड़ा है, इसे इस तरह समझा जा सकता है कि संसद के बजट सत्र में अभी तक इस मुद्दे को लेकर ही विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की है। यूपी चुनाव से लेकर सदन तक विपक्ष सरकार को बेरोजगारी के मुद्दे पर ही घेर रहा है। 

इस बीच बेरोजगारी को लेकर केंद्र सरकार ने राज्यसभा में कुछ अहम जानकारी पेश की है। सरकार ने बताया है कि 2018 से 2020 के बीच 25 हजार से अधिक भारतीयों ने या तो बेरोजगारी के कारण या फिर कर्ज से दुखी होकर आत्महत्या की है। राज्यसभा में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि 2018 से 2020 के बीच 25,231 भारतीयों ने बेरोजगारी और कर्ज की वजह से दुखी होकर आत्महत्या की है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इसमें से 9140 लोगों ने बेरोजगारी के कारण तो वहीं 16091 लोगों ने कर्ज से दुखी होकर सुसाइड किया है। केंद्रीय मंत्री ने ये जानकारी राज्यसभा में पूछे गए एक लिखित प्रश्न के जवाब में दी। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि ये आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं।

सरकार के द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 2018 के मुकाबले 2020 में बेरोजागीर से होने वाली मौतों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। 2018 में बेरोजगारी के कारण जान देने वाले लोगों की संख्या 2741 थी, लेकिन 2020 में ये संख्या 3548 तक पहुंच गई। साल 2019 में 2,851 भारतीयों ने रोजगार नहीं होने की वजह से आत्महत्या की। वहीं 2020 में कर्ज से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या में गिरावट भी देखी गई। कर्ज से दुखी होकर आत्महत्या करने वालों की संख्या में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। 2018 में दिवालियेपन और कर्ज के कारण आत्महत्या करने वाले लोगों की संख्या 4,970 थी, जबकि 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 5,908 हो गया। 2020 में, यह 600 से अधिक मौतों से घटकर 5,213 हो गया।

गौरतलब हो कि 31 जनवरी से शुरु हुए बजट सत्र में बेरोजगारी का मुद्दा छाया हुआ है। विभिन्न विपक्षी दलों के सांसदों ने सदन में इस मुद्दे को उठाया है और सरकार पर आरोप लगाया है कि बजट में सरकार ने रोजगार के लिए कुछ नहीं किया है। विपक्ष का आरोप है कि कोरोना काल में सरकार की नीतियों ने बेरोजगारी को और बढ़ाया है। राय ने बुधवार को कहा कि सरकार मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करके और रोजगार के अवसर पैदा करके इस मुद्दे का समाधान करना चाह रही है।

इन सब के बीच एनसीआरबी डेटा के मुताबिक़, 2020 में बेरोज़गारों द्वारा आत्महत्या के मामले में कर्नाटक सबसे आगे था जहां 720 लोगों ने सुसाइड किया। इसके बाद महाराष्ट्र (625), तमिलनाडु (336), असम (234) और उत्तर प्रदेश (227) थे। बेरोजगारी को लेकर संसद में बात तो उठ रही है पर जो बेरोजगार पीड़ित हैं वे अपने घरों में शांत बैठे हैं।ऐसा लगता है अब देश में क्रांति का पतन हो चुका है वरना वो दिन भी याद है जब वीपी सिंह की सरकार ने मंडल आयोग लाई थी तो पूरे देश के युवा सड़क पर उतर गए थे।