बस्तर का एक युवा नेता ऐसा भी जिसकी सूध कांग्रेस ने ठीक से कभी नहीं ली बावजूद पार्टी के लिए डटा हुआ है...

बस्तर का एक युवा नेता ऐसा भी जिसकी सूध कांग्रेस ने ठीक से कभी नहीं ली बावजूद पार्टी के लिए डटा हुआ है...

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ कांग्रेस पार्टी में कहने को तो लाखों नेता हैं जो पार्टी को मजबूती देने लगे रहते हैं,पर विपरीत परिस्थितियों में जो पार्टी के लिए अपनी जानजोखिम डाल कर काम करने वालों की माजदा रखते हों बहुत कम मिलते हैं। ऐसा ही एक नाम बस्तर क्षेत्र सुकमा से दुर्गेश राय का है जो बिगत 25-30 वर्षों से कांग्रेस पार्टी के लिए लगातार जुड़ा हुआ है,पर जिस तरह से दुर्गेश राय का कांग्रेस पार्टी के लिए समर्पण रहा है,उस हिसाब से पार्टी ने उसकी सुध आज तक नहीं ली।

शुरुआती दिनों में तो दुर्गेश राय को छात्र संगठन में पदाधिकारी इसलिए बना दिया जाता था कि सुकमा जैसे अतिसंवेदनशील मावोवादी इलाके में संगठन को चलाने वाला कोई मिलता नहीं था।बावजूद दुर्गेश राय को जानने वालों को यह भलीभांति याद है उस जमाने में भी दिल्ली में कोई राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित हो तो बस्तर अंचल से छात्रों को दिल्ली ले जाने की ललक व इच्छाशक्ति हुआ करती थी। दुर्गेश की यही इच्छाशक्ति व कांग्रेस के प्रति समर्पण की भावना ने आज भी उन्हें कांग्रेस के बीच जिंदा रखा है और बस्तर की चर्चा जब भी होती है तो कांग्रेस के सक्रिय नेताओं की सूची में दुर्गेश का नाम अवश्य लिया जाता है।इतना ही नहीं दुर्गेश की लोकप्रियता ऐसी की जब युवक कांग्रेस में वोटिंग के माध्यम से पदाधिकारी चुनने की बारी आई तो धनबल से दूर इस युवा को पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा वोट मिलने वालों में तीसरा स्थान रहा।

बस्तर क्षेत्र में जब भी कोई चुनाव हो पूरी ईमानदारी से काम करने की यदि किसी की पहचान है तो दुर्गेश राय का आता है। कोंटा कि चुनावी समर में दुर्गेश को ऐसे क्षेत्रों का चार्ज दिया जाता हैं जहाँ सुबह जावो तो जरूरी नहीं कि शाम को सही सलामत लौट कर भी आने की उम्मीद हो। बावजूद दुर्गेश अपनी जिम्मेदारियों से कभी पीछे नहीं रहे। दुर्गेश आज भी आर्थिक अभाव में राजनीति से जुड़े हुए हैं।आर्थिक लाभ से जुड़ा कोई काम हो तो दूसरे लोग उसी के सामने पलक झपकते छीन ले जाते हैं। ऐसा भी नहीं कि प्रदेश के मुख्यमंत्री दुर्गेश की सक्रियता से अनजान हैं,पर दुर्गेश का सरल स्वभाव वर्तमान राजनीति से परे है।बस्तर के युवा सांसद दीपक बैज इस बात की खबर जरूर लेते रहते हैं कि दुर्गेश को किस तरह से मदद किया जाए।कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव व विधायक विकास उपाध्याय को अपना राजनैतिक गुरु मानने वाले दुर्गेश के लिए इतना पर्याप्त होता है कि वे जब रायपुर में रहें विकास उपाध्याय से मुलाकात करने समय का कोई पाबंद नहीं रहता।

बस्तर अंचल आदिवासी बहुल क्षेत्र है।मावोवादियों कि दहशद के बीच यहाँ की राजनीति कितना कठिन व आग के ऊपर चलने से भी भयावह है,इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहाँ कितनी राजनीतिक हत्याएं हुई है।कांग्रेस के एक नेता को जिंदा रहते तक कब एक अवसर पार्टी की ओर से मिल जाये यही शौभाग्य वाली बात होती है। दुर्गेश के लिए तो ये भी नहीं है क्योंकि वह पिछड़ा वर्ग से आता है और चुनाव लड़े जाने वाले अंचल की लगभग सभी सीटें आरक्षित होते हैं।ऐसे में एक राह भर शेष रह जाता है कि 15 वर्षों बाद सत्ता में आई कांग्रेस पार्टी की सरकार ही इस नेता के बारे में विचार कर किसी आयोग,मंडल में स्थान दे ताकि एक असल कार्यकर्ता का सम्मान बना रहे।