तो क्या रमेश बैस या अजय चंद्राकर में से कोई होगा, विधानसभा चुनाव में भाजपा के मुख्यमंत्री का अगला चेहरा!
रायपुर।छत्तीसगढ़ में सत्तासीन कांग्रेस सरकार के कैप्टन भूपेश बघेल की प्रदेश में दिनबदिन बढ़ती लोकप्रियता व देश की राजनीति में बढ़ते कद को कैसे मात दी जाय की उधेड़बुन में लगी भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती अब ये बन गई है कि भूपेश बघेल के सामने उनकी पार्टी का चेहरा कौन होगा। भाजपा के शीर्ष नेताओं से लेकर राज्य के तमाम भाजपा के कद्दावर नेता अगले विधानसभा चुनाव 2023 में छत्तीसगढ़ की सत्ता में वापसी को लेकर अभी से एड़ी चोटी एक कर दिए हैं।तमाम नेता इस प्रयास में लग गए हैं की आगे की रणनीति क्या होनी चाहिए,तो भूपेश बघेल का काट क्या है। पार्टी के नेता चुनाव के ढाई साल पहले ही जिस तरह से लगातार बैठकें कर सक्रिय हो गए हैं, निश्चित तौर पर भाजपा की ये घबराहट के साथ ही खोई हुई जमीन को वापस तलासने वाली बात है।इस बीच प्रदेश प्रभारी डी पुरदेंश्वरी के उस बयान पर भी गौर करने वाली बात है कि अगले चुनाव में पार्टी का चेहरा कौन होगा को लेकर किसी का नाम नहीं लिया है,तो क्या इस बार डॉ रमन सिंह से इतर देर सबेरे कुर्मी समुदाय के ही प्रभावशाली व्यक्ति व भाजपा से कई बार के सांसद वर्तमान में झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस या अजय चंद्राकर जैसे कद्दावर नेता को भाजपा का अगला चेहरा बनाया जाएगा।
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में 15 वर्ष बाद भारी बहुमत के साथ कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ की सत्ता में वापसी की थी। भूपेश बघेल के नेतृत्व में लड़ा गया यह चुनाव जहाँ किसानों के इर्दगिर्द उनके हित को लेकर लड़ा गया था तो लगातार 15 वर्षों तक भाजपा सरकार के खिलाफ पूरे प्रदेश में एन्टीकंबेंसी का एक माहौल भी प्रमुख कारण रहा और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बन गए। विशुद्ध रूप से किसान पुत्र भूपेश बघेल की कार्यप्रणाली प्रदेश के किसानों को भा गई और नित नए योजनाओं से किसानों के हित की बात और काम कर भूपेश बघेल की लोकप्रियता समय के साथ प्रदेश में बढ़ती गई।इसके साथ-साथ पार्टी हाईकमान द्वारा भी उन्हें देश के कई राज्यों में हुए चुनावों में अहम जिम्मेदारी दी गई और राष्ट्रीय राजनीति में भी उनका दबदबा बढ़ता गया। ढाई साल के अपने कार्यकाल में उन्होंने कई उपलब्धि हासिल की तो समय के साथ भाजपा के लिए भी एक चुनौती बनते नजर आए।हाल ही के दिनों भाजपा प्रभारी डी पुरदेंश्वरी ने इस बात को पार्टी के अंदर सार्वजनिक रूप से स्वीकार भी किया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद एक किसान हैं जो भाजपा की सबसे बड़ी चुनौती है।
छत्तीसगढ़ में जब अगले विधानसभा चुनाव को लेकर 29 माह भर शेष हैं तो भाजपा फिर से एक बार सत्ता में वापसी को लेकर अपनी सक्रियता अभी से बड़ा दी है। बावजूद भाजपा के सामने सबसे बड़ा सवाल है। आखिर छत्तीसगढ़ में पार्टी का चेहरा कौन होगा? क्योंकि कांग्रेस पार्टी के पास भूपेश बघेल जैसा वो चेहरा है कि उनकी लोकप्रियता के सामने भाजपा के तमाम नेता फीके पड़ते नजर आ रहे हैं।पिछड़े वर्ग से आने वाले भूपेश बघेल आज वो चेहरा हैं जिसे खुद नरेन्द मोदी अपने केन्द्र की सरकार में इस वर्ग को आगे करने के एजेंडा में काम कर रहे हैं और हाल ही में हुए मंत्रिमंडल के विस्तार में भी इस वर्ग को प्रतिनिधित्व दे कर संदेश भी दिया है कि भाजपा पिछड़े वर्ग का हितैषी है। वाजपेयी के कार्यकाल में बीजेपी 'अपर कास्ट' (यानी ब्राह्मण, राजपूत, बनिया) और 'अपरक्लास' (शहरी इलाके में रहने वालों) की पार्टी मानी जाती थी। साल 2014 से 2019 के बीच जब बीजेपी 30 फ़ीसदी से ऊपर वोट प्रतिशत हासिल कर ली। उसमें 'अपर कास्ट' और 'अपर क्लास' की भागीदारी तो थी ही, साथ ही बीजेपी के साथ बड़ी संख्या में ओबीसी और दलित भी आए।बीजेपी ने 2014 में ही इस प्लान को समझ लिया था। इसलिए तब से अब तक ये इस मिशन पर काम कर रहे हैं।
अब सवाल ये उठता है कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में भाजपा के पिछड़े वर्ग के नेताओं का दिन क्या अब फिरने वाला है।जब उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया जाएगा।ऐसे ही नेताओं में सुमार पूर्व मंत्री व वर्तमान में कुरूद से विधायक अजय चंद्राकर का है,जो तेजतर्रार तो हैं ही साथ में हर विषय पर गहरी पैठ भी रखते हैं।कहा जाता है अजय चंद्राकर से किसी भी विषय पर चर्चा कर लीजिए उन्हें इसका महारत हासिल है। गांधी से लेकर सावरकर तक के विषय पर कोई उनसे बहस नहीं कर सकता। ऐसा ही विधानसभा में वे प्रश्न पूछने से लेकर बहस तक तार्किक रूप से आगे रहते हैं।भूपेश बघेल के सामने भाजपा का एक मजबूत चेहरा अजय चंद्राकर का हो सकता है,जो कुर्मी समाज के साथ-साथ एक किसान भी हैं और कई बार के विधायक व केबिनेट मंत्री रह चुके भाजपा के वरिष्ठतम सदस्य हैं।इसके अलावे एक नाम जो राजनीति के गलियारों में सुनाई दे रहा है।वह रमेश बैस का है। रमेश बैस को पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी ने चुनाव लड़ने से वंचित कर दिया था।जबकि वे सात बार के सांसद रह चुके हैं और एक बार तो रायपुर लोकसभा सीट से ही वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी हरा चुके हैं।पिछली बार टिकट न मिलने के बाद भी उन परिस्थितियों में पार्टी के प्रति जो उनकी निष्ठा व संयमता दिखाई, उन्हें उसका प्रतिफल भी मिला और वे पहले त्रिपुरा और हाल ही में झारखंड के राज्यपाल बनाये गए हैं।कहा ये जा रहा है कि आगामी चुनाव में उन्हें वापस छत्तीसगढ़ बुला कर पार्टी का चेहरा बनाया जा सकता है। ज्ञात रहे कि रमेश बैस कुर्मी समाज के एक बड़ा चेहरा व किसान पुत्र हैं।