मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बिहारपुर-चांदनी क्षेत्र के पहाड़ी गांवों में निवासरत विशेष पिछड़ी जनजाति पण्डो के सर्वसुविधायुक्त व्यवस्थापन की व्यवस्था करने विधायक राजवाड़े को चर्चा करने अधिकृत किया

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बिहारपुर-चांदनी क्षेत्र के पहाड़ी गांवों में निवासरत विशेष पिछड़ी जनजाति पण्डो के सर्वसुविधायुक्त व्यवस्थापन की व्यवस्था करने विधायक राजवाड़े को चर्चा करने अधिकृत किया

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज फिर एक बार साबित कर दिया कि वे संवेदनशीलता की पराकाष्ठा हैं।भटगांव विधायक व शासन में संसदीय सचिव पारसनाथ राजवाड़े अपने विधानसभा क्षेत्र के ऐसे ही एक विषय को लेकर मुख्यमंत्री बघेल से आज मिले जिसका संबंध जीत हासिल करने वोट से कदापि नहीं है।बल्कि यह सिर्फ और सिर्फ मानवीयता को लेकर है।  सूरजपुर जिले के बिहारपुर-चांदनी क्षेत्र के वनांचल में पहाड़ी पर बसे गांवों में मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते यहां निवासरत विशेष पिछड़ी जनजाति पण्डो के सर्वसुविधायुक्त व्यवस्थापन को लेकर उनकी व्यवस्था करने मुख्यमंत्री ने पूरा घटनाक्रम सुनने के बाद सहमति ही नहीं जताई बल्कि विधायक राजवाड़े को अपना प्रतिनिधि बना कर इन परिवारों से चर्चा करने कल ही हेलीकॉप्टर से जाने भी कहा है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संसदीय सचिव एवं भटगांव विधानसभा क्षेत्र के विधायक पारसनाथ राजवाड़े को बिहारपुर-चांदनी क्षेत्र के पहाड़ी ग्राम बैजनपाठ, तेलाईपाठ, लुल्हभुण्डा एवं दुधनिया में रहने वाले पण्डो जनजाति परिवारों से उनके व्यवस्थापन के संबंध में चर्चाकर सहमति प्राप्त करने और उनकी सहमति के आधार पर ही उक्त गांवों के आसपास उपयुक्त भूमि के चिन्हांकन की जिम्मेदारी सौंपी है, ताकि पण्डो परिवारों को बिजली, पानी, सड़क आदि मूलभूत सुविधाएं सहित आवास उपलब्ध कराया जा सके।

ज्ञातव्य हो कि सूरजपुर जिले के ओड़गी विकासखण्ड के ग्राम बैजनपाठ, तेलाईपाठ, लुल्हभुण्डा एवं दुधनिया में लगभग सौ-सवा-सौ पण्डो परिवार वर्षाें से निवासरत है। पहाड़ी पर बसे होने के कारण यहां बिजली, पानी और सड़क जैसी सुविधाओं का अभाव है। पण्डो जनजातियों के 70-80 परिवार मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते अपने गांव को छोड़कर बीते 04 जनवरी से पहाड़ के तराई वाले कोलुहा जंगल क्षेत्र में आ गए हैं। संसदीय सचिव पारसनाथ राजवाड़े ने पण्डो परिवारों की उक्त समस्याओं और मांगों के मद्देनजर आज यहां मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर उनका ध्यान आकर्षित किया और इस संबंध में ज्ञापन सौंप कर इन जनजाति के जीविकोपार्जन को लेकर पूरी वृतांत बताया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पूरे घटनाक्रम को गंभीरता से लेते हुए संसदीय सचिव राजवाड़े को पण्डो जनजातियों के सुव्यवस्थित व्यवस्थापन के संबंध में तत्काल कार्रवाई की बात कही।

संसदीय सचिव एवं भटगांव के विधायक पारसनाथ राजवाड़े ने बताया कि उक्त चारों गांवों में पेयजल की व्यवस्था के लिए बीते मई-जून महीने में मध्यप्रदेश राज्य के बैढन इलाके की ओर से बोर खनन मशीन भेजकर जगह-जगह दर्जन भर नलकूप खनन कराए गए, परन्तु सफल नहीं हुए। उक्त चारों गांवों में आवागमन की सुविधा के लिए डीएमएफ फंड से 50 लाख रूपए की स्वीकृति भी दी गई है। पहाड़ी पर बसे उक्त गांवों में पहुंचने के लिए 6 से 7 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता हैं। इन गांव में पेयजल की व्यवस्था के लिए सोलर पंप भी स्थापित किए गए थे, परन्तु वनाच्छादित क्षेत्र होने के कारण सोलर पंप भी सफल नहीं हुए हैं। उन्होंने कहा कि उक्त चारों गांवो में निवासरत पण्डो परिवारों को उनकी सहमति के आधार पर उपयुक्त स्थल पर मूलभूत सुविधाओं सहित रहवास की व्यवस्था की जाएगी। गौरतलब हो कि यह एक ऐसी समस्या है जिसका वोट की राजनीति से कोई संबंध नहीं रखता। इस जनजाति के कुल लोगों की संख्या 1200 के करीब है जिसमें मुश्किल से 4-5 सौ वोटर होंगे। परन्तु इनके जीवनयापन व भविष्य की आज तक किसी ने सुध नहीं ली क्षेत्रीय विधायक राजवाड़े की इस पहल से पूरे प्रदेश में संदेश गया है कि कांग्रेस शासन काल में एक ऐसा मुख्यमंत्री मिला है जो हर वर्ग की खुशहाली चाहता है और उनकी समस्याओं को सिर्फ सुनता ही नहीं है।बल्कि त्वरित कार्यवाही भी करता है।