पेट्रोल-डीजल के बढ़े दाम को लेकर सोशल मीडिया से संसद तक हंगामा पर आश्चर्य है आम लोगों के बीच इसका कोई रिएक्शन नहीं

पेट्रोल-डीजल के बढ़े दाम को लेकर सोशल मीडिया से संसद तक हंगामा पर आश्चर्य है आम लोगों के बीच इसका कोई रिएक्शन नहीं

दिल्ली डेस्क। देश में पेट्रोल और डीजल के दामों में 137 दिनों के बाद आज से बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू हो चुका है।हालांकि, इसकी उम्मीद पांच राज्यों में चुनाव खत्म होने के बाद से ही की जा रही थी। दाम बढ़ने के साथ ही सोशल मीडिया से लेकर संसद तक इसका असर देखने को मिला है। परंतु सबसे जो महत्वपूर्ण बात है आम उपभोक्ता या कहें आम लोगों में इस बढ़ोतरी को लेकर कोई रिएक्शन नहीं है।ऐसा लगता है देश की जनता ने अब यह मान लिया है कि बढ़ती महंगाई अब उनके साथ जीवन भर रहने वाली है या देश के लोगों ने यह मानना शुरू कर दिया है कि मोदी ऐसा कर भी उनके भविष्य के लिए कुछ अच्छा ही सोच  रहे होंगे। विपक्ष का विरोध संसद के चार दिवारी तक सिमट कर रह जा रही है,तो सड़क पर लड़ाई लड़ना विपक्ष भूल चुकी है।इसी को कहते हैं मोदी युग।जहाँ कुछ भी हो रहा है वह जनता की भलाई के लिए हो रहा है सबने मान दिया है।

बीते साल 4 नवंबर, 2021 के बाद से भारत में पेट्रोल-डीज़ल के दाम स्थिर थे।उस समय नरेंद्र मोदी की सरकार ने पेट्रोल पर पांच रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी घटाई थी। इसके बाद अधिकतर राज्य सरकारों ने भी स्थानीय सेल्स टैक्स या वैट घटा दिए थे।टैक्स में कटौती से पहले भारत में पेट्रोल की कीमतें अपने रिकॉर्ड उच्चतम स्तर यानी 110.04 रुपये प्रति लीटर और डीज़ल के दाम 98.42 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गए थे। मोदी सरकार ने तेल के दामों में कटौती का निर्णय तब लिया था जब देश के कुछ राज्यों में हुए उप चुनाव में भाजपा को अपेक्षानुरूप जीत हासिल नहीं हुई थी। जिसे भी विपक्ष ने खूब मुद्दा बनाया। इसके कुछ महीनों बाद हाल ही में हुए पांच राज्यों के चुनाव परिणामों से लगता है जनता ने फिर से अपनी भूल सुधार कर भाजपा को पांच में से चार राज्यों में ऐतिहासिक जीत दिला कर बता दिया कि मोदी जी हम हर परिस्थिति में आपके साथ हैं और मोदी जी भी निश्चिंत हो गए और अब निर्णय लेना शुरू कर दिया।

मंगलवार को राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होने के एक घंटे बाद ही स्थगित हो गई। कांग्रेस, टीएमसी सहित सभी विपक्षी पार्टियों ने पेट्रोल-डीज़ल और एलपीजी सिलेंडर के दाम बढ़ने को लेकर विरोध जताया।
टीएमसी सदस्य तख्तियां लेकर सदन के वेल में पहुंच गए। उधर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, लेफ्ट और शिवसेना के सांसद भी खड़े होकर नारेबाज़ी करते रहे। भारी हंगामे के बीच उपसभापति वेंकैया नायडू ने सांसदों को चेतावनी भी दी लेकिन नारेबाज़ी जारी रही। आखिरकार राज्यसभा की कार्यवाही 2 घंटे के लिए स्थगित कर दी गई।

कमोबेस यही स्थिति लोकसभा में भी रही विपक्ष ने पेट्रोल-डीज़ल के बढ़े दाम वापस लेने की मांग पर भारी हंगामा किया और बाद में सदन से वॉकआउट कर गया। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सदन में एनसीपी और कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा और सवाल किया कि जब रूस से "भारी छूट" पर तेल खरीदा जा रहा है तो कीमत बढ़ाने की क्या ज़रूरत है।

कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी ने तंज़ भरे अंदाज़ में ट्वीट किया, "गैस, डीज़ल और पेट्रोल के दामों पर लगा लॉकडाउन हट गया है। अब सरकार लगातार कीमतों का विकास करेगी। महंगाई की महामारी के बारे में प्रधानमंत्री जी से पूछिए, तो वो कहेंगे थाली बजाओ।"

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "हमने कहा था कि विधानसभा चुनाव के बाद तेल की कीमतें तेज़ी से बढ़ेंगीं। हम सही साबित हुए। मोदी सरकार ग़रीबों को लूटने का मौका नहीं छोड़ती। हम आम जनता की खातिर लोकसभा के अंदर और बाहर इसके ख़िलाफ़ खड़े हैं।"

समाजवादी पार्टी की सांसद और अभिनेत्री जया बच्चन ने भी बीजेपी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "सरकार ऐसा ही करती है। अखिलेश यादव ने अपने चुनावी अभियान में लगातार कहा कि आप लोगों को सतर्क रहना चाहिए, चुनाव के बाद दाम बढ़ेंगे। मैं नहीं जानती इन्हें कौन सत्ता में लाया है।नेताओं से इतर पेट्रोल डीज़ल और घरेलू गैस की कीमत में इज़ाफे को लेकर आम लोगों में कोई खास प्रतिक्रिया नहीं है।