अखिलेश की सरकार बनी तो यूपी में भी लागू होगा पुरानी पेंशन योजना इसके साथ ही पूरे देश के कर्मचारी होंगे लामबंद

अखिलेश की सरकार बनी तो यूपी में भी लागू होगा पुरानी पेंशन योजना इसके साथ ही पूरे देश के कर्मचारी होंगे लामबंद

लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषणा के पश्चात् जहाँ राजस्थान के कर्मचारियों ने जगह-जगह जुलुस निकालकर खुशियाँ मना रहे हैं, वहीं यूपी के लाखों कर्मचारियों को इस बात को लेकर अखिलेश सरकार का इंतजार है इसलिए कि उन्होंने 24 जनवरी 2022 को ही लखनऊ में एक बड़ा राजनैतिक दाँव खेलते हुए इस बात की घोषणा कर चुके हैं कि समाजवादी की सरकार बनी तो यूपी में भी पुरानी पेंशन योजना की बहाली की जाएगी। उनके इस घोषणा के बाद से ही यूपी के लाखों की संख्या में कर्मचारियों का रूझान अखिलेश की सरकार बनने के इंतजार को लेकर लगी हुई है और कहीं यूपी में यह योजना लागू हुई तो पूरे देश में सरकारी कर्मचारी लामबंद हो जाएंगे।

गौरतलब हो कि तात्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपयी की केन्द्र सरकार ने अप्रैल 2005 के बाद के नियुक्तियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बंद कर नई पेंशन लागू कर दी थी। तब यूपी में मुलायम सिंह यादव की सपा सरकार थी। हालांकि तब बाजपयी सरकार ने इसे लागू करने के लिए राज्य सरकारों को अनिवार्य नहीं कहा था। इसके बाद भी अधिकतर राज्यों ने अपने यहाँ नई पेंशन योजना को लागू कर दिया। कहा जाता है तब कर्मचारियों को नई पेंशन योजना की समझ नहीं थी। उन्हें लग रहा था कि नई पेंशन योजना से रिटायरमेंट के बाद उन्हें पुरानी पेंशन योजना से भी ज्यादा लाभ मिलेगी, परन्तु समय के साथ जब कर्मचारियों को यह समझ आया कि इसका उन्हें जबरदस्त नुकसान हो रहा है तो नई पेंशन योजना के विरूद्ध कर्मचारियों का विरोध शुरू हो गया और काफी अरसे बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एकाएक पुरानी पेंशन योजना को लागू कर अखिलेश की घोषणा को भी पीछे छोड़ दिया।

उत्तर प्रदेश में कुल 7 चरणों में से 4 चरणों के चुनाव हो चुके हैं और गहलोत सरकार के इस निर्णय की खबर ऐसे समय में आई है जब यूपी में 3 चरण के चुनाव शेष हैं और इस मुद्दे ने फिर से एक बार यूपी के चुनाव में बड़ा मुद्दा बन गया है। यूपी के कर्मचारी ठीक राजस्थान की तरह खुश हैं जिसका अखिलेश यादव को चुनावी लाभ मिलता तय है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पुरानी पेंशन योजना लागू होने से सरकारी खजाने पर फिलहाल 10 साल तक कोई आर्थिक बोझ नहीं पड़ने वाला है और यह एक ऐसा मुद्दा है जिसमें यूपी के लगभग 28 लाख से भी ज्यादा कर्मचारीयों का सीधा वास्ता है, जिसमें शिक्षक वर्ग का एक बड़ा समूह जुड़ा होता है। अगर यह वर्ग समाज सहित अपने परिवार की सहमति किसी एक पार्टी के लिए बना देता है तो एक करोड़ से भी ज्यादा लोगों का समर्थन सीधे तौर पर अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी पर पड़ेगा।

आश्चर्य की बात है कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार ने जिसे लागू करने विलंब नहीं की, जबकि वहाँ चुनाव को लगभग दो साल शेष है। यूपी में कांग्रेस पार्टी ने पुरानी पेंशन योजना को लेकर कोई जिक्र नहीं किया है। हालांकि इस मुद्दे से यूपी में भाजपा भी दूर रही, जिसके पीछे तर्क यह बताया जाता है कि भाजपा की सरकारें कई राज्यों में है और यदि यूपी में इसे लागू किया गया तो दूसरे राज्यों में भी यह मांग उठेगी। परन्तु जिस तरह से कर्मचारी हित को लेकर पेंशन योजना का मुद्दा एक बड़ा मुद्दा बनते जा रहा है और यूपी में अखिलेश सरकार आई तो वहाँ के कर्मचारियों को इसका फायदा भी होगा, साथ ही यूपी जैसे बड़े राज्य में यह लागू होने के बाद पूरे देश में इस तरह की मांग बलवती होगी तय है।