Exclusive: प्रदेश में एक विधायक ऐसा भी जिसकी टिकट भी पक्की, जीत भी पक्की और चुनाव के लिए फण्ड भी...पर कैसे? पढ़िए इनसाइड स्टोरी...।

Exclusive: प्रदेश में एक विधायक ऐसा भी जिसकी टिकट भी पक्की, जीत भी पक्की और चुनाव के लिए फण्ड भी...पर कैसे? पढ़िए इनसाइड स्टोरी...।

रायपुर(छत्तीसगढ़)।प्रदेश में आने वाले कुछ महीनों में विधानसभा के चुनाव होने हैं।ऐसे में सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस की कोशिश होगी कि वह सत्ता में दोबारा वापसी करे तो,भाजपा चाहेगी उसकी खोई हुई सत्ता में फिर से वापसी हो जाये।इस बीच आसन्न चुनाव में कांग्रेस के कई दिग्गजों द्वारा इस बार के चुनाव में उन्हें टिकट फिर से मिलने और न मिलने से लेकर चुनाव लड़ने और न लड़ने पर आ रहे बयानों ने हैरान कर रख दिया है।ऐसे कांग्रेस के दिग्गजों की फेहरिस्त में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव,आबकारी मंत्री कवासी लखमा से लेकर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत तक सम्मिलित हैं।इन सब के बीच शहरी क्षेत्र रायपुर पश्चिम के कांग्रेस विधायक विकास उपाध्याय को लेकर कहा जा रहा है कि उनकी टिकट भी पक्की,जीत भी पक्की और चुनाव में खर्च के लिए फण्ड का इंतजाम में फिक्स है।आइये यह सब कैसे जानते हैं विस्तार से।

विकास उपाध्याय कांग्रेस के ऐसे युवा नेता हैं,जो जमीनी कार्यकर्ता की हैसियत से ऊपर उठ कर इस मुकाम को हासिल किया है।विकास उपाध्याय को खुद बैनर पोस्टर चिपकाने से लेकर उन सारी कार्यकलापों से कभी परहेज नहीं रहा,जो कांग्रेस का एक सामान्य कार्यकर्ता करता है।संगठन में उनकी उपस्थिति प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में दो दशकों से लगातार बनी हुई है।चाहे केन्द्र और राज्य में कांग्रेस की सरकार रहे मत रहे।इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि विकास उपाध्याय की उपयोगिता संगठन और कांग्रेस पार्टी में कितनी है।

व्यक्ति विशेष की राजनीति में अहम रोल-

विकास बेहद ही परिश्रमी लीडर हैं और अपने समर्थकों से जबरदस्त सहानुभूति भी उन्हें मिलती है। उनके समर्थक उन्हें एक साधारण व्यक्ति के रूप में देखते हैं जो एक बेहद साधारण जीवन जीता है। उनके लिए विकास उपाध्याय आकर्षक हैं क्योंकि वह फिट हैं, वे दिखावटी या आडंबर से भरे नहीं हैं और यह भी बहुत महत्वपूर्ण है कि वे सार्वजनिक रूप से बेदाग हैं।उनसे जुड़े लोग इस बात की परवाह नहीं करते कि उनकी अनुपस्थिति में दूसरा जो सुन रहा है,वह क्या व्यवहार कर रहा है।हम तो सीधे विधायक से बात कर लेंगे की तर्ज पर उनसे अटूट जुड़ाव उन्हें और भी मजबूत करती है।यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि वह 50 से कम साल के हैं और उनका ये करिश्मा आने वाले वक्त में और भी बढ़ती नजर तो आएगी ही साथ ही वे प्रदेश की राजनीति में प्रथम पंक्ति के नेताओं में सुमार भी हो जाएंगे।लोगों की यही धारणा उनका वर्तमान में काम हो रहा या नहीं कि परिस्थिति को प्रभावित नहीं कर पाती।यही उनकी व्यक्ति विशेष की राजनीति है जिसमें वे सफल हैं।

विकास उपाध्याय को पश्चिम में चुनौती देने वाला पार्टी में कोई नहीं-

विकास उपाध्याय अब तक दो बार विधानसभा के चुनाव मैदान में उतरे हैं।पहली बार उन्हें जब चुनाव में टिकट मिली तो कई सीनियर लीडर भी लॉबिंग कर रहे थे।बावजूद बगैर कोई संघर्ष के विकास उपाध्याय को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया।कहा जाता है उनकी टिकट सीधे दिल्ली से तय हो गई थी और उन्होंने उसी ऊर्जा के साथ चुनाव लड़ा भी।परंतु भाजपा के कद्दावर मंत्री मूणत के धन बल के सामने थोड़े पीछे हो गए और महज कुछ हजार वोटों से चुनाव हार गए।बावजूद मूणत के जीत की अपेक्षा विकास के हार की चर्चा सालों तक होती रही और उन्होंने मैदान नहीं छोड़ा बल्कि दोगुना मेहनत से नए चेहरों को अपने साथ जोड़ते चले गए।नतीजन साल 2018 के चुनाव में उन्हें निर्णायक जीत मिली और वे लगातार सक्रिय रह कर एक सच्चे जनप्रतिनिधि होने का परिचय दिया है।उनकी कार्यप्रणाली और संगठन में दिल्ली तक मजबूत पकड़ के चलते कोई वजह नहीं जो उनकी टिकट कट जाए और न ही कांग्रेस में कोई ऐसा नेता है जो उन्हें उनके विधानसभा में चुनौती दे सके।

विकास चुनाव लड़ने किसी और माध्यम पर निर्भर न हो कर कर्ज में विश्वास रखते हैं-

भारत में चुनाव लोकतांत्रिक तरीकों से होते तो हैं पर जिस तरह से अब इसका प्रचार प्रसार से लेकर सब कुछ हाईप्रोफाइल नए टेक्नोलॉजी में होने लगा है।चुनाव सभाएं,  रैलियों का आयोजन से लेकर बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को खुश रखना,यह सब कुछ बगैर पैसे के सम्भव नहीं है।बल्कि चुनाव बहुत खर्चीला होते जा रहा है ऐसे में उम्मीदवार के पास फण्ड होना जरूरी है। विकास उपाध्याय वह नेता हैं,जिनका खुद का कोई व्यवसाय नहीं न ही परिवार में कोई बड़ा प्रतिष्ठान जिसके बदौलत यह कहा जा सके कि चुनाव आने दो पैसे की कोई चिंता नहीं है।उन्होंने अब तक के दोनों चुनाव पैतृक संपत्ति बेच कर तो कर्ज लेकर लड़े।उनको चाहने वाले दोस्तों ने भी आर्थिक मदद की।वे खुद भी इस बात को लेकर पहले से तैयार रहते हैं कि कर्ज ले लूंगा पर भ्रष्टाचार के दलदल में छबि खराब नहीं करूंगा।यही वजह है कि उनकी छवि आज भी बेदाग है।

गुटीय राजनीति से परे की छबि-

विकास उपाध्याय ने कभी भी गुटीय राजनीति नहीं कि वे हमेशा पार्टी लाइन में रह कर ही एक दायरे में काम किया।इसका उन्हें कुछ नुकसान भी उठाना पड़ा हो, पर उनकी ये छबि कांग्रेस पार्टी को हमेशा मजबूती प्रदान करते गई।जब भी कोई व्यक्ति पार्टी के बैनर पर चुनाव लड़ा वे पूरी ईमानदारी के साथ उसके पक्ष में काम कर एक सच्चे कांग्रेसी होने का हर बार उन्होंने परिचय दिया और पार्टी के प्रति उनकी अपार यही निष्ठा की प्रवृत्ति ने अन्य गुट के सभी नेताओं को उनसे जोड़ कर रखने मदद की।सभी नेताओं से मधुर संबंध और जनता के बीच भी यही उनका आचरण उन्हें एक निष्ठावान और ईमानदार नेता निरूपित करती है।