महंगाई और बेरोजगारी को लेकर विकास उपाध्याय का आंदोलन क्या बीजेपी के खिलाफ माहौल बन पाएगा?

महंगाई और बेरोजगारी को लेकर विकास उपाध्याय का आंदोलन क्या बीजेपी के खिलाफ माहौल बन पाएगा?

रायपुर(छत्तीसगढ़)।याद करियर बीजेपी के वे नारे जब 'बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार...'
'हम मोदीजी को लाने वाले हैं, अच्छे दिन आने वाले हैं...'
2014 के लोकसभा चुनाव में जब ऐसे नारे सामने आए तो कांग्रेस सरकार से नाखुश जनता को एक उम्मीद दिखी, कि मोदी सरकार आने के बाद वाकई उनके 'अच्छे दिन' आ जाएंगे।इसी उम्मीद से 17 करोड़ से ज्यादा लोगों ने बीजेपी को वोट दे दिया। बीजेपी ने 282 सीटें जीतीं। ये पहली बार था जब किसी गैर-कांग्रेसी पार्टी ने बहुमत हासिल किया था। 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और अब मोदी सरकार को देश की सत्ता में काबिज हुए 9 साल पूरे हो रहे हैं।पर देश में बेरोजगारी और महंगाई कम होने की बजाय इसमें दिनबदिन बढ़ोतरी होते जा रही है।लोग अच्छे दिन की परिभाषा ही भूल गए हैं।क्या इसके लिए कमजोर विपक्ष का होना एक प्रमुख कारण है।ऐसे में युवा सोच के साथ आगे आ रहे कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय सरीखे के नेताओं को आगे कर बीजेपी के खिलाफ रणनीति बनाने की जरूरत है।

'बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार' 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का ये नारा था। लेकिन मोदी सरकार में महंगाई बेतहाशा बढ़ी है। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में तो आग लग गई है। 9 साल में पेट्रोल की कीमत 24 रुपये और डीजल की कीमत 34 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा बढ़ी है। पेट्रोल-डीजल के अलावा गैस सिलेंडर की कीमत भी तेजी से बढ़ी है। मोदी सरकार से पहले सब्सिडी वाला सिलेंडर 414 रुपये में मिलता था। अब सिलेंडर पर नाममात्र की सब्सिडी मिलती है। अभी रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 11सौ रुपये तक पहुंच गई है। इतना ही नहीं, 9 साल में एक किलो आटे की कीमत 52%, एक किलो चावल की कीमत 43%, एक लीटर दूध की कीमत 56% और एक किलो नमक की कीमत 53% तक बढ़ गई है।

मोदी सरकार में बेरोजगारी दर जमकर बढ़ी है। बेरोजगारी के आंकड़ों पर नजर रखने वाली निजी संस्था सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के मुताबिक, अभी देश में करीब 41 करोड़ लोगों के पास रोजगार है। वहीं, मोदी सरकार के आने से पहले 43 करोड़ लोगों के पास रोजगार था।CMEI ने पिछले साल एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें दावा किया गया था कि भारत में अभी 90 करोड़ लोग नौकरी के लिए योग्य हैं। इनमें से 45 करोड़ लोगों ने नौकरी की तलाश करना ही छोड़ दिया। यहां तक कि, 2019 के चुनाव के बाद सरकार के ही एक सर्वे में सामने आया था कि देश में बेरोजगारी दर 6.1% है। ये आंकड़ा 45 साल में सबसे ज्यादा था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, मोदी सरकार के आने से पहले देश में बेरोजगारी दर 3.4% थी, जो इस समय बढ़कर 8.1% हो गई है।

आज पूरे देश में लोगों के बीच सबसे बड़ा मुद्दा महंगाई और बेरोजगारी है।जिससे समाज का हर वर्ग प्रभावित है चाहे वह व्यक्ति किसी भी राजनीतिक दल का समर्थक हो या फिर सामान्य व्यक्ति बावजूद यह मुद्दा जिस तरह से आमजन के बीच एक मुद्दा बनना चाहिए।लोगों के बीच चर्चा का विषय होना चाहिए।वैसा नहीं हो पा रहा है,जबकि यूपीए सरकार के समय आज के मुकाबले न ही इतनी महंगाई थी और न ही भ्रष्टाचार फिर भी बीजेपी ने ऐसे हतकंडे अपनाए की तब केन्द्र सरकार के खिलाफ एक नकारात्मक माहौल बनाने के साथ-साथ सरकार की छबि बिगाड़ने सफल हो गई थी।आज के परिवेश में पूरे विपक्ष और कांग्रेस के बड़े नेताओं को विकास उपाध्याय सरीखे नेताओं से सिख लेनी चाहिए कि मोदी सरकार को कैसे घेरा जाए।आज उन्होंने महंगाई को लेकर जो प्रदर्शन किया।सहज ही किसी को भी इस बात के लिए सोचने मजबूर कर सकता है कि वाकई हम किस महंगाई के बुरे दौर से गुजर रहे हैं और क्यों? विपक्ष के नए गठबंधन INDIA को यदि बीजेपी से लड़ना है तो युवा सोच के साथ रोड़ पर आंदोलनरत विकास उपाध्याय के तरीकों को अपनाना चाहिए।