कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक: सचिन पायलट को पीसीसी चीफ बना कर इस बार पूरे पांच साल के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी भी सौंपने की तैयारी

कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक: सचिन पायलट को पीसीसी चीफ बना कर इस बार पूरे पांच साल के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी भी सौंपने की तैयारी

जयपुर(राजस्थान)। प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 से पहले कांग्रेस ने मास्टर स्ट्रोक खेलने की तैयारी कर ली है। पायलट समर्थकों की माने तो राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सचिन पायलट की ताजपोशी तय हो गई है। बताया जा रहा है कि बगैर सचिन पायलट के इस बार भी कांग्रेस का यहाँ सत्ता में वापसी कर पाना मुश्किल है। जिसे लेकर कांग्रेस नेतृत्व अभी से सतर्क है और कहा जा रहा है कि पायलट को इस बात का भरोसा दिलाया जा रहा है कि राजस्थान में इस बार कांग्रेस की सरकार बनी तो पूरे पांच साल के लिए वही मुख्यमंत्री होंगे।

इसका संकेत इस बात से भी चलता है कि पायलट के निवास स्थान पर हाल ही के दिनों समर्थकों का जमावड़ा लगा हुआ है।इससे इतना तो तय है सचिन पायलट फिर से पीसीसी चीफ की जिम्मेदारी संभालने जा रहे हैं। हालांकि पायलट समर्थकों का कहना है इसके लिए कुछ दिन और इंतजार करना पड़ेगा, लेकिन समर्थकों ने पायलट के पीसीसी चीफ बनने का दावा किया है। राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अजय माकन भी सक्रिय हैं और सभी विधायकों- मंत्रियों और ब्लाक अध्यक्षों के साथ मीटिंग ले रहे हैं। यह सब देखकर लगता है कि कांग्रेस आलाकमान पहला कदम बढ़ाते हुए जल्द ही राजस्थान में संगठन स्तर पर फेरबदल करेगा। इसी सिलसिले में प्रदेश प्रभारी अजय माकन 3 अप्रैल को राजधानी जयपुर पहुंच गए है।  

गौरतलब हो कि राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 के समय प्रदेश कांग्रेस पार्टी की कमान सचिन पायलट के हाथ में ही थी। पायलट के नेतृत्व में ही कांग्रेस राजस्थान में सरकार बनाने में सफल रही। चुनावों में जीत के बाद सीएम बनने की दौड़ में सचिन पायलट पिछड़ गए। अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बन गए। डिप्टी सीएम बनाए जाने से नाराज सचिन पायलट ने गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत कर दी थी। पिछले साल बगावत के समय सचिन पायलट को पीसीसी चीफ के पद से हटा दिया गया था। पायलट के स्थान पर सीएम गहलोत के करीबी गोविंद सिंह डोटासरा को अध्यक्ष बनाया गया। पायलट को डिप्टी सीएम पद से भी बर्खास्त कर दिया गया था। गहलोत-पायलट गुट में सुलह होने के बाद से पायलट बिना किसी पद के हैं।

हालांकि गहलोत कैबिनेट के विस्तार एवं राजनीतिक नियुक्तियों में कुछ पायलट समर्थकों को एडजस्ट कर दिया गया, लेकिन पायलट खुद दो साल से बिना किसी पद के हैं। सचिन पायलट राजस्थान छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में पायलट के कद के लिहाज से उन्हें पीसीसी चीफ ही बनाया जा सकता है और इस बार कहीं पार्टी को जीत दिलाने सफल हुए तो पूरे पांच साल के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी भी। इस बात से गहलोत को भी कोई आपत्ति नहीं होगी।

हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद कांग्रेस हाईकमान का फोकस राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ पर है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने तीनों राज्यों में सरकार बनाई थी, लेकिन मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य की बगावत की वजह से भाजपा फिर से सत्ता में आ गई। कांग्रेस राजस्थान में हर हाल में वापसी की कोशिश कर रही है। इसीलिए सचिन पायलट को फिर से पीसीसी चीफ बनाया जाना जरूरी है। पांच राज्यों में सचिन पायलट को स्टार चुनाव प्रचारक बनाया गया था।  कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पायलट को पीसीसी चीफ बनाने के पक्ष में है। इसी के चलते प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की विदाई तय मानी जा रही है।