विधायक विकास उपाध्याय छात्र राजनीति से छत्तीसगढ़ सरकार में संसदीय सचिव तक का पूरा सफर पढ़िये सिर्फ सार्थक न्यूज पर..
रायपुर। आज छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक नाम विकास उपाध्याय जो हर किसी के जुबान पर है,वो यूँ ही नहीं है। उसके पीछे एक लम्बे संघर्ष की कहानी है, जो छात्र राजनीति से शुरू हो कर आज कई उतार चढ़ाव के बाद संसदीय सचिव तक पहुंच गई है। वैसे तो छात्र राजनीति से शुरुआत कर कई नेता आगे बढ़ते हैं। जिसमें अधिकांश तो बीच रास्ते पर ही गुम हो जाते हैं, पर विकास उपाध्याय की उम्र के बहुत कम हैं,जो ये मुकाम हासिल कर पाने सफल हो पाते हैं।
विकास उपाध्याय एक कृषक परिवार से आते हैं। इनके परिवार में दूर दूर तक कोई राजनैतिक परिवेश नहीं है न राजनीति की कोई माहौल है। रायपुर के दुर्गा महाविद्यालय जो तब का पूरे प्रदेश में सबसे बड़ा महाविद्यालय हुआ करता था। इस महाविद्यालय में अध्ययन के दौरान विकास उपाध्याय प्रारंभिक राजनीति की शुरुआत छात्र राजनीति से की थी। बचपन से ही काफी संख्या में मित्र बनाना इनकी आदत सी रही है। व्यवहार से हँसमुख, मिलनसार के साथ-साथ मदतगार होने की वजह से जो भी विकास का दोस्त बना आज तक उनका साथ नहीं छोड़ा। सबसे खास बात जो लोगों को पता नहीं है वो ये की विकास के एक भी दोस्त ऐसा नहीं कि राजनीति को कैरियर बनाया हो। छात्र राजनीति के दौरान भी सभी दोस्त विकास की जीत के लिए ही एक जुट होकर काम करते थे और आज भी जब चुनाव का समय हो तो दिन रात वही दोस्त साथ नजर आते हैं।
छात्र राजनीति में सक्रिय रहने की वजह से छात्र वर्ग में विकास उपाध्याय की पहचान दिनबदिन बढ़ते गई और रायपुर शहर के बाद अविभाजित रायपुर संपूर्ण जिला में छात्र-छात्राएं जानने लगे। इसी बीच कांग्रेस की छात्र इकाई NSUI में ग्रामीण जिलाध्यक्ष की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल गई। तब अविभाजित मध्यप्रदेश का रायपुर जिला क्षेत्रफल व जनसंख्या की दृष्टि से काफी बड़ा हुआ करता था और यहीं से विकास उपाध्याय का टर्निंग पाइंट की शुरुआत हुई। अपने अध्यक्षीय काल में विकास ने इस छात्र इकाई के कार्यप्रणाली को बुलन्दियों तक पहुंचा दिया और इसकी गूंज दिल्ली तक सुनाई दिया। इसी बीच भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के राष्ट्रीय नेतृत्व ने अपने कार्यकारिणी में विकास उपाध्याय को राष्ट्रीय सचिव के रूप में स्थान दे दिया। विकास उपाध्याय कई वर्षों तक छत्तीसगढ़ छोड़ दिल्ली की राजनीति में वहीं सक्रिय हो गए और अपने कार्यो के बलबूते वहाँ भी अमिट छाप छोड़ने कोई कसर नहीं छोड़ी। इस बीच विकास देश के कई राज्यों के प्रभारी सचिव भी रहे।
इस जिम्मेदारी के बाद राष्ट्रीय नेतृत्व ने विकास उपाध्याय को उनकी योग्यता व कार्यप्रणाली को देखते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश NSUI का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। ये वो समय था जब विकास को पूरे छत्तीसगढ़ में अपनी पहचान बनाने के साथ-साथ संगठन को एक नई दिशा देनी थी और उम्मीद से कहीं ज्यादा बढ़ कर विकास उपाध्याय ने NSUI को शहर से लेकर ग्रामीण अंचल के एक-एक महाविद्यालय तक संगठन को पहुंचाने का काम किया। पूरे प्रदेश में एक माहौल निर्मित हो गया कि कांग्रेस का यह छात्र संगठन एक मजबूत इकाई है और इसके चलते विकास उपाध्याय को राष्ट्रीय कार्यक्रम दृष्टिकोण में देश के चुनिंदा प्रदेशों में से एक का चयन कर सोनिया गांधी के हाथों श्रेष्ठ प्रदेश अध्यक्ष का खिताब से नवाजा गया।
विकास उपाध्याय का राजनैतिक सफर इसके साथ ही आगे बढ़ते चला गया और इस जिम्मेदारी के बाद फिर से एक बार राष्ट्रीय नेतृत्व ने राष्ट्रीय युवा कांग्रेस में सचिव के बाद राष्ट्रीय महासचिव की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे दी और ये वो समय था जब राजीव सातव जैसे आज के दिग्गज नेता के नेतृत्व में काम करने का अवसर मिला। बताया जाता है विकास उपाध्याय इस दौरान दिल्ली में इतने ज्यादा ताकतवर हुआ करते थे कि देश के बड़े बड़े नेता भी कुछ देर बात करने घण्टों इंतजार किया करते थे। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तब विकास के प्रभार में देश के 12 से भी ज्यादा सभी बड़े प्रदेश हुआ करते थे और संगठन में तब वो कसावट हुआ करती थी कि गुजरात जैसे कई राज्यों का रिपोर्ट 10 जनपथ के सबसे करीबी नेता अहमद पटेल को सीधे देना होता था, जो विकास उपाध्याय के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी वाली बात थी। इस दौरान राहुल गांधी भी कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हो चुके थे और अधिकांश बैठकों में वे खुद सम्मिलित हो कर सारी चीजों को बारीकी से पूछा करते थे। यही समय था जब राहुल गांधी छत्तीसगढ़ के चुनिंदा लोगों को नाम से जानते थे उसमें विकास उपाध्याय का नाम पहला था।
इसके बाद राहुल गांधी और राजीव सातव की इच्छा थी कि विकास को विधानसभा का चुनाव लड़ाया जाए और तमाम बड़े नेताओं को नजरअंदाज कर इसके लिए पहले रायपुर शहर कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। इस कार्यकाल के चर्चे भी किसी से अछूता नही है और विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी भी बनाया गया, परंतु विधानसभा का ये पहला चुनाव महज कुछ वोटों से वे हार गए पर पिछले चुनाव में उसका बदला ले लिया और भाजपा के दिग्गज नेता राजेश मूणत को करारी हार झेलनी पड़ी। आज छत्तीसगढ़ के सबसे सक्रिय विधायकों में सुमार विकास उपाध्याय की गिनती मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सबसे करीबी लोगों में होती है जो समय-समय पर दिल्ली तक उनके अच्छे कार्यप्रणाली की खबर पहुंचाने कोई कसर नहीं छोड़ते। आज संसदीय सचिव के रूप में सपथ ग्रहण के बाद सबकी निगाहें टिकी हुई है कि विकास उपाध्याय इस नई जिम्मेदारी से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की छबि को पूरे प्रदेश में किस तरह से लोगों के बीच ले जायेंगे।