व्यक्ति विशेष... युवा नेता विकास उपाध्याय

व्यक्ति विशेष... युवा नेता विकास उपाध्याय

 ब्रजेश सतपथी की कलम से..

(जन्म दिन पर विशेष एक सोच की)

युवाओं में विकास उपाध्याय खासे लोकप्रिय हैं। अधिकांश मामलों में उनके विचार युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।एक ऐसा युवा व्यक्तित्व, एक ऐसा युवा चेहरा जिसे देख अन्य युवा अपने आप को ऊर्जावान महसूस करता है। ऐसा चेहरा विधायक विकास उपाध्याय का ही है जो होने को तो रायपुर से जनप्रतिनिधि हैं पर पूरे प्रदेश के लिए एक संदेश है जो अपने कार्यप्रणाली व काम करने के नए नए तरीकों से ये बताने का प्रयास करते हैं कि युवा सोच का दायरा कितना बृहद हो सकता है। हैं तो और भी युवा चेहरे पर लोगों के जेहन में घर कर जाता और याद रहता है तो विकास उपाध्याय का सकारात्मक सोच वाला चेहरा ही।

विकास उपाध्याय जिनके पास नया विचार और नई ऊर्जा है, उन्होंने जिस मुद्दे को उठाया, वो युवाओं की बढ़ती संख्या को तुरंत भा गया। इतना ही नहीं उन्होंने हर उस मुद्दे को सबसे पहले उठाया जिसे उम्र में बड़े नेता भी बाद में बोलते नजर आए...कोरोना काल को तो मानो ऐसा उन्होंने हाईजैक कर लिया था कि दूसरों के लिए कोई गुंजाइश ही नहीं बची थी। उनके सेवा भाव व दिन रात की मेहनत मानो इतिहास के पन्नों में किये गए किसी दृश्य को बयां करता हो। कोरोना के लक्षणों व वायरस के नए स्वरूप को लेकर कही गई उनकी तर्क ने तो मानो चिकित्सा जगत से जुड़े लोगों के लिए भी एक कोतुहल का विषय बना दिया था। राज्य में स्थानीय को नौकरी देने की बात हो,निजी अस्पतालों में बेतहाशा फीस लेने के खिलाफ हो,प्याज की बढ़ती कीमतों को लेकर हो, नाश कारोबार को लेकर एक माह पूर्व से अगाह करने की बात हो, निजी स्कूलों के फीस का मामला हो, और तो और भूपेश सरकार की उपलब्धि से जुड़ी बात हो तो सबसे पहले बोलने वाला एक मात्र युवा नेता विकास उपाध्याय का नाम ही आता है।इन सब बातों से प्रतीत होता है एक युवा सोच व कार्य करने की ललक कितनी ज्यादा व आधुनिक होती है।

पूरे विश्व में सबसे अधिक नौजवान भारत में हैं, पर यहां नेतृत्व युवाओं के बजाय बूढ़े हाथों में है। देश में बदलाव की जो सोच युवाओं में होनी चाहिए, क्रांति की अलख जगाने का जो जज्बा होना चाहिए, वह युवा नेताओं में नदारद है।हमारे देश में 125 करोड़ से ज्यादा की जनसंख्या में 65 प्रतिशत युवा हैं। केंद्रीय हो या राज्य मंत्रिमंडल तीन चौथाई नेता सीनियर सिटीजन की श्रेणी वाले हैं। राजनीतिक संगठनों में भी युवाओं से अधिक बूढे़ नेता पदों पर आसीन हैं। हो सकता है राज्यवार कहीं कहीं ये अपवाद भी हो पर सत्य यही है। तो क्या अब भी वो समय नहीं आया जब सभी समीकरणों जातीय, उम्र व राजनैतिक गुटबाजी से परे हो कर ऐसी सोच के व्यक्ति को अपने सिस्टम में स्थान देंने परंपरा की शुरुआत करें जिसके बदौलत आम लोगों का भविष्य बेहतर साबित हो सके। सही मायने में तो जनप्रतिनिधि का अर्थ ही यही है जो इन तमाम बंधनो से ऊपर उठ कर सिर्फ जनता की सेवा की सोच रखे। आज जरूरत है इस सोच के व्यक्ति को आगे बढ़ाने की, एक के बाद एक देखिए फिर कारवां ही निकल पड़ेगा।

बूढ़ी सोच ज्यादा दिनों तक नहीं उठाई जा सकती है, तो भ्रमित युवा सोच जिसमें पैसे कमाने की ललक सार्वजनिक करता हो कि मानसिकता भी स्वच्छ युवा राजनीतिक सोच को जनता की नजर में नष्ट भी करती है, जिसे हमने अन्य राजनीतिक पार्टियों में करीब से देखा है। ठीक उसी तरह राज्यों में कांग्रेस के भीतर क्या हो रहा है। शीर्ष नेतृत्व को इससे बेखबर नहीं होना चाहिए, तो आंख, मुंह और कान बंद करके बैठ जाना इसका कोई हल भी नहीं है। राहुल गांधी जिनसे पार्टी के युवाओं को अपार उम्मीदें हैं, वे स्वयं राज्यों के जमीनी हकीकत को जानें तो वो दिन दूर नहीं जब कांग्रेस की युवा सोच के सहारे पूरे देश में एक बार फिर से कांग्रेस का वर्चस्व कायम हो जाये। जरूरत है राहुल की कही उन विचारों को जिससे देश का भविष्य सुरक्षित नजर आता है और उसे जिस तरह से विकास उपाध्याय जैसे युवा मानसिकता के विचारक व युवा नेता आगे बढ़ाने अपने सोशल मीडिया से लेकर सार्वजनिक तौर पर लोगों के बीच रख रहे हैं। आज उसी का परिणाम दिखाई देता है कि विकास उपाध्याय का युवा चेहरा एक मात्र चेहरा बन गया है जो छत्तीसगढ़ के भविष्य में एक नई गाथा लिख प्रदेश को बुलंदियों तक ले जाएगा। विकास उपाध्याय को जन्म दिन की इन्हीं शुभकामनाओं के साथ बधाई...।