इशारा साफ है जनता भूपेश बघेल को दीर्घ काल के लिए मुख्यमंत्री बनाए रखना चाहती है...

इशारा साफ है जनता भूपेश बघेल को दीर्घ काल के लिए मुख्यमंत्री बनाए रखना चाहती है...

नजरिया...

ब्रजेश सतपथी

राजनीति समीकरणों और संभावनाओं का खेल है। साल 2018 में जब छत्तीसगढ़ में विधान सभा के चुनाव हुए तो इस चुनाव में कांग्रेस में मुख्यमंत्री का कोई चेहरा नहीं था। बावजूद रमन सरकार के 15 साल का एण्टी-इंकमबेन्सी और किसानों को केन्द्रित कर तैयार किए गए चुनावी घोषणा पत्र ने भाजपा को 15 सीट में सिमट कर रख दिया। यह भी महत्वपूर्ण है कि यह चुनाव भूपेश बघेल के पार्टी अध्यक्ष रहते लड़ी गई और राजनीति में भूपेश बघेल की कुशलता ही रही कि वे राज्य में वोट बेस और कार्यकर्ताओं वाली पार्टी भाजपा को किनारे लगाकर अपने मकसद में सफल साबित हुए और जब मुख्यमंत्री बनने की पारी आयी तो उसी कुशलता से इस पद को हथियाने सफल भी हुए। जबकि उनके वर्तमान में एक तरह से प्रतिद्वन्दी टी.एस. सिंहदेव मुख्यमंत्री के लिए बराबर की हैसियत रखते थे।

भूपेश बघेल के सत्ता संभालने के बाद छत्तीसगढ़ में हुए अब तक के कुल तीन उपचुनाव और कांग्रेस के पक्ष में लगातार उसके नतीजे आना आगामी होने वाले 2023 में विधान सभा चुनाव का ट्रेलर नजर आता है, जो भाजपा के ताबूत में आखिरी कील की तरह होंगे। हालांकि इन उपचुनावों के नतीजों से कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार के गणित पर कोई असर नहीं होना था। क्योंकि उनकी सरकार बहूमत में ही नहीं बल्कि बहुत ज्यादा बहूमत में है और लगातार ये जीत उन्हें मजबूती ही दे रही है। हाल ही में बिहार और मध्यप्रदेश में हुए चुनावी परिणामों से कांग्रेस को जो निराशा हुई है, निश्चित तौर पर केन्द्रीय नेतृत्व के लिए एक चिंता का विषय है जबकि भूपेश बघेल कांग्रेस की राजनीति में और भी ताकतवर बनकर उभरे हैं। जिस तरह से छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व में 90 सीट वाले विधान सभा में कांग्रेस का आंकड़ा 70 तक पहुंच गई है, निश्चित तौर पर भूपेश बघेल लंबी रेस का घोड़ा साबित होंगे और वे अगला चुनाव भी कांग्रेस उन्हीं के नेतृत्व में लड़ेगी।

पूरे देश में कांग्रेस की घटती सीटें और छत्तीसगढ़ में बढ़ते कांग्रेस के जनाधार भूपेश बघेल को पार्टी हाईकमान की नजर में और भी मजबूती प्रदान करेगी। जिस तरह से मध्यप्रदेश की राजनीति में कांग्रेस से अलग होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया एक युवा चेहरा के रूप में भाजपा में अपने आप को साबित किया है, निश्चित तौर पर अब उन्हें नरेन्द्र मोदी के उनको केबिनेट में लाने से छवि भी साफ होगी और जब उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में लाया जाएगा तो वे राहूल गाँधी को बहुत परेशान करेंगे क्योंकि बीजेपी उन्हें इसी मकसद से लायी है कि वे राष्ट्रीय स्तर पर राहूल गाँधी की काट कर सकें। इन परिस्थितियों में अब भूपेश बघेल जैसे काबिल नेताओं को पार्टी आगे कर सकती है। बावजूद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की यथास्थिति बनाए रखने भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री के तौर पर अभी बहुत काम करने होंगे।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार को बने महज 22 माह हुए हैं, इन महिनों में सरकार की छवि किसानों की सरकार के तौर पर ज्यादा मुकर रहा है। जबकि शहरी क्षेत्र में सामान्यतः भाजपा के नींव मजबूती के तौर पर देखी जाती है तो अब सरकार का ध्यान शहरी क्षेत्र में भी केन्द्रीत करना पड़ेगा। सरकारें योजनाएँ तो बनाती हैं परन्तु वास्तविक धरातल पर उसका क्रियान्वयन कैसा हो रहा है ये महत्वपूर्ण होता है। इन महिनों में भूपेश सरकार के कामकाज पर गौर किया जाए तो अधिकांश योजनाएँ स्थानीय हित से जुड़े मतदाताओं को प्रभावित कर सकने वाली ही हैं। परन्तु दुरस्त ग्रामीण अंचल में आज भी इसके क्रियान्वयन को लेकर जो माहौल बनना चाहिए नहीं बन पा रहा है। कांग्रेस के युवा जनप्रतिनिधि सीमित दायरे तक अपने आप को बाँध कर रखे हैं, जिसका खामियाजा आगामी चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।आज जरूरत है हर विधायक विकास उपाध्याय की तरह मुख्यमंत्री के छाया की तरह जनता के बीच अपने आपको प्रतिस्थापित करे, मुख्यमंत्री के तौर पर भूपेश बघेल की चुनौतियाँ पार्टी के अंदर या नेताओं से नहीं बल्कि अपने कामकाज को क्रियान्वयन के तौर पर जनता के बीच किस गहराई तक ले जाते हैं,पर निर्भर करेगा और आगामी समय में ये महत्वपूर्ण होगा।

मुख्यमंत्री के तौर पर भूपेश बघेल को अब इस बात का भी गहराई से ध्यान रखने की जरूरत होगी कि वे आम जन के साथ-साथ पार्टी कार्यकर्ताओं को किस हद तक संतुष्ट करने सफल हो पाते हैं। 22 माह तक शांत बैठी विपक्ष की भाजपा अब हर छोटे मामले को लेकर सरकार को घेरने उतारू है। ऐसे में कांग्रेस को संबल देने वाले उनके मूल कार्यकर्ता ही होते हैं। वास्तविकता तो ये भी है कि साल 2018 के चुनाव में इन्हीं वजहों से भाजपा के कार्यकर्ता सरकार से इस कदर नाराज थे कि वे विधान सभा चुनाव में काम ही नहीं किए, जिसका परिणाम सबके सामने है। आज छत्तीसगढ़ की जनता जिस उम्मीद के साथ भूपेश सरकार को समर्थन दे रही है, या कहें व्यक्तिगत तौर पर भूपेश बघेल को सुन रही है,समझ रही है और विश्वास भी कर रही है। इससे यह बात तो साफ जाहिर है कि वह मुख्यमंत्री के रूप में भूपेश बघेल को दीर्घकालीन के लिए देखना चाह रही है।