वो चेहरे जो अध्यक्षीय काल में मोहन मरकाम के साथ चट्टान की तरह साथ खड़े नजर आए...

वो चेहरे जो अध्यक्षीय काल में मोहन मरकाम के साथ चट्टान की तरह साथ खड़े नजर आए...

रायपुर(छत्तीसगढ़)।प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम आज अपने अध्यक्षीय कार्यकाल के शानदार पूरे चार वर्ष पूरे कर लिए। जब उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई थी, पार्टी लंबे समय से इस बात की तैयारी कर रही थी कि किसी आदिवासी चेहरे को पार्टी मुखिया के पद पर बिठाया जाए और आज ही के दिन साल 2019 को तात्कालीन कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने राज्य के कई कद्दावर नेताओं से मुलाकात और रायसुमारी के बाद 
मोहन मरकाम पर विश्वास जताया था और वे अध्यक्ष बना दिये गए थे।ऐसा पहली बार हुआ कि कांग्रेस ने बस्तर से अपना प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया। राज्य बनने से पहले और उसके बाद भी बस्तर से कभी कांग्रेस ने अपना नेता नहीं चुना था।बता दें कि पार्टी में मुख्यमंत्री के समक्ष कोई पद है तो वह पार्टी अध्यक्ष का होता है।

कोडागांव से विधायक मोहन मरकाम सरल सहज और मिलनसार हैं।परंतु राजनीति में जब कोई व्यक्ति जिम्मेदारी वाले पद पर आसीन हो जाता है तो सही मायने में उसका मूल्यांकन यहीं से शुरू होता है और सबसे पहली बात इसमें जो गौर की जाती है।वह यह कि उस नेता के इर्दगिर्द किस तरह के लोग हैं।अध्यक्ष के चारों ओर मौजूद व्यक्तियों का व्यक्तित्व भी बहुत कुछ निर्भर करता है कि अपने नेता की छवि को कैसे गढ़ा जाए या फिर बिगाड़ा जाए।मोहन मरकाम ने अपने चार वर्ष के कार्यकाल में यह साबित करने सफल हुए हैं कि वे सबसे सफलतम अध्यक्ष के तौर पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के पहली पसंद हैं।इस बीच कुछ चेहरे जो मरकाम को इस मुकाम तक पहुंचाने साये की तरह चट्टान बन कर साथ खड़े रहे उनका जिक्र भी होना जरूरी है।

इस सूची में सबसे पहला नाम रवि घोष का आता है।रवि घोष राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी की तरह हैं।कभी भी उनके चेम्बर में जावो तो कांग्रेस नेताओं के समूह में घिरे नजर आते हैं और सब की बात बड़े ध्यान से मुस्कुराते हुए सुनते तो हैं ही साथ ही जरूरत के हिसाब से सभी को हर सम्भव मदद भी करते हैं।बताया तो यह भी जाता है कि सत्ता और संगठन के बीच वे एक तरह से सेतु का काम भी करते हैं।मरकाम ने उन्हें प्रभारी महामंत्री की जिम्मेदारी दी तो वे इसे बखूबी निभाया और हर परिस्थिति में वे अध्यक्ष के साथ खड़े नजर आए।कांग्रेस के कार्यकर्ता रवि घोष के व्यवहार को खूब पसंद किया और इस वजह से मोहन मरकाम की तारीफ होते रही कि उन्होंने सही व्यक्ति को सही जगह स्थान दिया है।

अमरजीत चांवला का कांग्रेस की राजनीति में वह नाम है,जब विद्याचरण शुक्ल की तूती बोला करती थी। अमरजीत कांग्रेस की राजनीति में लंबे समय से लगातार सक्रिय हैं।इनकी जो खासियत है वे किसी भी विषय पर तार्किक व जब तक चाहें बोल सकने की क्षमता रखते हैं और बहस भी कर सकते हैं,सवालों का जवाब दे सकते हैं।तेजतर्रार इस नेता की खासियत यह भी है कि वे सच को सामने बोल देते हैं और विरोधी कई बार इसी बात का फायदा उठा कर उन्हें बदनाम करने की असफल कोशिश भी करते हैं, पर विरोधियों को वे मात देने की क्षमता भी उतना रखते हैं। कांग्रेस के वे एक ईमानदार सिपाही हैं जो विपरीत परिस्थितियों में भी पार्टी के साथ रह कर काम किया। मरकाम द्वारा दी गई हर जिम्मेदारी को दमदारी के साथ पार्टी हित में करने कभी पीछे नहीं रहे।मरकाम के साथ अमरजीत चांवला चट्टान की तरह खड़े नजर आते हैं।

अमीन मेमन कांग्रेस में एक जाना पहचाना नाम बस्तर की राजनीति में भी खासा दखल रखने वाले मेमन के बारे में बताया जाता है कि उनमें जबरदस्त लीडरशिप के गुण हैं।उन्हें जब अल्पसंख्यक विभाग का अध्यक्ष बनाया गया तो उनकी सक्रियता देख नहीं लगा कि वे किसी विभाग  विशेष के प्रदेश अध्यक्ष हैं,बल्कि उन्होंने इस पद को अपने व्यक्ति विशेष की क्षमताओं से उस बुलंदी पर पहुंचा दिया कि पूरे प्रदेश में एक सक्रियता सी आ गई और इन्हीं कार्यकलापों की वजह से प्रदेश कांग्रेस को भी मजबूती मिली।अमीन पूरे समय मरकाम के साथ खड़े नजर आते हैं।व्यक्तिगत और सार्वजनिक दोनों तरह से।

विकास तिवारी कांग्रेस का वह चॉकलेटी चेहरा है जो सोशल मीडिया से लेकर वास्तविक धरातल पर भी छाये रहते हैं।कांग्रेस प्रवक्ता की जिम्मेदारी के साथ-साथ अति महत्वपूर्ण मिशन में भी उन्हें लगाया जाता है।बीजेपी नेताओं पर तीखा सवाल व पोस्ट करने वाले इस नेता की गिनती मरकाम के करीबी लोगों में गिनी जाती है।मुंहफट बोल वाले इस नेता से विरोधी भी घबराते हैं।

सुबोध हरितवाल युवा कांग्रेस का राष्ट्रीय चेहरा,पर उनकी क्षमताओं को देख मोहन मरकाम अपने अध्यक्षीय काल में कई नगर पंचायतों में कांग्रेस के पक्ष में चुनाव को जिताने या अविश्वास प्रस्ताव में जीत दर्ज करने संकट मोचक के तौर पर लगाया और हर बार उन्होंने सफलता भी हासिल की।सुबोध भी मरकाम के साथ पूरे कार्यकाल में साथ खड़े नजर आए।दिल्ली के दौरों में भी वे अध्यक्ष के साथ नजर आते हैं।

पीयूष कोसरे प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महासचिव के पद पर रहते मरकाम की टीम के अहम हिस्सा रहे हैं।वे लगातार मरकाम के साथ कंधा से कंधा मिला कर काम करते रहे और ये एक मात्र महासचिव हैं जिनको मोहन मरकाम अपने गोपनीय मिशन में हमेशा विश्वास कर जिम्मेदारी दी।ऐसे और भी कुछ चेहरे हैं जो मोहन मरकाम का खुल कर साथ दिया और इन्हीं की अच्छे कार्यप्रणाली के चलते मरकाम की छबि गढ़ते चली गई और आज वे लगातार चार वर्ष हो गए इस जिम्मेदारी को बखुबी निभा कर एक दमदार प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर पार्टी के अंदर अपना नाम अंकित कर दिया है।