कांग्रेस का चेहरा क्या अब कवासी लखमा होंगे!लोकसभा जीते तो पीसीसी चीफ फिर...

कांग्रेस का चेहरा क्या अब कवासी लखमा होंगे!लोकसभा जीते तो पीसीसी चीफ फिर...

रायपुर(छत्तीसगढ़)।इस आमचुनाव में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के 11 सीटों के लिए जिस तरह से सोच विचार कर अपने उम्मीदवार उतारे हैं वह कई मायने में राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।जानकारों का मानना है।इनमें खास कर दो नाम बेहद ही महत्वपूर्ण है जो कांग्रेस की राजनीति में छत्तीसगढ़ में नए समीकरणों को जन्म देगा।पहला तो ये बस्तर अंचल में जिस तरह से कई बार के विधायक कवासी लखमा को आगे कर चुनावी मैदान में उतारा गया और दूसरा देवेन्द्र यादव जो दूसरी बार के विधायक जरूर हैं,पर उन्होंने उन परिस्थितियों में इस बार जीत हासिल की है,जब शहरी क्षेत्र में सभी प्रत्याशी चुनाव हार गए।उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र से दूर बिलासपुर से टिकट दे कर पार्टी ने संकेत दे दिया है कि यादव में प्रदेश स्तरीय क्षमता है।यह कैसे विस्तार से जानते हैं।

छत्तीसगढ़ में इस बार के लोकसभा चुनाव बहुत ही दिलचस्प हो गया है।दोनों राजनीतिक पार्टीयों भाजपा व कांग्रेस ने बराबर टक्कर के उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतार कर जनता के पाले   छोड़ दिया है की इस बार उनके लिए भी उतना आसान नहीं होगा निर्णय ले पाना।इन सब के इतर कांग्रेस की सूची में दो नाम जो खास कर लोगों ध्यान खींच रही है।बस्तर क्षेत्र में कवासी लखमा का वो नाम जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपने विधानसभा क्षेत्र कोंटा की सीट को बचाये रखी।पार्टी को लगा यही वह व्यक्ति है जो इस बार बस्तर लोकसभा की सीट को फतह कर सकता है।वरना इस क्षेत्र से दो-दो कांग्रेस अध्यक्ष वर्तमान में दीपक बैज तो पूर्व में अध्यक्ष रह चुके मोहन मरकाम को नजरअंदाज नहीं करती।

ऐसा भी नहीं कि इनके विधानसभा में चुनावी हार ही वजह रही होगी।वरना ताम्रध्वज साहू और डॉ शिव डहरिया को टिकट नहीं मिलती।दरअसल इसके पीछे की वजह में कांग्रेस के भविष्य की तस्वीर साफ दिखाई देती है।बताया जा रहा है कि कवासी लखमा अब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का चेहरा होंगे।लोकसभा जीते तो पार्टी इन्हें पीसीसी चीफ और इसके बाद मुख्यमंत्री का चेहरा के रूप में आगे कर सकती है।

इस बार के आम चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण होगा।मोदी के जहां दूसरा कार्यकाल पूरा हो रहा है तो तीसरे कार्यकाल के लिए 400 पार का नारा दिया जा रहा है।ऐसे में विपक्ष के सामने इसे रोकने की बड़ी चुनौती है।छत्तीसगढ़ गठन के बाद से कांग्रेस यहां आम चुनाव में 11 में 2 से ज्यादा सीट नहीं जीत सकी है।इस बार उम्मीद की जा रही है कांग्रेस अपना पुराना रिकॉर्ड तोड़ सकती है और 4 से 5 सीट जीत सकती है।ऐसा हुआ तो जीत वाले नेताओं का कद दिल्ली की राजनीति में स्वतः ही बढ़ जाएगा।इस सूची में बिलासपुर से चौकाने वाला नाम देवेन्द्र यादव का है।

देखा जाय तो पार्टी इस तरह का निर्णय उन नेताओं के नाम पर दांव लगाती है जो पूरे प्रदेश में व्यापक प्रभाव रखते हों।कांग्रेस देवेन्द्र यादव को जिस तरह से भिलाई से दूर बिलासपुर लोकसभा के लिए चुना है।इससे उनके राजनीतिक कद तो बढ़ा है साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया है कि पार्टी देवेन्द्र यादव को प्रदेश स्तरीय नेता के तौर पर देखती है और भविष्य में कांग्रेस की स्थिति अच्छी रही तो छत्तीसगढ़ की राजनीति में देवेन्द्र का नाम उन नेताओं में सुमार हो जाएगा जिनकी गिनती प्रथम पंक्ति में होती है।

इन सब के बीच राजनीति का ऐसा जुनून की कांग्रेस और साहू समाज के नेता शंकर लाल साहू बस्तर में जब इस लोकसभा के लिए आज पहला नामांकन भरा जा रहा है तो कांग्रेस प्रत्याशी कवासी लखमा के समर्थन में सैकड़ों कार्यकर्ताओं को बस से जगदलपुर ले जाकर कार्यकर्ताओं में जोश भरने कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं।शंकर लाल साहू ने कहा,कवासी लखमा को हर हाल में जीत दिलाने वे पूरी ताकत झोंक देंगे।उनके सैकड़ों रिश्तेदार जगदलपुर में  निवासरत हैं।वे उन सभी को आव्हान करेंगे कि मोदी को इस बार हर हाल में हराना है।कांग्रेस ही है जो आदिवासियों को उनका हक दे सकती है।भाजपा जीती तो नगरनार से लेकर सभी प्लांट अडानी के हाथों बेच दी जाएगी।कवासी लखमा बस्तर का शेर है और इसकी रखवाली के लिए इस शेर को जिताना जरूरी है,वरना यहां के आदिवासी बेदखल हो जाएंगे।