बृजमोहन अग्रवाल इस बार क्या पीएम मोदी से भी ज्यादा रिकॉर्ड मतों से जितने वाले हैं..? जानिए चौकाने वाली वजहें।
रायपुर(छत्तीसगढ़)।देश में आम चुनाव के मतदान को लेकर तिथि की घोषणा तो नहीं हुई है,पर छत्तीसगढ़ की समर में सबसे पहले बीजेपी ने प्रदेश की सभी 11 सीटों के लिए अपनी योद्धाओं को मैदान में उतार कर नामों की घोषणा कर दी है। इस सूची में जो एक बड़ा नाम है वह बीजेपी के कद्दावर नेता और शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का है,जो सब का ध्यान अपनी ओर खींच रही है। वे रायपुर शहर से कई बार के विधायक हैं। बृजमोहन अग्रवाल आज तक कोई चुनाव नहीं हारे। बल्कि समय दर समय जीत का ऐतिहासिक रिकार्ड बनाते चले गए।इनका प्रभाव सिर्फ अपने पार्टी तक ही सीमित नहीं है।बल्कि दूसरे पार्टीयों में भी उतना ही है जितना इनका राजनीतिक प्रभाव जनता के बीच पूरे प्रदेश में है। इनकी छवि की तो कोई शान ही नहीं, जिनके समक्ष हर कोई बौना नजर आता है।ऐसे में जब उन्हें पहली बार प्रदेश की राजनीति से केन्द्र की राजनीति में भेजे जाने की तैयारी हो रही है तो क्या वजह है कि सभी पार्टी के नेताओं में इसे लेकर जबरदस्त उत्साह है और कहा जा रहा है कि वे इस बार प्रधानमंत्री मोदी से भी ज्यादा अंतर से जीत कर रिकार्ड बनाने वाले हैं।इसके पीछे की वजहों को भी जान कर आप चौक जाएंगे।
प्रदेश की राजनीति में बृजमोहन अग्रवाल के व्यवहार की चर्चा हर तरफ होती तो है ही। साथ ही मिलनसार प्रवृत्ति के इस नेता की वजह से अन्य नेताओं की गिनती भी तुलनात्मक दरी से नगण्य हो जाती है। अपनी बेबाक टिप्पणी के चलते भी मीडिया की सुर्खियों में इन्हीं का नाम आता है। उनकी लोकप्रियता की वजह ऐसे ही नहीं है वे विधानसभा में जब मुखर होकर जनहित के मुद्दों को उठाते हैं और तर्कसंगत बातें करते हैं तो इनकी इस सियासी घेराबंदी के आगे पक्ष व विपक्षी पार्टी में भी खलबली मच जाती है।इस तरह से कहा जा सकता है कि बृजमोहन अग्रवाल जब तक प्रदेश की राजनीति में है अन्य नेताओं के लिए स्थान बना पाना सम्भव नहीं है।
यही वजह है कि उनके लोकसभा चुनाव लड़ने से भाजपा के साथ-साथ अन्य पार्टियों के अंदर नेताओं में भी जबरदस्त उत्साह देखी जा रही है और रायपुर लोकसभा चुनाव की अपेक्षा इस बात की चर्चा ज्यादा हो रही है कि जब रायपुर दक्षिण विधानसभा में उपचुनाव होंगे तो दोनों पार्टियों में कौन-कौन उम्मीदवार होंगे और क्या इस बार बृजमोहन की अनुपस्थिति में जीत का सेहरा दूसरे पार्टी को जा पायेगा।
रायपुर दक्षिण विधानसभा में उपचुनाव होने की स्थिति में सबसे पहले कांग्रेस पार्टी से जो चुनाव लड़ने की दावेदारों में नाम तैर रहे हैं उनमें सबसे पहले प्रमोद दुबे का आता है। प्रमोद दुबे कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और रायपुर मेयर भी रह चुके हैं उनके मेयर रहते साल 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में रायपुर के तीन विधानसभा में कांग्रेस पार्टी को जबरदस्त जीत हासिल हुई थी। इसके अलावा जो प्रमुख नाम लिया जा रहा है।वह कन्हैया अग्रवाल का है। कन्हैया अग्रवाल कांग्रेस के पहले प्रत्याशी हैं जो बृजमोहन अग्रवाल के मुकाबला चुनाव लड़कर बहुत कम अंतर से चुनाव हार गए थे ऐसे में इस बार उनकी दावेदारी को भी मजबूती से लिया जा रहा है। वहीं भारतीय जनता पार्टी की तरफ से छात्र राजनीति में कई दशकों तक सक्रिय रहकर पूरे प्रदेश में अपना नाम ऊंचा करने वाले धाकड़ और दबंग नेता, कई बार के पार्षद मृत्युंजय दुबे का लिया जा रहा है।
साथ ही मीनल चौबे जैसे दावेदारों का नाम भी इस विधानसभा के लिए लिया जा रहा है। विपरीत परिस्थितियों में भारतीय जनता पार्टी ऐसे उम्मीदवार को भी इस विधानसभा से उतार सकती है जो लंबे समय तक संगठन के लिए काम करते आ रहे हैं, अब देखना होगा कि बृजमोहन अग्रवाल की अनुपस्थिति में यह विधानसभा किसके पाले में जाता है। बहरहाल इन्हीं संभावनाओं के चक्कर में सभी लगे हुए हैं कि किसी भी तरह से बृजमोहन अग्रवाल की लोकसभा में जीत हो जाए एक वजह यह भी माना जा रहा है कि भाजपा के वर्तमान कई विधायक मंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं, जो इनके लोकसभा जाने के बाद खाली हो जाएगा। इस तरह के संयुक्त प्रयास से तय माना जा रहा है कि बृजमोहन अग्रवाल इस बार प्रधानमंत्री मोदी से भी ज्यादा मतों के अंदर से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचेंगे।




Beauro Cheif



