रक्षा बंधन:भद्रा को लेकर अब कोई दुविधा नहीं,बहनें इस समय बांधे भाई की कलाई पर राखी, ये है शुभ मुहूर्त
नई दिल्ली।रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त यानी आज गुरुवार को मनाया जाएगा। इस साल राखी के त्योहार पर लोग भद्रा के साये को लेकर अस्पष्ट थे। ऐसे में ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस साल भद्रा का साया पाताल लोक में है,न कि धरती पर। इसलिए पृथ्वी पर होने वाले शुभ कार्यों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। दरअसल, रक्षाबंधन पर भद्रा के साये में भाई की कलाई पर राखी बांधना अशुभ समझा जाता है।
गढ़ी कैंट स्थित टपकेश्वर महादेव मंदिर के दिगंबर रवि गिरी ने बताया कि इस बार 11 अगस्त को लगने वाली भद्रा ना तो स्वर्ग में और ना ही पृथ्वीलोक में लगने वाली है। जबकि यह भद्रा पाताल लोक में लगेगी। जिसका कोई भी असर ब्राहांड पर नहीं पड़ने वाला है। ऐसे में 11 अगस्त को रक्षाबंधन पर्व पर बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांध सकती हैं। बताया कि 11 अगस्त को रक्षाबंधन का अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजे से दोपहर 12:45 बजे तक रहेगा।
वहीं अलग-अलग ज्योतिषाचार्य ने भी यही बात कही है। आचार्य डॉ. सुशांत राज ने बताया कि रक्षाबंधन का पवित्र पर्व भद्रारहित दोपहर व्यापिनी पूर्णिमा में करने का विधान है। इस साल 11 अगस्त को अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा व्याप्त है और 12 अगस्त शुक्रवार को पूर्णिमा त्रिमुहूर्त व्यापिनी नहीं है।लिहाजा बृहस्पतिवार व शुक्रवार को यह पर्व मना सकते हैं। 12 अगस्त को अभिजित मुहूर्त दोपहर 2:15 बजे से तीन बजे तक है। ज्योतिषाचार्य पंडित विष्णु प्रसाद भट्ट ने कहा कि सुप्रसिद्ध धर्म ग्रन्थों निर्णय सिन्धु, धर्म सिन्धु, पुरुषार्थ चिन्तामणि, कालमाधव, निर्णयामृत आदि के अनुसार 12 अगस्त को पूर्णिमा तिथि दो मुहूर्त से कम होने के कारण 11 अगस्त को ही श्रावणी उपाकर्म व रक्षाबंधन शास्त्र सम्मत हैं। किसी भी हालत में पर्व दो दिन न हो यह प्रयास करें।
मुहुर्त्त चिन्तामणि के अनुसार जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है तब भद्रा का वास पृथ्वी पर होता है।चंद्रमा जब मेष, वृष, मिथुन या वृश्चिक में रहता है, तब भद्रा का वास स्वर्गलोक में रहता है। कन्या, तुला, धनु या मकर राशि में चंद्रमा के स्थित होने पर भद्रा पाताल लोक में होती है। भद्रा जिस लोक में रहती है वही प्रभावी रहती है। इस प्रकार जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होगा तभी वह पृथ्वी पर असर करेगी अन्यथा नही। जब भद्रा स्वर्ग या पाताल लोक में होगी तब वह शुभ फलदायी कहलाएगी।
11 अगस्त को 11:38 प्रातःकाल में पूर्णिमा तिथि लगने के उपरांत ही रक्षाबंधन मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार, जिनमें मुहूर्त चिंतामणि, जयपुर का श्री जयमार्तंड पंचांग आदि के अनुसार भद्रा का पाताल लोक (नागलोक) में वास शुभ फलदायी होता है। वहीं, भारतीय प्राच्य विद्या सोसाइटी के ज्योतिषाचार्य डॉ. प्रतीक मिश्रपुरी के मुताबिक रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा। भद्रा में रक्षासूत्र बांधना शुभ नहीं होता है। 11 अगस्त को रात्रि 8.30 बजे से 9.30 बजे तक भी शुभ मुहूर्त है। बहनें इस अवधि में भी भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांध सकती हैं। वहीं, त्योहार की पूर्व संध्या पर देश भर के बाजारों में जमकर खरीदारी हुई। देर रात तक बहनों ने बाजारों से राखियां खरीदीं। इस दौरान घेवर और मिठाई से लेकर चॉकलेट की जमकर बिक्री हुई। भाइयों ने भी बहनों के लिए गिफ्ट खरीदे।