मोदी के नेतृत्व में विकासशील से विकसित देश की ओर बढ़ता आत्मनिर्भर भारत।पहला स्वदेशी आईएनएस विक्रांत इसका उदाहरण है...

मोदी के नेतृत्व में विकासशील से विकसित देश की ओर बढ़ता आत्मनिर्भर भारत।पहला स्वदेशी आईएनएस विक्रांत इसका उदाहरण है...

नई दिल्ली।आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत बनाया गया भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत (आईएनएस) विक्रांत के इस जंगी जहाज़ की 76 प्रतिशत चीज़ें पूरी तरह से स्वदेशी भारत में बनी हैं और इन्हें क़रीब 500 भारतीय कंपनियों ने बनाया है।45 हज़ार टन वजन वाले इस युद्धपोत को 20 हज़ार करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। इसका डेक फुटबॉल के दो मैदान के बराबर है। इस पर एकसाथ 30 फ़ाइटर प्लेन और हेलिकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं। निश्चित तौर पर मोदी सरकार के आत्मनिर्भर भारत का यह जीता जागता उदाहरण है और अमृतमहोत्सव के इस साल 75 वर्ष और आने वाले 25 सालों में भारत का मोदी सरकार के विकासशील से विकसित देश की ओर बढ़ने का संकेत भी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल के कोच्चि में आईएनएस विक्रांत को देश को आज समर्पित किया और भारतीय नौसेना का अंग बनते ही विक्रांत के नाम के आगे आईएनएस शब्द जुड़ गया है।सरकार के मुताबिक पिछले 13 सालों में जहाज़ बनाने के क्षेत्र में क़रीब 15000 नौकरियां आई हैं। इसके अंदर 2300 कंपार्टमेंट हैं और ये 262 मीटर लंबा और 60 मीटर ऊंचा जहाज़ है। बता दें कि भारत के पहले एयरक्राफ़्ट कैरियर का नाम भी विक्रांत था। उसे ब्रिटेन की रॉयल नेवी से ख़रीदा गया था और 1961 में कमीशन किया गया था।1997 में आइएनएस विक्रांत को सेना की सेवा से हटा दिया गया था । इसने कई मिलिट्री ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

पूरी तरह से स्वदेशी नए विक्रांत की बात करें तो भविष्य में इसमें 1700 लोग काम करेंगे। हालांकि, अभी इसमें 2000 अतिरिक्त लोग भी काम कर रहे हैं,जो टेक्नीशियन से लेकर केबल वगैरह ठीक कर रहे हैं, पॉलिश कर रहे हैं या इंटीरियर का काम कर रहे हैं।इतना ही नहीं आईएनएस विक्रांत के साथ-साथ भारतीय नौसेना को नया ध्वज भी दिया गया है। अनावरण के कार्यक्रम में नौसेना के नए ध्वज को भी सार्वजनिक किया गया। भारतीय नौसेना के औपनिवेशिक अतीत को ख़त्म करने की कोशिश के तहत इस निशान को बदला गया है।

नए ध्वज को लेकर पीएम मोदी ने कहा,आज 2 सितंबर, 2022 की ऐतिहासिक तारीख़ को, इतिहास बदलने वाला एक और काम हुआ है।आज भारत ने गुलामी के एक निशान गुलामी के एक बोझ को अपने सीने से उतार दिया है। यह भी की भारतीय नौसेना का पुराना झंडा भारत में अंग्रेज़ी शासन के दौर में बनाया गया था। हालांकि, इसमें बदलाव हुए और इसके बाद झंडे में अशोक चिह्न भी जोड़ा गया। पुराने झंडे में सफेद रंग के आधार पर लाल रंग का सेंट जॉर्ज क्रॉस बना हुआ था।इसके बाईं तरफ़ भारत का झंडा बना हुआ था। क्रॉस के बीच में अशोक चिह्न बना था जिसके नीचे सत्यमेव जयते लिखा हुआ था।