प्रदेश भर में युवा कांग्रेस अध्यक्ष कोको की रैलियों में जुटने वाली भारी भीड़ के आखिर मायने क्या है?

प्रदेश भर में युवा कांग्रेस अध्यक्ष कोको की रैलियों में जुटने वाली भारी भीड़ के आखिर मायने क्या है?


छत्तीसगढ़/रायपुर। प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता में वापसी के बाद एक बात जो देखी गई है वह यह कि संगठनात्मक रूप से लगातार यदि कोई सक्रिय भूमिका में है तो वह युवा कांग्रेस की पूरी टीम है।प्रदेश अध्यक्ष कोको पाढ़ी की सक्रियता देखते ही बनती है और प्रदेश भर में जिस तरह से उनकी रैलियों में भारी भीड़ जुट रही है, उसके कई मायने हैं।अक्सर देखा यह गया है कि ऊंचे पद पर बैठे नेता खुद की पार्टी जब सत्ता में रहे तो संगठन की मजबूती को भूल जाते हैं,पर यहां इसके ठीक उलट है। सत्ता सुख से दूर कोको पाढ़ी युवाओं को पार्टी से जोड़ने शहर से ग्रामीण अंचल तक लगातार दौरा कर रहे हैं और यह संदेश दे रहे हैं कि कल के भविष्य युवा हैं।इसके पीछे की वजह भी साफ समझ आती है।जिस तरह से पूरे देश में युवा कांग्रेस को राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास ने खुद के साथ ही युवा संगठन को सक्रियता दी है वह एक मजबूत विपक्ष मौजूद है को प्रमाणित करता है। युवा कांग्रेस की सोच है कि राहुल गांधी का नेतृत्व स्थापित किया जाये और ये संदेश भी दिया जाये कि अनुशासन ज़रूरी है। साथ ही जनाधार वाले नेताओं को तरजीह देने की कवायद अब शुरू हो गई है।

कांग्रेस मुख्‍यालयों में बैठकर गप्पें मारने और कुछ न मिला तो राहुल गांधी की आलोचना किया जाए वाले नेताओं के दिन अब लदने वाले हैं। पार्टी के लिए जो वफादार रह कर काम करेगा,मेहनत करेगा उसी की पूछ परख होगी।अब आर या पार का संदेश देने का वक्त चल पड़ा है। राहुल गांधी को आप यह कह कर किसी ऐसे व्यक्ति की बुराई नहीं कर सकते कि वह आपका विरोधी या दुश्मन है।पार्टी के मजबूती के लिए कोई काम कर रहा है तो उसे मौका जरूर मिलते रहेगा। आपने देखा होगा चाहे केंद्र सरकार की नीतियों और फ़ैसलों की आलोचना की बात हो या फिर संसद में विपक्ष को एकजुट करने की या फिर केंद्र की नीतियों के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरने की बात हो, हर तरफ़ कांग्रेस की ओर से एक चेहरा जो सामने दिखता है, वो है राहुल गांधी का और इस चेहरे को पूरे देश में जन-जन तक ले जाने की कवायद शुरू की है युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास ने और जिसका अनुशरण कोको पाढ़ी जैसे सक्रिय युवा नेता अपने प्रदेशों में बखूबी से अंजाम दे रहे हैं।

छत्तीसगढ़ युवा कांग्रेस अध्यक्ष कोको पाढ़ी की सक्रियता को श्रीनिवास भली भांति जानते व समझते हैं यही वजह है कि राष्ट्रीय स्तर पर कोई रैली या अधिवेशन हो तो इन दोनों की नजदीकियां तस्वीरों के माध्यम से साफ झलकती नजर आती है और इस बात का रिपोर्ट कार्ड भी राहुल गांधी तक जाता है। कोको छत्तीसगढ़ में आये दिन कोई न कोई संगठनात्मक गतिविधियों में लिप्त नजर आते हैं। कोको सत्ता व संगठन के इकलौते नेता हैं जो पूरे प्रदेश के एक-एक कोने का एक नहीं कई बार दौरा कर चुके हैं।यही वजह है कि उनको पूरे प्रदेश में लोग नाम व चेहरे से भलीभांति जानते व पहचानते हैं और उनकी रैलियों में भारी भीड़ की वजह भी यही है कि लोग यह तो सोचते हैं कि कांग्रेस का एक नेता तो है जो उनके पास बार-बार आता है।जबकि एक वास्तविकता ये भी है कि प्रदेश में लोग अधिकांश केबिनेट मंत्रियों को न जानते हैं न पहचानते हैं। मंत्रियों के पास मौजूद विभागों की जानकारी तो अधिकांश कांग्रेसियों को ही नहीं है,आम जनता की बात छोड़ दीजिए।वजह यह है कि कोई भी मंत्री अपने क्षेत्र छोड़ अन्य क्षेत्रों में जाते ही नहीं हैं। ऐसे में पार्टी के मजबूती की बात करना भला बेईमानी नहीं तो क्या है।

 

यह बात अब साफ है कि राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी को यदि केन्द्र की सत्ता में स्थापित करना है तो इसकी शुरुआत राज्यों से करनी होगी। कांग्रेस को अब नरेन्द्र मोदी के 'राजनीतिक मैनेजमेंट' को ज़्यादा सही तरीक़े से भाँपाने और सीखने की जरूरत है।लोगों के बीच सर्वे करा-करा कर 'इमेज-करेक्शन' की जरूरत है, ख़ुद को भी बदलने और अपने बारे में,अपनी पार्टी के बारे में लोगों की राय भी बदलनी होगी। इतने महंगाई के बावजूद आम लोगों में कोई रिएक्शन क्यों नहीं है को जाननी होगी। कांग्रेस पार्टी के पास ठोस कोई प्लान नहीं है।राज्यों में किन नेताओं को उभारा जाये, कैसे पार्टी को खड़ा किया जाये, इसकी कोई योजना नहीं है। कट-पेस्ट से, तरह-तरह के 'एडजस्टमेंट' से पार्टी मजबूत नहीं हो सकती। ऐसा नहीं कि कांग्रेस के पास लीडर नहीं हैं। छत्तीसगढ़ में ही देख लीजिए विकास उपाध्याय जैसा सेल्फ मेड युवा चेहरा है पर पार्टी उसका सही तरीका से उपयोग नहीं कर पा रही है। इसलिए कि बचे खुचे नेताओं को यह डर सताता है कि ये सामने आ गया तो उनका क्या होगा। उनके आइडियास का क्या होगा।जिनके आइडिया वर्तमान में उपयोगी ही नहीं है।