छत्तीसगढ़ की राजनीति में भाजपा क्या दोहरे चुनौती से गुजर रही है! एक तरफ सीएम बघेल का चेहरा तो दूसरी ओर मजबूत कांग्रेस पार्टी का संगठन...

छत्तीसगढ़ की राजनीति में भाजपा क्या दोहरे चुनौती से गुजर रही है! एक तरफ सीएम बघेल का चेहरा तो दूसरी ओर मजबूत कांग्रेस पार्टी का संगठन...

रायपुर(छत्तीसगढ़)।छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के चीफ मोहन मरकाम ने कल स्थानीय समाचार पत्र को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि छत्तीसगढ़ में भाजपा ने बदलाव सीएम भूपेश को देखते हुए किया है। उनका मानना है कि सीएम ओबीसी हैं। इसलिए भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष ओबीसी को बनाया। इसके साथ ही उन्होंने यह दावा भी किया कि सीएम इतने लोकप्रिय हैं कि भाजपा कुछ भी कर ले 2023 में सरकार कांग्रेस की ही बनेगी।इससे साफ जाहिर है कि बीजेपी को छत्तीसगढ़ में दोहरे चुनौती से गुजरना पड़ रहा है।बीजेपी का मुकाबला केवल कांग्रेस पार्टी से ही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चेहरे से ज्यादा है। राज्य में कांग्रेस सरकार के इन 4 वर्षों में भूपेश बघेल का चेहरा मजबूती की उस शिखर पर पहुंच चुका है कि बीजेपी को इस हैसियत का कोई चेहरा  मिल नहीं रहा है और यही वजह है कि इसके मुकाबले के लिए बीजेपी को ओबीसी का डबल इंजन लगानी पड़ी।

छत्तीसगढ़ में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं।इस बीच मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा इतने समय तक शांत रहने के बाद अब आंदोलन,बयानबाजी और बैठकों के माध्यम से अपनी जमीन फिर से तलासनी शुरू कर दी है।भाजपा के केंद्रीय नेताओं से लेकर संघ की सक्रियता भी अब साफ देखी जा सकती है।परंतु अब तक की सक्रियता से कुछ खास हासिल होता दिख नहीं रहा है। छत्तीसगढ़ बीजेपी आज भी मोदी के चेहरे के सहारे है।वहीं केंद्रीय नेतृत्व भी असमंजस की स्थिति में नजर आता दिख रहा है।इसमें भाजपा की सबसे बड़ी परेशानी कहें या चुनौती मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का चेहरा है।यह इस बात से भी स्पष्ट होता है कि विपक्षी पार्टी के महत्वपूर्ण दो पद पार्टी अध्यक्ष और नेताप्रतिपक्ष जो पहले एक आदिवासी और दूसरा ओबीसी चेहरा था अब दोनों पद ओबीसी से हो गया है।यह इसलिए कि भाजपा के लिए भूपेश बघेल का चेहरा वो चुनौती बन चुकी है कि पहले उसे इस चेहरे से लड़ना पड़ रहा है।

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम भी समझ चुके की कांग्रेस का बेड़ापार भूपेश बघेल के चेहरे से ही हो सकता है।हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से ही मरकाम पार्टी के अंदर राजधर्म का पालन लगातार करते आ रहे हैं।संगठन की मजबूती के लिए उन्होंने परिस्थितियों के साथ कभी समझौता नहीं कि और मरकाम की यह संगठतात्मक ताकत का ही नतीजा है जो छत्तीसगढ़ कांग्रेस में विवादों को उन्होंने कभी पलने फूलने नहीं दिया।सरकार की योजना व उपलब्धियों को जन-जन तक पहुंचाने कभी कोई कोताही नहीं कि बल्कि खुद मैदान में उतर कर लोगों को जागरूक करते देखे गए।आज संगठन के पीछे एक बड़ा समुह एक स्वर में यदि नजर आता है तो वह मरकाम की व्यक्तिगत मेहनत का नतीजा है। सत्ता और संगठन के बीच उचित तालमेल के साथ वे खुद 2023 में फिर से एक बार सरकार की वापसी की ठान रखी है। कांग्रेस के लिए मोहन मरकाम का चेहरा भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि सरकार में दोबारा वापसी के लिए पार्टी को।उनका आदिवासी चेहरा का होना बस्तर व सरगुजा क्षेत्र में कांग्रेस के लिए जहाँ वरदान साबित होगी वहीं बीजेपी के लिए मुश्किल का काम करेगी ।इसलिए कि भाजपा ने आदिवासी चेहरा को ही नजरअंदाज कर दिया है।