कांग्रेस के मुखर नेता विकास तिवारी सत्ता परिवर्तन के बाद नई सरकार के समक्ष गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों का मामला उठाया...
रायपुर(छत्तीसगढ़)।कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी की छबि पार्टी में एक मुखर नेता की रही है।वे कांग्रेस शासनकाल में भी गाहेबगाहे कई मुद्दों पर अपनी बात प्रमुखता से रखते रहे हैं।हालांकि बहुत कम मौके मिले जब उनकी सुनवाई हुई हो और शायद ही किसी को ये याद है जब वे अपनी सरकार रहते इस तरह के लोकहित के मुद्दे को सरकार के समक्ष रख पाने की साहस दिखाई हो।हो सकता है इसमें उनकी कोई राजनीतिक मजबूरी रही हो पर तब यदि गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के प्रबंधकों और इस तरह के गलत कार्य में लिप्त अधिकारियों पर कार्यवाही हुई होती तो निश्चित रूप से इसका श्रेय आज कांग्रेस सरकार को मिलते रहता।इसलिए कि स्कूली शिक्षा विभाग में ये गोरखधंधा हालफिलहाल का नहीं है बल्कि कई सालों से चले आ रहा है। बावजूद उन्होंने आज इस मुद्दे को साय सरकार के संज्ञान में ला कर जिस तरह से मुहिम की शुरुआत की है।इस पर यदि कार्यवाही हुई तो स्कूली शिक्षा विभाग में हड़कंप मच जाएगा और जो लोग शिक्षा को व्यवसाय बना लिए हैं।उनके लिए एक बड़ी सबक होगी।
विकास तिवारी ने आज स्कूली शिक्षा विभाग के उन सभी अधिकारियों को टारगेट में लिया है जिनकी जिम्मेदारी इस महत्वपूर्ण मसले पर अंकुश लगाने की होती है।उन्होंने लोक आयोग में अपर संचालक डीपीआई, जेडी शिक्षा संभाग दुर्ग और डीओ रायपुर के खिलाफ लिखित शिकायत की है। प्रदेश में गैर मान्यता वाले स्कूलों को गली-कूचे के किराए के मकानों में खोलकर छात्र-छात्राओं के मौलिक अधिकार, बाल संरक्षण के अधिकारों की खुले तौर पर अवहेलना करने का भी आरोप लगाया है।
विकास तिवारी ने इस संबंध जो बताया वह बहुत ही गंभीर विषय है और यह सालों से चले आ रहा है।विकास ने कहा कि रायपुर के गली कूचों में किराये के घरों में संचालित गैर मान्यता वाले स्कूल के संरक्षक स्कूल शिक्षा विभाग के आला अधिकारी और जिला शिक्षा कार्यालय के कर्मचारी हैं। इनकी बड़े स्कूल समूहों के साथ मिलीभगत और सांठगांठ के कारण राजधानी के हज़ारों जरूरतमंद और गरीब छात्र-छात्राओं को RTE की सुविधा से वंचित रखा जा रहा है।
उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश के सबसे बड़े प्राइवेट स्कूल समूह के द्वारा गली-कूचों में संचालित गैर मान्यता वाले स्कूलों की लिखित सबूत के साथ की गई। लेकिन संयुक्त संचालक शिक्षा संभाग रायपुर और ज़िला शिक्षा अधिकारी रायपुर ने कोई कार्रवाई नहीं की। इन गैर मान्यता वाले स्कूलों में फ़ीस नियामक के नियमों की अवहेलना करते हुए पालकों से मोटा पैसा वसूला जाता है, जो की अवैध वसूली की श्रेणी में आता है। शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों और ज़िला शिक्षा कार्यालय के कर्मचारियों ने संगठित रूप से प्राइवेट स्कूल समूह के साथ मिलकर अपराध कर रहे हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने बताया कि शिक्षा विभाग में प्राइवेट स्कूलों को दिए जाने वाले मान्यता के नाम पर बहुत बड़ा खेल चल रहा है। जिसका खामियाज़ा निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को उठाना पड़ रहा है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के भ्रष्टाचार के कारण इन गरीब बच्चों से निःशुल्क शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार छीना जा रहा है। उन्होंने इस बात का खुलासा कर शिक्षा विभाग के कार्यप्रणाली पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया कि प्रदेश के एक सबसे बड़े प्राइवेट स्कूल समूह के खिलाफ की गई शिकायत शिक्षा विभाग के जांच कमेटी द्वारा सही पाये जाने के बाद भी उक्त स्कूल समूह के ग़ैर मान्यता वाले स्कूलों को मान्यता देने के लिये शिक्षा विभाग के भ्रष्ट अधिकारी पीछे नहीं हट रहे हैं।
साथ ही उन्होंने कहा,इन स्कूलों द्वारा सालों से पालकों से वसूले गये करोड़ों रुपये की उगाही पर शिक्षा विभाग के अधिकारी आज भी मौन हैं। इन गैर मान्यता वाले स्कूलों को छग शिक्षा संहिता के नियमों के विरुद्ध जाकर अवैध मान्यता दे रहे हैं। विकास तिवारी ने प्रदेश की 2 माह पुरानी भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा,सरकार द्वारा दोषी अधिकारियों को संरक्षण देने का ग़ैरवाजिब काम किया जा रहा है। भाजपा सरकार नहीं चाहती कि ग़रीब और ज़रूरतमंद बच्चे बड़े प्राइवेट स्कूलों में निःशुल्क शिक्षा प्राप्त करें। विकास तिवारी ने आयोग से जल्द न्याय की उम्मीद की है। ताकि आगामी शिक्षण सत्र से ज़रूरतनंद और ग़रीब छात्र-छात्राओं को RTE के तहत प्राइवेट स्कूलों में निःशुल्क शिक्षा मिल सके।