यूक्रेन क्यों जाते हैं भारतीय छात्र और पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत में कौन सी परीक्षा पास करना जरूरी है।

यूक्रेन क्यों जाते हैं भारतीय छात्र और पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत में कौन सी परीक्षा पास करना जरूरी है।

रायपुर(छत्तीसगढ़)।जब से रूस-यूक्रेन के बीच तनाव बढ़ा है। अचानक से पूरे भारत में यूक्रेन का नाम चर्चा में आ गया है।आखिर भारती छात्रों के लिए यूक्रेन क्यों है खास। दरअसल भारत में मेडिकल की तैयारी कर रहे छात्रों के बीच रूस और यूक्रेन की खूब चर्चा होती है। वजह ये है कि दोनों देशों के कई मेडिकल यूनिवर्सिटी के दरवाजे भारतीय छात्रों के लिए खुले हैं। ये मेडिकल यूनिवर्सिटी हर साल हजारों भारतीय छात्रों के डॉक्टर बनने का सपना पूरा करती हैं।आखिर यूक्रेन ही क्यों ?

इसे जानने के लिए भारत में मेडिकल कॉलेज का हाल जानना जरूरी है। दरअसल भारत में मेडिकल की तैयारी कर रहे छात्रों के हिसाब से मेडिकल कॉलेज की उपलब्ता कम है। साल 2021 के दिसंबर महीने में ही केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ भारती प्रवीण पवार ने लोकसभा में बताया था। उनके मुताबिक देश में सरकारी और निजी कॉलेजों में एमबीबीएस की कुल 88120 और बीडीएस की 27498 सीटें हैं।इन सीटों के लिए पिछले साल करीब आठ लाख बच्चों ने परीक्षा दी थी। करीब 88 हजार एमबीबीएस की सीटों में करीब 50 प्रतिशत सीटें प्राइवेट कॉलेजों में हैं। इस हिसाब से मेडिकल की तैयारी कर रहे छात्रों को भारत के मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिलना मुश्किल होता है।महज 10 प्रतिशत बच्चों को ही दाखिला मिल पाता है।

भारत में वैसे भी निजी कॉलेजों में मेडिकल की पढ़ाई का खर्चा भी ज्यादा है। ऐसे में भारत के हजारों छात्र रूस, यूक्रेन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान जैसे देशों की तरफ रुख करते हैं जहां मेडिकल कॉलेज में दाखिला भी आसान है और खर्चा भी कम।इसी में से एक छात्र ने बताया, "2021 में उन्होंने नीट की परीक्षा दी थी। नंबर कम आने के चलते भारत के किसी मेडिकल कॉलेज में दाखिला नहीं मिला। प्राइवेट कॉलेज में पता किया तो पढ़ाई का खर्चा करीब एक करोड़ रुपये था। वहीं यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई के लिए छह साल की कुल ट्यूशन फीस करीब बीस लाख रुपये है। इसके अलावा रहने और  खाने का खर्चा साल का करीब दो लाख रुपये है। कुल मिलाकर यूक्रेन में भारत के मुकाबले आधे से भी कम खर्चे में मेडिकल की पढ़ाई पूरी हो जाती है।

यही बात रायपुर के यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई पढ़ रहे छात्र की भी है। छत्तीसगढ़ के रहने वाले इस छात्र ने बताया उसके पिता किसान हैं। कई साल तैयारी करने के बाद भी उन्हें भारत के सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश नहीं मिला।यही वजह है कि उसने यूक्रेन की एक नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया।यहां 20 से 25 लाख रुपये में वह डॉक्टर बनने का सपना पूरा कर कर लेगा। एफिनिटी एजुकेशन के डायरेक्टर विशु त्रिपाठी एक न्यूज एजेंसी को बात करते हुए कहा है, हम उन बच्चों को मोटिवेट करते हैं जिनका दाखिला भारत में सरकारी मेडिकल कॉलेज में नहीं होता। जो बच्चे दो लाख रुपये सालाना खर्च कर बीडीएस, बी-फार्मा या बीएससी करने की सोचते हैं हम उन्हें यूक्रेन जैसे देशों से डॉक्टर बनाने का काम करते हैं।यूक्रेन में हम बच्चों को भारतीय भोजन, हॉस्टल जैसी सुविधाएं भी देते हैं। भारत में इतने कम पैसे में डॉक्टर बनना संभव नहीं है।

मेडिकल की पढ़ाई के खर्च के लिहाज से यूक्रेन दुनिया के कई देशों से काफी सस्ता है।यूक्रेन की मेडिकल यूनिवर्सिटी ना सिर्फ भारत बल्कि दूसरे कई देशों के छात्रों को भी अपनी तरफ खींच रही हैं।जानकारों का मानना है कि मेडिकल की पढ़ाई के लिए हर साल चार से पांच हजार बच्चे यूक्रेन जाते हैं। यूरेशिया एजुकेशन लिंक भारतीय बच्चों को कई देशों की यूनिवर्सिटी में एडमिशन दिलवाने में मदद करता है। यूरेशिया एजुकेशन लिंक के चेयरमैन महबूब अहमद का कहना है कि वे सालाना करीब एक हजार बच्चों को मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन जैसे देशों में भेजते हैं।

यूक्रेन में करीब 20 मेडिकल यूनिवर्सिटी हैं। महबूब अहमद बताते हैं, यूक्रेन में तीन तरह की यूनिवर्सिटी होती है। जिसमें नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी, नेशनल यूनिवर्सिटी और स्टेट यूनिवर्सिटी शामिल हैं। नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी को यूक्रेन की केंद्र सरकार कंट्रोल करती है। इस यूनिवर्सिटी में सिर्फ मेडिकल कोर्स ही होते हैं। इस तरह की चार से ज्यादा नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी यूक्रेन में हैं जो मेडिकल कमीशन ऑफ इंडिया से मान्यता प्राप्त हैं। नेशनल यूनिवर्सिटी, नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी से अलग है। इसमें मेडिकल के अलावा दूसरे कोर्स भी पढ़ाए जाते हैं।इसमें मेडिकल की पढ़ाई के लिए सिर्फ एक ब्रांच होती है।

इनके अलावा यूक्रेन में राज्यों की अपनी सरकारी स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी भी है। इन्हें राज्य कंट्रोल करते हैं।यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई के लिए जाने वाले बच्चों की पहली पसंद नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी रहती है। यूक्रेन में मेडिकल के दाखिले के लिए ये ध्यान रखना जरूरी होता है कि वो यूनिवर्सिटी भारतीय मेडिकल काउंसिल से मान्यता प्राप्त हो।

विदेश से मेडिकल की पढ़ाई खत्म करने के बाद बच्चों को भारत में फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन (FMGE) देनी होती है। इसे पास करने के बाद ही भारत में डॉक्टरी करने का लाइसेंस मिलता है और प्रैक्टिस की जा सकती है। 300 नंबर की इस परीक्षा को पास करने के लिए 150 नंबर लाने पड़ते हैं।

ये परीक्षा आसान नहीं होती। इसके लिए तैयारी की जरूरत पड़ती है।दिसंबर 2021 में विदेश से मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने वाले करीब 23 हजार बच्चों ने फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जामिनेशन दिया था। जिसमें सिर्फ 5,665 बच्चे ही इस परीक्षा को पास कर पाए थे।