सिंधिया की राह चल कर भी सिंहदेव छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार को अस्थिर नहीं कर सकते...

सिंधिया की राह चल कर भी सिंहदेव छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार को अस्थिर नहीं कर सकते...

रायपुर। टी एस सिंहदेव के बगावती तेवर से सत्ता के गलियारों में इस बात की चर्चा चल पड़ी है कि, क्या छत्तीसगढ़ की सरकार, मध्यप्रदेश की राह पर है! जिसे राजनैतिक विश्लेषक सिरे से खारिज करते हुए कहते हैं। फिलहाल इसका एक ही जवाब है। सिंधिया के राह चल कर भी सिंहदेव इस मुकाम को हासिल नही कर सकते। इसका सबसे बड़ा कारण विधायकों का बेजोड़ आंकड़ा है जो इस बात की इजाजत कतई नही देता की छत्तीसगढ़ में मध्यप्रदेश की तरह भी कभी हो सकता है।आज ऐसा बयान देकर सिंहदेव ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को और भी चौकन्ना कर दिया है। बगावत की ये बात यहीं खत्म नही हुआ बल्कि दिल्ली तक जा पहुंचा है। वैसे भी राहुल गांधी अनुशासन प्रिय हैं और निश्चित तौर पर हाईकमान के सामने भूपेश बघेल का इस वाकये के बाद अंक 20 ही हुआ है 19 नही।

छत्तीसगढ़ में एक तो सबसे बड़ा कारण ये है कि विपक्ष बहुत ही सीमित संख्या में सिमट कर रह गई है। पूरे विपक्ष को जोड़ भी लेते हैं तो आंकड़ा 20 तक पहुंचता है, ऐसे में 46 का आंकड़ा के लिए 26 विधायकों को कांग्रेस से तोड़ना होगा जो बहुत ही असम्भव है। ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह छत्तीसगढ़ के राजा सिंहदेव में ऐसी कोई लॉबी देखी नही गई कि  कांग्रेस के विधायक खुल कर उनकी पैरवी करें। बताया तो ये भी जा रहा है कि आज की स्थिति में सरगुजा अंचल के ही एकात को छोड़ दें तो राजा के साथ कोई विधायक साथ नही हैं। 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की राजनीति करने की शैली को भली भांति जानने वाले जानकारों का कहना है कि वे समय के साथ राजनीति को उसी के हिसाब से बदलने की काबिलियत रखते हैं और इसी का नतीजा है कि एक-दो को छोड़ भी दें तो पूरे के पूरे विधायक आज उनके साथ खुल कर खड़े हैं, जो जिस दिन जरूरत महसूस होगी हाईकमान के समक्ष उपस्थित हो कर अपनी मंशा जाहिर कर देंगे।

राजनीति को गहराई से समझने वाले बताते हैं। भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनते ही उनकी छसत्तीसगढ़ी स्थानीय कार्यशैली ने पार्टी के अंदर व पार्टी के बाहर विरोधी नेताओं को परेशान कर रख दिया। उनको ये लगने लगा कि भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की नब्ज को पकड़ लिया है और अब इस नेता को हटा पाना मुश्किल होगा।

वहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच यह बात भी खूब प्रचलित है कि बाबा कहीं मुख्यमंत्री बन जाते तो डॉ.रमन के लोग आज प्रदेश में राज करते रहते। हालिया घटनाक्रम इस बात के संकेत भी दे रहे हैं। मानो ऐसा लगता है कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ बैठक के बाद टी एस सिंहदेव अपना अधीकृत बयान जारी करते हैं।

भूपेश बघेल के कार्यप्रणाली व कार्यकर्ताओं की पूछ परख के चलते कांग्रेस के सभी कार्यकर्ता काफी हद तक खुश हैं और एक बात कहीं भी सभी के जुबान पर सुनी जा सकती है कि सही व्यक्ति को राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री बनाया। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण ये भी है कि संघर्ष के दिनों ये सभी कांग्रेस के लोग भूपेश बघेल के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े रहे। ये भी सच है कि सरकार गठन के बाद इस सरकार को अभी तक जितना भी काम करने समय मिला कम है और जो समय मिला भी वह सब पिछली सरकार के भ्रष्टाचार को जनता के सामने लाने व रमन सरकार द्वारा सरकारी खजाना खाली कर चले जाने के बाद आर्थिक स्थिति जो चरमरा गई थी को ठीक करने में बीत गया। इसके साथ-साथ लोकसभा चुनाव, पंचायत फिर नगरी निकाय के चुनाव और अब पिछले 3 माह से कोरोना काल ने सरकार  के पहिए को रोक सा लिया है।