मुख्यमंत्री गहलोत की कर्मचारियों के हित में एक घोषणा ने देश के सभी राज्यों के मॉडल को फेल कर दिया

मुख्यमंत्री गहलोत की कर्मचारियों के हित में एक घोषणा ने देश के सभी राज्यों के मॉडल को फेल कर दिया

जयपुर (राजस्थान)। कहा जाता है राज्य सरकारें यदि अपने कर्मचारियों को खुश रखती है तो यहीं से ही पचास फीसदी तय हो जाता है कि सरकार की वापसी तय है। इसी के अनुरूप राजस्थान की गहलोत सरकार ने आज बजट पेश करते समय राज्य में फिर से पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर ऐसा तीर चलाया है कि विपक्ष चारों खाने चित्त हो गई है। राजस्थान से मिल रही खबरों के मुताबिक वहाँ की कर्मचारियों में इस घोषणा के बाद जबरदस्त उत्साह है और संभावना व्यक्त की जा रही है कि बाकी राज्यों में भी ये बड़ा मुद्दा बनने वाला है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि हम सभी जानते हैं सरकारी सेवाओं से जुड़े कर्मचारी भविष्य के प्रति सुरक्षित महसूस करें, तभी वे सेवाकाल में सुशासन के लिए अपना अमूल्य योगदान दे सकते हैं। अतः 1 जनवरी 2004 और उसके पश्चात् नियुक्त हुए समस्त कर्मीकों के लिए मैं आगामी वर्ष से पूर्व पेंशन योजना लागू करने की घोषणा करता हूँ। गौरतलब हो कि देश के कई राज्यों में सरकारी कर्मचारी समय-समय पर अपनी मांगों को लेकर मुखर होते रहते हैं और सरकारी कर्मचारियों की मांग जब आंदोलन का रूप ले लेती है तो पूरी सरकार में इसके कामकाज को लेकर जबरदस्त प्रभाव देखने को मिलता है। कई राज्यों के कर्मचारी फिर से पुरानी पेंशन योजना बहाल करने के लिए लगातार सरकारों पर दबाव बना रहे हैं। इतना ही नहीं बल्कि केन्द्रीय कर्मचारियों को भी इसका इंतजार है।

आपको बता दें कि पुरानी पेंशन योजना में पेंशन के लिए वेतन से कोई कटौती नहीं होती है, जबकि एनपीएस में कर्मचारी के वेतन से 10 प्रतिशत (बेसिक$डीए) की कटौती की जाती है। पुरानी पेंशन योजना में जीपीएफ की सुविधा है। जबकि एनपीएस में जीपीएस की सुविधा को नहीं जोड़ा गया है। पुरानी पेंशन योजना एक सुरक्षित पेंशन योजना है जिसका भुगतान सरकार की ट्रेजरी के जरिए किया जाता है, जबकि नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है, जो कि बाजार के चाल के आधार पर ही भुगतान होता है। बाजार से मिलने वाले वेतन पर कोई गारंटी नहीं होती है। पुरानी पेंशन योजना ओपीएस में रिटायरमेंट के समय अंतिम बेसिक सैलरी के 50 फीसदी तक निश्चित पेंशन मिलती है जबकि नई पेंशन योजना में इसकी कोई गारंटी नहीं होती।

पुरानी पेंशन योजना में छः महिने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता (डीए) भी लागू होता है, जबकि नई पेंशन योजना में यह लागू नहीं होता। इसके साथ ही पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के बाद 20 लाख रूपये तक ग्रेच्युटी फंड मिलती है। जबकि वर्तमान में लागू नई पेंशन योजना में इसका अस्थाई प्रावधान है। सर्विस के दौरान मौत होने पर पुरानी पेंशन योजना में फैमली पेंशन का प्रावधान है, जबकि नई पेंशन योजना में जमा पैसे सरकार जब्त कर लेती है। वहीं टैक्स को लेकर सबसे बड़ा फायदा पुरानी पेंशन योजना में है जिसमें रिटायरमेंट पर जीपीएफ के ब्याज पर किसी प्रकार का इनकम टैक्स नहीं लगता। इसके साथ ही कोई निवेश भी नहीं करना पड़ता, जबकि नई पेंशन योजना के तहत् 40 प्रतिशत पैसा इनवेस्ट करना होता है। वहीं पुरानी पेंशन योजना में 40 प्रतिशत पेंशन कम्यूटेशन का प्रावधान है, जबकि नई पेंशन योजना में यह प्रावधान नहीं है। इन्हीं सब विसंगतियों को लेकर सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग को लेकर लंबे समय से सरकारों पर दबाव बना रहे थे। ऐसे समय में जब अगले वर्ष राजस्थान सहित अन्य पाँच राज्यों में चुनाव होने हैं मुख्यमंत्री गहलोत के आज की बजट घोषणा को ब्रह्मास्त्र के रूप में देखा जा रहा है।