पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी का टीएस सिंहदेव पर विश्वास बरकरार। राजस्थान राज्यसभा का चुनाव जिताने की दी जिम्मेदारी...

पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी का टीएस सिंहदेव पर विश्वास बरकरार। राजस्थान राज्यसभा का चुनाव जिताने की दी जिम्मेदारी...

नई दिल्ली। देश में कुल दो राज्यों में बची कांग्रेस की सरकार का भविष्य टीएस सिंहदेव और सचिन पायलट के रुख पर निर्भर है। यह बात अब कांग्रेस हाईकमान भली भांति जान चुकी है। हालांकि इसमें टीएस सिंहदेव की गतिविधियां कभी भी बगावती नहीं रही। बल्कि कांग्रेस की मजबूती के लिए वे विपरीत परिस्थितियों में भी प्रदेश भर का दौरा कर उन कमियों को दूर करने लगातार मेहनत कर रहे हैं,जिससे कि कांग्रेस की दुबारा सत्ता में वापसी के रास्ते बने रहें।जबकि सचिन पायलट कभी- कभी अपने बयानों और राजनीतिक गतिविधियों के माध्यम से इस बात का एहसास दिलाने पीछे नहीं रहते की उनकी नहीं सुनी गई तो राजस्थान में इतिहास को बदलने कोई रोक नहीं सकता। बहरहाल यह कांग्रेस हाईकमान का विश्वास है कि टीएस पर भरोसा कर उन्हें राज्यसभा चुनाव जिताने की जिम्मेदारी दी है,जिसमें तीन अहम किरदार जो गांधी परिवार के करीबी हैं,राजस्थान में उम्मीदवार हैं।

कांग्रेस के लिए राजस्थान राज्यसभा चुनाव के पूरे उम्मीदवार जीत पाने की चुनौती कठिन होते जा रही है। इन परिस्थितियों में कांग्रेस ने आज चुनाव पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर रास्ते को सरल करने का प्रयास किया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल और छत्तीसगढ़ के कांग्रेस के विश्वास का चेहरा टीएस सिंह देव को चुनाव पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी है। रविवार को पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पर्यवेक्षकों की सूची जारी की, जिसमें राजस्थान के लिए दोनों नेताओं को चुनाव पर्यवेक्षक बनाया गया है। माना जा रहा है कि टीएस सिंह देव और पवन बंसल जल्द ही राजस्थान आएंगे और उदयपुर में चल रहे कांग्रेस के बाड़ेबंदी में शामिल होंगे। राजस्थान राज्यसभा के चुनाव 10 जून को होने हैं। कांग्रेस ने पार्टी के अहम चेहरे रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी को यहाँ से अपना उम्मीदवार बनाया है। दोनों ही पर्यवेक्षक अगले एक-दो दिन में उदयपुर पहुंच कर कांग्रेस विधायक और समर्थित विधायकों को कैम्प में संबोधित करेंगे।

इस बीच राजस्थान में राज्यसभा चुनाव से पहले सियासी हलचल बढ़ती जा रही है। क्रॉस वोटिंग के डर से उदयपुर में कांग्रेस ने विधायकों की बाड़ेबंदी कर रखी है। इसी बीच पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट शुक्रवार शाम अचानक दिल्ली जो रवाना हुए अब तक दिल्ली में ही हैं।कांग्रेस की बड़ी मुश्किल जो बताई जा रही है, चार विधायक राजेंद्र गुढा, संदीयप यादव, वादिब अली और गिरिराज मलिंगा को लेकर है।ये चारों विधायक कांग्रेस की बाड़ेबदी में जाने के बजाय सरिस्का में टाइगर सेंचुरी में टाइगर सफारी का लुत्फ उठाते देखे गए हैं। एक और विधायक लाखन सिंह खटाना भी इनके साथ हैं।विधायक वाजिब अली का कहना है कि गहलोत सरकार में अफसरशाही हावी है। सीएम से कई बार अपने विधानसभा के लंबित काम पूरा करने के लिए अनुरोध किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। वाजिब अली ने कहा कि हमारे क्षेत्र में पीडब्ल्यूडी और अवैध खनन की बहुत शिकायतें थीं। मैंने खुद मुख्यमंत्री को इसे लेकर पत्र लिखा लेकिन पता नहीं वह चीजें कहां चली जाती हैं।

इधर बताया जा रहा है,सचिन पायलट दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर रणनीति बनाने में लगे हुए हैं। यह भी माना जा रहा है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पायलट को नाराज विधायकों को मनाने की रणनीति पर चर्चा कर पर्यवेक्षकों को भी इसकी जिम्मेदारी देने पर विचार कर रहे हैं। राजस्थान में कांग्रेस की चौथी सीट फंसी हुई दिखाई दे रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि सचिन पायलट को नाराज विधायकों को मनाने की अहम जिम्मेदारी दे कर पार्टी फिर से एक बार पायलट का महत्व समझ रही है।उल्लेखनीय है कि उदयपुर पहुंचने पर सचिन पायलट ने तीन सीट जीतने का दावा किया था। अब देखना ये होगा कि पर्वेक्षक के तौर पर टीएस सिंहदेव कितना सफल हो पाते हैं।