डॉ.रमन सरकार के तात्कालीन सेना के कारनामो का वायरल तस्वीरों का सच जो खूब चर्चा में है

रायपुर, इन दिनों तात्कालीन डॉ.रमन सरकार के तमाम मंत्री व खुद मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह के कारनामों की एक-एक घटना का जिक्र स्लोगन के साथ खूब वायरल हो रहा है। आइये उन भ्रष्टाचार की यादों को ताजा करने अतीत में चले चलते हैं।

डॉ.रमन सरकार के तात्कालीन सेना के कारनामो का वायरल तस्वीरों का सच जो खूब चर्चा में है
डॉ.रमन सरकार के तात्कालीन सेना के कारनामो का वायरल तस्वीरों का सच जो खूब चर्चा में है
डॉ.रमन सरकार के तात्कालीन सेना के कारनामो का वायरल तस्वीरों का सच जो खूब चर्चा में है
डॉ.रमन सरकार के तात्कालीन सेना के कारनामो का वायरल तस्वीरों का सच जो खूब चर्चा में है
डॉ.रमन सरकार के तात्कालीन सेना के कारनामो का वायरल तस्वीरों का सच जो खूब चर्चा में है
डॉ.रमन सरकार के तात्कालीन सेना के कारनामो का वायरल तस्वीरों का सच जो खूब चर्चा में है
डॉ.रमन सरकार के तात्कालीन सेना के कारनामो का वायरल तस्वीरों का सच जो खूब चर्चा में है

अघोषित रूप से '15 साल रमन सरकार का नारा रहा कि खाओ और खाने दो। जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए कहते थे कि न खाऊंगा न खाने दूंगा। भ्रष्टाचार, घोटाले और कमीशनखोरी के रमन सिंह सरकार के उन 15 सालों को कभी नहीं भूलेगा छत्तीसगढ़ और यहाँ की जनता।

राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में 36,000 करोड़ रुपये का कथित घोटाला सामने आया था। यह मामला 2015 में सामने आया था। छत्तीसगढ़ के एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा ने 12 फरवरी को नागरिक आपूर्ति निगम के कुछ बड़े अधिकारियों और कर्मचारियों के विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की। इस छापेमारी में करोड़ों रुपये, डायरी, कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज, हार्ड डिस्क और डायरी भी जब्त की गई थी।

इस मामले में नागरिक आपूर्ति निगम के कई अधिकारियों और कर्मचारियों को जेल भेज दिया गया था।

बिलासपुर जिले के ग्राम पेंडारी स्थित कैंसर अस्पताल में नवंबर 2014 में नसबंदी कराने वाली 13 महिलाओं की मौत हो गई थी। वहीं 53 अन्य गम्भीर रूप से बीमार हो गई थी. मामले में चकरभाठा पुलिस ने ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर और दवा सप्लाई करने वाली कम्पनी के खिलाफ अपराध दर्ज कर गिरफ्तार किया था।

शिक्षामंत्री केदार कश्यप की पत्नी की जगह किसी और महिला के परीक्षा देने का मामला सुर्खियों में रहा।

सरकारी जमीन पर बना रिसॉर्ट मंत्री की पत्नी सरिता अग्रवाल और बेटे अभिषेक अग्रवाल के नाम है। इस सरकारी जमीन का मालिकाना हक़ आखिर कैसे प्राइवेट व्यक्ति को सौंप दिया गया इसकी जांच राज्य के मुख्य सचिव ने की है। जांच में कहा गया है कि यह सरकारी जमीन गलत तरीके से मंत्री के परिजनों ने खरीदी। यह जमीन स्थानीय किसानों ने 2009 में नहर के निर्माण के लिए जल संसाधन विभाग को दान में दी थी।

इसके बाद जल संसाधन विभाग ने इस जमीन को वन विभाग को सौंप दिया था। लेकिन 2012 में गुपचुप ढंग से यह जमीन मंत्री के परिजनों के स्वामित्व में चली गई। जांच रिपोर्ट के बाद महासमुंद जिले के डीएम को इस जमीन की रजिस्ट्री शून्य करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए राजस्व विभाग को भी कहा गया है कि वो मंत्री के परिजनों के खिलाफ अदालत में केस दायर करे। हालांकि मंत्री अपने परिजनों के बचाव में आ गए हैं, उनकी दलील है कि यह जमीन उन्होंने कानूनी रूप से वास्तविक भूस्वामी से खरीदी है।

इस तरह के तमाम मामले के दोषी रहे डॉ. रमन के पूरी टीम की आज कल चर्चा जोरों पर है।

वायरल में ये बात खुल कर आ रही है कि भाजपा की जनविरोधी नीतियों के कारण किसानों, मजदूरों और कर्मचारियों के हर तबके के जीवन स्तर में गिरावट आई थी और प्रदेश में आर्थिक असमानता बढ़ी थी। जब भी इन तबकों ने अपनी जायज मांगों को लेकर आंदोलन किया है,

उन्हें गैर-लोकतांत्रिक तरीके से बर्बरतापूर्वक कुचला गया था।