ऑटो में सवारी कर लोकसभा की जमीन तलाश रहे शंकर साहू क्या कांग्रेस पार्टी में भाजपा के ईश्वर बन पाएंगे...!

ऑटो में सवारी कर लोकसभा की जमीन तलाश रहे शंकर साहू क्या कांग्रेस पार्टी में भाजपा के ईश्वर बन पाएंगे...!

रायपुर(छत्तीसगढ़)। रायपुर के जनमानस और मीडिया साथियों के बीच जब रायपुर लोकसभा को लेकर कांग्रेस पार्टी से शंकर लाल साहू की दावेदारी को लेकर चर्चा होती है तो वे इसे सहज ही स्वीकार करने तैयार नहीं होते हैं।उनका साफ कहना है,यह कांग्रेस जैसे पार्टी में संभव ही नहीं है।कांग्रेस के टिकट वितरण का इतिहास देखेंगे तो शायद ही ऐसा उदाहरण देखने को मिले जो लोगों को किसी ऐसे नाम को लेकर चौका सके जिसके बारे में कोई सोचा भी न हो।बावजूद आज कल रायपुर की गलियारों में एक नाम जो चर्चा का विषय बना हुआ है वह नाम शंकर लाल साहू का है।उनकी चुनाव लड़ने की ललक ने एक सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या यह नाम कांग्रेस पार्टी में भाजपा के ईश्वर साहू बन पायेगा!

सुबह सूर्य उदय के साथ ही शंकर साहू रोज तैयार हो कर रायपुर लोकसभा की उस जमीं को तलाशने निकल जाते हैं,जिस लोकसभा से कांग्रेस कई दशक से चुनाव जीती ही नहीं।भाजपा के रमेश बैस कई दशकों तक इस लोकसभा की पिच पर लंबी पारी खेलने के बाद जब पिछली लोकसभा में उनकी टिकट काट कर सुनील सोनी को दिया गया तो वे भी मोदी लहर में इस कदर जीत का अंतर तय कर ली कि वह सोनी के भी सोच के बाहर थी।इस बार कहा जा रहा है कि भाजपा किसी नए चेहरे को मौका देगी।वहीं कांग्रेस पार्टी की ओर से अभी तक ऐसा कोई बड़ा नाम खुल कर सामने नहीं आया है कि यह कहा जा सके कि अमूक व्यक्ति चुनाव लड़ेगा।इसका सबसे बड़ा कारण मोदी फेक्टर को माना जा रहा है तो हाल ही में हुए इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विधानसभा चुनाव में भाटापारा को छोड़ सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है।

कांग्रेस की राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहे और पार्टी के बड़े नेताओं की करीबियों में सुमार दिवंगत मेहतर लाल साहू अपने पूरे राजनैतिक जीवन काल में एक बार जिला पंचायत सदस्य भर रहे। उन्हें कभी विधानसभा का टिकट तक नहीं मिला, बावजूद कांग्रेस पार्टी के लिए वे अपने जीवनकाल के अंतिम समय तक काम करते रहे।अब उनके पुत्र शंकर लाल साहू इस आश में लगे हुए हैं कि कभी तो वो सुबह आएगी और नेताओं के चक्कर काट काट कर अपने लिए समर्थन जुटाने में लग गए हैं की उन्हें रायपुर लोकसभा से एक मौका मिल जाये।ताकि उनके पिता का नाम व अतीत में दफन उस कसक को पूरा कर सकें कि यह मौका बहुत पहले मिल जाना था।

शंकर लाल साहू बलौदाबाजार क्षेत्र से आते हैं और ऐसा भी नहीं कि वे हवा हवाई में इस जुगत में जुटे हैं।शंकर 2015 से 2020 तक निर्वाचित सरपंच रहे हैं और कांग्रेस की राजनीति में 1986 से हैं।सेवादल से लेकर संगठन की कई गतिविधियों में शामिल रह कर वे पार्टी के प्रति समर्पित रूप से काम करते रहे हैं।राजनीति में कोई गॉड फादर न होने की वजह से वे लो प्रोफाइल में रह कर काम करने में विश्वास रखते हैं।

आज भी उनके पास कोई गाड़ी घोड़ा नहीं है।एक ऑटो बुक कर उसी में सवारी कर उन सभी बड़े नेताओं तक पहुंच चुके हैं जो बड़े गाड़ी वाले नेता नहीं कर पाते।शंकर साहू में गजब का आत्मविश्वास है।मजाक में एक बार भी वे नहीं कहते कि वे चुनाव हार जाएंगे।उनको टिकट मिली तो जीत सुनिश्चित है कि बात कर मोदी लहर को भी ललकारने पीछे नहीं रहते। अपने पास धन का अभाव होने के बावजूद कहते हैं आर्थिक स्थिति कमजोर नहीं पड़ेगी।लोग स्वयं होकर उन्हें मदद करेंगे और वो अकेले हैं जो आज की स्थिति में भाजपा को शिकस्त दे सकने की क्षमता रखते हैं।