प्रमोद दुबे जिन्होंने लक्ष्मण सतपथी की मूर्ति स्थापित करने संकल्प लिया...मृत्यु के पूर्व बोल गए थे इस बार कांग्रेस की सरकार बनना तय...

प्रमोद दुबे जिन्होंने लक्ष्मण सतपथी की मूर्ति स्थापित करने संकल्प लिया...मृत्यु के पूर्व बोल गए थे इस बार कांग्रेस की सरकार बनना तय...

ब्रजेश सतपथी की कलम से-

रायपुर(छत्तीसगढ़)।अविभाजित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की राजनीति में कई दशकों तक एक अलग पहचान स्थापित कर छाए रहे पूर्व विधायक लक्ष्मण सतपथी की विशाल मूर्ति का अनावरण मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करकमलों में आज होने जा रहा है।रायपुर के पूर्व मेयर वर्तमान में निगम के सभापति प्रमोद दुबे ने इस बात की सुध ली और संकल्प लिया कि स्वर्गीय सतपथी के निवास के समीप चौक को उनके नाम के साथ ही उनको सदा के लिए जीवित रखने उनकी मूर्ती की स्थापना की जाय और आज उन्हीं के इस संकल्प को पूरा होते देख पूरा सतपथी परिवार उनका आभारी है।

लक्ष्मण सतपथी को आज की युवा पीढ़ी भले न उतना न जानती हो पर उनके समय काल में जिन्होंने उन्हें करीब से देखा व जाना आज भी उनके कई किस्से सुनाते-सुनाते थक जाया करते हैं। लक्ष्मण सतपथी पूरे परिवार के लिए वो पहचान थे कि आज भी कोई व्यक्ति जब जिक्र कर यह पूछता है कि आप लक्ष्मण सतपथी के परिवार से हैं?तो गर्व से मन भर जाता है।लक्ष्मण सतपथी जब तक जीवित रहे।अपने अंतिम सांसों तक एक शेर की तरह जिये।भय नाम की चीज तो शायद उनके जीवन काल में कभी था ही नहीं।जैसे वो राजनीति में दबंग थे वैसे ही वकालत में।उनसे जुड़े कई वकील रायपुर न्यायालय में घटित कई प्रकरण की कहानियां सुनाया करते हैं।प्रमोद दुबे चूंकि छात्र राजनीति के शिखर पर रहे तो वे लक्ष्मण सतपथी के व्यक्तित्व को भले भांति जानते थे।उनके इस पहल ने  राजनीति लाभ से परे प्रमोद दुबे की सोच को परिलक्षित करता है।उन्होंने लक्ष्मण सतपथी का मूर्ति स्थापित कर बता दिया है कि कांग्रेस के पूर्व दिग्गजों को जो अपनी राजनीतिक जीवन में अन्य से हट कर कैसे अपनी पहचान स्थापित की को कैसे जीवित रखा जाए।इतना ही नहीं उन्होंने इस पूरे क्षेत्र को नए स्वरूप में नवनिकरण कर जो कार्य किया है,पूरे वार्ड में उनकी प्रशंसा हो रही है।उन्होंने व्यक्ति विशेष की पहचान स्थापित की है।

लक्ष्मण सतपथी अपने राजनीतिक जीवन में बसना विधानसभा से दो बार विधायक रहे,पर क्षेत्र की जनता उन्हें पूर्व विधायक के रूप में कभी नहीं देखी बल्कि उनका वही दबदबा हमेशा बने रहा,जैसा विधायक रहते हुआ करता था।उनके पिता स्वर्गीय जयदेव सतपथी महान स्वतंत्रता सेनानी थे और रायपुर जिला कांग्रेस के कई बार अध्यक्ष रहे।आज भी पुराने कांग्रेस भवन की नाम पट्टिका में उनका नाम कई बार दर्ज देखा जा सकता है।लक्ष्मण सतपथी जब तक जीवित रहे अपने विधानसभा क्षेत्र बसना के गांव-गांव तक हर साल गाँधी सप्ताह पदयात्रा कर वहां के एक-एक समस्या का समाधान किया करते थे और उनके साथ इस यात्रा में सैकड़ों की संख्या में लोग साथ चला करते थे।पूरे क्षेत्र में शिक्षा के प्रचार प्रसार पर उनका विशेष ध्यान था और उन्होंने फुलझर सेवा समिति के माध्यम से कई स्कूल की शुरुआत कर एक मिशाल कायम की।जिसे अब आगे बढ़ाने का काम उनके सबसे छोटे भाई विद्याभूषण सतपथी कर रहे हैं।

लक्ष्मण सतपथी पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता विद्याचरण शुक्ल के काफी करीबी रहे।उन्होंने हर परिस्थिति में उनका साथ दिया यहां तक कि जब वीसी शुक्ल जनता दल में चले गए थे तो लक्ष्मण सतपथी भी उनके साथ कांग्रेस छोड़ दी और उस समय विधानसभा चुनाव भी जीते।बावजूद वे सार्वजनिक तौर पर कहा करते थे मैं वीसी शुक्ल का कट्टर समर्थक हूँ,पर इसे साबित करने मैं कभी उन्हें लेने एयरपोर्ट नहीं जाता।उनका बेबाकी बोल हमेशा चर्चा में बने रहता था और वे किसी भी सवाल का जवाब उसी अंदाज में त्वरित दिया करते थे।उनके विशाल व्यक्तित्व के सामने लोग इस बात पर घबराते थे कि कब क्या पूछ दें या क्या बोल दें।लक्ष्मण सतपथी ऐसे व्यक्ति थे जो अपने मन में कभी कोई बात दबा कर नहीं रखा करते थे, जो बोलना है सामने ही बोलने पर विश्वास करते थे।

मैं छात्र राजनीति में सक्रिय रहा तो उनके पोता के नाते उनके काफी करीब रहा और अक्सर मेरी उनसे राजनीति से जुड़े चर्चा हुआ करती थी।मेरी पत्नी भी कानून से जुड़े होने की वजह से लक्ष्मण सतपथी खुब पसंद करते थे।यह संयोग ही था कि जिस रात उनकी मृत्यु हुई उस दिन हम दोनों पति-पत्नी दिन भर उनके साथ रहे।घर पर आम पेड़ से खुद आम तोड़ कर हमको खिलाया तो हर पहलू पर चर्चा होते रही।मैंने उनसे पूछा था कि 2018 का चुनाव नजदीक है इस बार क्या होगा लगता है तो उन्होंने पूरे कॉन्फिडेंस के साथ कहा था,भूपेश बघेल जिस तरह से मेहनत कर रहे हैं,इस बार कांग्रेस की सरकार बनना तय है।तब जोगी अलग पार्टी बना चुके थे और उनके पक्ष में माहौल भी बन रहा था।बावजूद उन्होंने साफ कहा था यह सब, कुछ काम नहीं आने वाला।उस दिन लक्ष्मण सतपथी के पार्थिव शरीर का दर्शन करने तब कांग्रेस अध्यक्ष रहे भूपेश बघेल स्वयं घर पर आए थे।कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी उन्हें साथ लेकर आये थे और यह पूरा वाकया उसी दिन उनसे मैं चर्चा कर शेयर किया था।