महासमुंद संसदीय क्षेत्र की जनता को कांग्रेस के नए चेहरे का इंतजार!किसान नेता चंद्रशेखर शुक्ला को मौका मिला तो बाजी पलट सकते हैं...?
महासमुंद(छत्तीसगढ़)।छत्तीसगढ़ के महासमुंद संसदीय क्षेत्र का इतिहास रहा है कि आजादी के बाद अधिकतर चुनावों में यह सीट कांग्रेस के कब्जे में रही है और इस जीत वाले सूची में अधिकांश बार ब्राम्हण प्रत्याशी को ही यहाँ की जनता ने आशीर्वाद दिया है।प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री अजित जोगी साल 2004 के चुनाव में कांग्रेस से जीत हासिल की थी,इसके बाद साल 2009 से यह संसदीय सीट भाजपा के कब्जे में है। इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले आठ विधानसभा क्षेत्र में इस बार 18 लाख से भी ज्यादा मतदाता अपना मताधिकार का प्रयोग करेंगे। महासमुंद लोकसभा सीट में आठ विधानसभा क्षेत्र, महासमुंद ,सराईपाली ,बसना ,खल्लारी ,राजिम ,धमतरी ,कुरुद ,बिंद्रानवागढ़ शामिल हैं।जिसमें आधे सीटों पर आज भी कांग्रेस का कब्जा है।
इस बार क्षेत्र की जनता इस इंतज़ार में लगी है कि क्या कांग्रेस पार्टी किसी नए चेहरे को मौका देगी और ऐसा हुआ तो कोई आश्चर्य नहीं कि कांग्रेस फिर से एक बार इस लोकसभा में कब्जा कर सकती है।इस सूची में किसान नेता और महासमुंद में पले बड़े बहुत ही मिलनसार नेता चंद्रशेखर शुक्ला का नाम सबसे ऊपर है।लोगों की इस बार जन आकांक्षा है कि चंद्रशेखर शुक्ला को पार्टी कहीं उम्मीदवार बनाती है तो वही एक प्रत्याशी हैं जो इस बार बाजी पलट सकते हैं।
कांग्रेस की राजनीति में लम्बे समय से सक्रिय किसान नेता चंद्रशेखर शुक्ला का नाम इस संसदीय क्षेत्र में हर किसी के जेहन में है।चंद्रशेखर शुक्ला प्रदेश कांग्रेस कमेटी में प्रभारी महामंत्री के तौर पर बेहतरीन काम कर चुके हैं।इसके पहले कांग्रेस जब 2018 के विधानसभा चुनाव को लेकर संघर्ष कर रही थी,शुक्ला किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे और वे इस दौरान जिस जिम्मेदारी के साथ किसानों की मांगों व समस्या को लेकर सड़क की लड़ाई लड़ी उन्हें एक जन नेता के तौर पर स्थापित कर दिया।आज भी उसे वे बखूबी निर्वहन कर रहे हैं। महासमुंद संसदीय क्षेत्र में कई बार के सांसद रहे कांग्रेस के दिग्गज विद्याचरण शुक्ल के वे बहुत ही करीब रहे।उनके संसदीय कार्यकाल में चंद्रशेखर शुक्ला लगातार साथ में पूरे क्षेत्र का दौरा कर अपनी पहचान बनाई और वे इस क्षेत्र के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हैं। इसलिए भी की उनकी स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा के प्रथम पायदान तक महासमुंद में ही हुआ। ऐसे में जब नए चेहरे और युवा नेताओं को जनता पसंद कर रही है, तो निश्चित तौर पर चंद्रशेखर शुक्ला का नाम उन चेहरों में से एक है जो चुनाव जितने की क्षमता रखते हैं।
प्रदेश में महासमुंद लोकसभा सीट की पहचान उस निर्वाचन क्षेत्र के तौर पर की जाती है, जहां से दिग्गज कांग्रेसी नेता विद्याचरण शुक्ल ने अपने राजनैतिक करियर की शुरुआत की थी। बतौर सांसद अपने 9 कार्यकाल में से उन्होंने अपने पहले चुनाव समेत 6 चुनाव महासमुंद से ही जीते। 2004 में जब उन्होंने बीजेपी में शामिल होने के लिए कांग्रेस छोड़ दी और वे इसी निर्वाचन क्षेत्र में लौटकर आए तो कांग्रेस के अजीत जोगी से चुनाव हार गए।बता दें कि 1952 से अब तक 17 चुनाव में 11 बार कांग्रेस तो 6 बार विपक्षी दलों की जीत हुई है।अब फिर से आम चुनावों का आगाज हो चुका है।अब कभी भी चुनाव आचार संहिता लग सकती है।इसके साथ ही दोनों राजनीतिक पार्टीयों से प्रत्याशियों के नाम सुनाई देने लगे हैं।5 साल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार सत्ता में रहने के बाद अब भाजपा की साय सरकार काबिज है।नई सरकार के अल्प समय का लेखा जोखा का भी इस आम चुनाव में हिसाब किताब होगा।जनता जनार्दन कब क्या जनादेश दे जाए कोई नहीं जानता।पर यहां के लोग मानते हैं कि कांग्रेस के चंद्रशेखर शुक्ला महासमुंद लोकसभा के लिए एक उपयुक्त व दमदार प्रत्याशी हो सकते हैं।