राहुल गांधी ने मौजूदा हालातों में देश हित के लिए निडर हो कर कैसे लड़ा जाए सब को सीखा दिया...

राहुल गांधी ने मौजूदा हालातों में देश हित के लिए  निडर हो कर कैसे लड़ा जाए सब को सीखा दिया...

लेखक:-ब्रजेश सतपथी

भारत में आज यदि किसी राजनेता की चर्चा रोज हो रही है तो वह नाम राहुल गांधी का है।साल 2004 में जब इन्होंने राजनीति में सक्रिय होने की ठानी तो शायद उस समय के मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी को इस बात का अंदाजा था कि यह नौजवान एक दिन उनके लिए मुसीबत खड़ा कर सकता है और एक सोची समझी रणनीति के तहत शुरुआती दिनों से ही राहुल गांधी की एक ऐसी छबि गढ़ने की ठान ली थी कि लोग इन्हें गंभीरता से न लें,पर समय काल के साथ-साथ विपक्ष की यह रणनीति विफल होते गई और आज केन्द्र की मोदी सरकार व पूरे बीजेपी के लिए राहुल गांधी एक चुनौती बन गए हैं।राहुल गांधी को विफल साबित कर देश के सामने कमजोर करने जो कुछ किया जा सकता है,मोदी सरकार ने वह सब कुछ किया।अपने गलत मंसूबे व इरादे को कानूनी परत चढ़ा कर लोकसभा की सदस्यता तक को छीन लिया गया।पर राहुल गांधी एक पल के लिए झुके नहीं बल्कि पूरे कांग्रेस को उन्होंने निडर हो कर लड़ना सीखा दिया।

आज देश के नवजवानों को राहुल गांधी से सीख लेनी चाहिए,की वे सत्ता पक्ष के नकारात्मक राजनीति के भंवर में भी किस तरह से निडर हो कर देश हित में काम कर रहे हैं।भाजपा के  लिए राहुल गांधी मीम बनाने का सबसे पहला चेहरा हैं और इसके लिए पूरी की पूरी बीजेपी एक रणनीति के तहत करोड़ों रुपये खर्च कर एक समानांतर मंत्रालय गठित के भांति अभियान चला रही है। बावजूद क्या आपने कभी गौर से सोचा है कि राहुल गांधी कितने मजबूत हैं। इस व्यक्ति ने बचपन से लेकर अब तक जीवन के वो डरावने हादसे देखे हैं।जिसकी कल्पना मात्र से शरीर सिहर जाए। बचपन में दादी की हत्या, किशोरावस्था में पिता की हत्या।जिनका शव तक नसीब न हो सका और उसके बाद सारी मीडिया, विपक्षियों द्वारा दिन-रात उसकी छोटी-छोटी बातों को मॉर्फ करके जनता के बीच उसे नकारात्मक साबित करने की कोशिश करना। सारी प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार के मंत्रियों द्वारा सिर्फ राहुल का नाम लेकर उसे नासमझ, अपरिपक्व, और गलत साबित करने की कोशिश करते रहना।

कभी उन पर केस, कभी ED औऱ CBI द्वारा लगातार 56 घंटे तक सवाल पूछना, ट्विटर और फेसबुक पर IT सेल द्वारा राहुल के खिलाफ गलत नैरेटिव सेट करना, उनकी सदस्यता रद्द करना। ऐसे कई चीजें हैं जो काफी है एक इंसान को टूटने के लिए। लेकिन शायद दृढ़ निश्चय और माँ के संस्कार ऐसे हैं कि राहुल कभी टूटे नहीं।बल्कि और भी मजबूत होते गए।उनका आत्मविश्वास और भी बढ़ता गया वो मुस्कुराये तब भी जब मेहनत करने के बाद हार मिली। वो मुस्कुराते हुए हर जगह दिखे,तब भी जब उनकी इमेज ऐसी बनाई गई की जनता उसे बीजेपी की नजर से देखे तो गलत के आगे कुछ न समझ सके।

राहुल गांधी का मतलब बीजेपी की नजर में सामान्य हो सकता है,पर एक अच्छा पढ़ा-लिखा आदमी जो देश विदेश की यूनिवर्सिटी से डिग्री कर के आया है, जिसे मार्शल आर्ट में महारत है, जो पानी के अदंर भी घंटों रह सकता है, जो प्लेन उड़ा सकता है। जो इकोनॉमी पर बात कर सकता है, रघुराम राजन का इंटरव्यू ले सकता है, जिसे जितनी अच्छी हिंदी आती है उतनी अच्छी इंग्लिश आती है। जो मीडिया के हर सवाल का बेबाकी से सामना करता है। प्रेस कॉन्फ्रेंस करता है।देश विदेश की हर नीति का अच्छा ज्ञान रखता है,जो सच को सच व गलत को गलत बोलने का साहस के साथ अपना तर्क त्वरित दे सकता है।

तो फिर ऐसे व्यक्ति से क्या पूरी मोदी सरकार व उसकी पार्टी डर गई है जो हजार करोड़ों रूपये लगाकर गलत साबित किया जाता है। बावजूद राहुल हार मनना नहीं सीखा। वो बापू के विचारों पर चलने में विश्वास रखते हैं, पूरे देश को जोड़ने के लिए पैदल मीलों चलते हैं, मीडिया, जनता, सरकार मजाक उड़ाती है। फिर भी वो चलते जाते हैं और प्यार की मशाल लिए, नफरत को हराते हुए। लोग जुड़ते चले जाते हैं उन पर विश्वास भी करते हैं लेकिन प्रायोजित मीडिया सरकार फिर मजाक उड़ाती है कि राहुल कुछ भी कर ले अंत में हारेगा। पर वो कहते हैं मैं चुनाव हार जाऊँ कोई फर्क नहीं।मुझे अयोग्य साबित करने पूरी ताकत लग जाये पर मैंने लोगों के दिलों को जीता है। मुझे फर्क नहीं पड़ता कि जनता दुनिया सरकार मुझे क्या कहती है। लड़ने की हिम्मत है। हार से कुछ सीखने का जज्बा है। बस यही चाहिए जिंदगी में।आज राहुल जीत गए सिर्फ वो नहीं हर वो शख्स जीता है जिसने हार को जीत में बदलने का सपना देखा है।