उत्तर प्रदेश में गौ हत्या पर होगी दस साल की सजा, 5 लाख जुर्माना, कैबिनेट की बैठक में अध्यादेश को मंजूरी
उत्तर प्रदेश सरकार गौ हत्या से जुड़े अपराधों को रोकने लिए अब और सख्त सजा का प्रावधान करने जा रही है। इसके तहत प्रदेश में गौ हत्या करने वालों पर 10 साल की सजा और 5 लाख के जुर्माने का प्रावधान है । इसके लिए योगी सरकार गो-वध निवारण (संशोधन) अध्यादेश-2020 लाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई है। इस विधेयक को अब दोनों सदनों से पास कराया जाएगा, जिससे यह कानून पूरे प्रदेश मे लागू हो जायेगा, इसका मकसद गौ हत्या जैसे घटनाओं व गोवंश से जुड़े अपराधों को पूरी तरह रोकना है।
गौ-हत्या करने पर अब दस साल की सजा
जो कोई धारा -3, धारा-5 या धारा-5 ‘क’ के उपबन्धों का उल्लंघन करता है या उल्लंघन करने का प्रयास करता है या उल्लंघन करने के लिए दुष्प्रेरित करता है, वह तीन साल से दस साल की सजा पाएगा। साथ ही जुर्माना तीन लाख से पांच लाख तक होगा। अगर एक बार दोष सिद्ध होने के बाद पुन: अपराध करते पाया गया तो उसे दोहरे दंड से दंडित किया जाएगा। ऐसे अपराधों के अभियुक्तों का नाम, फोटोग्राफ, उसके निवास स्थल पर प्रकाशित किया जाएगा।
गोमांस निकला तो चालक एवं वाहन मालिक पर होगी सख्त कार्रवाई
अगर किसी सक्षम प्राधिकारी या प्राधिकृत प्रयोगशाला द्वारा गोमांस की पुष्टि हुई तो वाहन चालक, और वाहन स्वामी पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। अगर यह सिद्ध होता है कि परिवहन के साधन की समस्त सावधानियों के होते हुए और उसकी जानकारी के बिना अपराध में प्रयुक्त परिवहन के साधन का इस्तेमाल अपराध करने के निमित्त किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किया गया है। तो इस दायरे से बाहर होगा।
बरामद गाय के भरण-पोषण का खर्चा देना होगा
जो गाय बरामद होंगी और उनके गोवंश के भरण-पोषण पर व्यय की वसूली अभियुक्त से एक वर्ष की अवधि तक अथवा गाय या गोवंश को निर्मुक्त किए जाने तक, जो भी पहले हो, स्वामी के पक्ष में की जाएगी।
गोवंशीय पुशओं को नुकसान पहुंचाने पर तीन लाख तक जुर्माना
गोवंशीय पशुओं को अगर किसी तरह की कोई शारीरिक क्षति होती है तो उनके जीवन को संकट में डालने अथवा उनका अंग-भंग करने और गोवंशीय पशुओं के जीवन को संकट में डालने वाली परिस्थितियों में परिवहन किए जाने पर अब तक दंड नहीं था। अब यह अपराध करने पर एक से 7 वर्ष तक कारावास हो सकता है। जुर्माना एक लाख से तीन लाख तक हो सकता है।
सरकार का कहना है कि उत्तर प्रदेश गोवध निवारण अधिनियम-1955 की धारा-8 में गोकशी की घटनाओं के लिए 7 वर्ष की अधिकतम सजा का प्राविधान है। उक्त घटनाओं में शामिल लोगों की जमानत होने के मामले बढ़ रहे हैं। गोकशी की घटनाओं से जुड़े अभियुक्तों द्वारा न्यायालय से जमानत प्राप्त होने के बाद दोबारा ऐसी घटनाओं में संलिप्त होने के प्रकरण सामने आए हैं।