लोकसभा चुनाव: बृजमोहन अग्रवाल के मैदान में उतरने के बाद कांग्रेस के पास अब सिर्फ दो ही विकल्प...! पढ़िए पूरी खबर

लोकसभा चुनाव: बृजमोहन अग्रवाल के मैदान में उतरने के बाद कांग्रेस के पास अब सिर्फ दो ही विकल्प...! पढ़िए पूरी खबर

रायपुर(छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ की राजनीति में चाहे वह कोई भी राजनीतिक पार्टी हो उसमें एकमात्र नाम बृजमोहन अग्रवाल का लिया जाता है। जिनको अजय योद्धा के रूप में जाना जाता है। लगातार चुनावों में जीत हासिल कर अपनी सक्रियता बरकरार रखने वाले इस नेता के कद का शायद ही कोई नेता हो जो अपनी स्थिति को इस तरह संजोए रख सका हो।बहरहाल बृजमोहन अग्रवाल को रायपुर जैसे प्रतिष्ठित सीट से लोकसभा का उम्मीदवार बनाये जाने के बाद कांग्रेस को अपनी रणनीति में परिवर्तन करने की जरूरत है, ताकि हार के अंतर को कम किया जा सके।इसके लिए कांग्रेस के पास अब दो ही विकल्प शेष बचता है।

छत्तीसगढ़ में कुल 11 लोकसभा सीटों में से रायपुर लोकसभा वह सीट है जिसके अंतर्गत 9 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इसमें वर्तमान समय में मात्र भाटापारा ही एकमात्र विधानसभा क्षेत्र है,जहां से कांग्रेस जीती है।अन्य सभी विधानसभाओं में भाजपा की जीत हुई ऐसे में निश्चित तौर पर कांग्रेस के लिए इस लोकसभा को जीत हासिल कर पाना चुनौती तो है ही उसके साथ ही भाजपा ने जिस तरह से सबसे कद्दावर नेता और एक अजय योद्धा के रूप में पहचाने जाने वाले बृजमोहन अग्रवाल को चुनावी मैदान में उतारा है इससे यह सीट कांग्रेस के लिए और भी चुनौती पूर्ण हो गई है।

हालांकि यह भी सच है की छत्तीसगढ़ में विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को अपेक्षाकृत सीट तो मिलती है परंतु लोकसभा के चुनाव में आज तक संतोषजनक सीट नहीं मिल पाई है,हर बार एक या दो सीटों में ही कांग्रेस को संतुष्ट होना पड़ता है। रायपुर लोकसभा तो वह सीट है जहां कई दशकों से कांग्रेस को सफलता नहीं मिल सकी है। जबकि इस सीट से प्रभावशाली नेताओं ने कांग्रेस पार्टी की टिकट पर किस्मत आजमा चुके हैं ऐसे में इस बार इस सीट को कैसे जीता जाए एक सोचनीय विषय है। भाजपा के बृजमोहन अग्रवाल हमेशा शहरी क्षेत्र से ही चुनाव जीते हैं ऐसे में पहली बार उन्हें जब लोकसभा में उतारा गया है तो यह वह समय होगा जब उन्हें ग्रामीण अंचल से भी वोट हासिल करने की जरूरत पड़ेगी। इस स्थिति का लाभ निश्चित रूप से कांग्रेस उठा सकती है।

भाजपा से बृजमोहन अग्रवाल को लोकसभा में उतारे जाने के बाद अब कांग्रेस के पास सिर्फ दो ही विकल्प बचते हैं या तो वह बृजमोहन अग्रवाल के कद का कोई कद्दावर नेता को उनके मुकाबले में खड़ा कर दे या फिर ऐसे व्यक्ति को टिकट दे दी जाए जो बहुत ही लो प्रोफाइल का हो, जिसमें दो ही नाम सामने आते हैं कद्दावर नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एक मात्र नेता हैं जो बृजमोहन को टक्कर दे सकते हैं,तो लो प्रोफाइल के दावेदारों में एकमात्र नेता शंकर लाल साहू हैं। इन हालातो में संदेश यह जाएगा की बृजमोहन अग्रवाल के समक्ष नेता के तौर पर भूपेश बघेल हैं जो छत्तीसगढ़ की जनता के बीच अपनी गहरी पैठ रखते हैं वहीं शंकर लाल साहू के मैदान में उतरने से लोगों को यह लगेगा कि गरीबी और अमीरी के बीच की लड़ाई है।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की लोकप्रियता निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ के लोगों के बीच है उन्होंने मुख्यमंत्री रहते जो स्थानीयता को लेकर काम किया। किसानों के हित को लेकर काम किया। मजदूरों के हित को लेकर काम किया निश्चित तौर पर इसका उन्हें इस चुनाव में लाभ मिलेगा और सबसे बड़ी बात रायपुर लोकसभा के अंतर्गत ग्रामीण अंचल का एक बड़ा भाग आता है जहां भूपेश बघेल के मुकाबले बृजमोहन अग्रवाल कमजोर पड़ सकते हैं। दूसरे विकल्प के रूप में बहुत ही लो प्रोफाइल के नेता और साहू समाज को प्रतिनिधित्व करने वाले शंकर लाल साहू है जिनके चुनाव लड़ने से यह संदेश जाएगा की इस लोकसभा में एक अमीर और गरीब के बीच की लड़ाई है जिसका सबसे ज्यादा फायदा ग्रामीण अंचल के वोटरों से मिलेगा।