सोनिया गांधी के कथन को चरितार्थ करने वाले प्रदेश में सबसे कम उम्र के युवा कांग्रेस नेता विकास उपाध्याय को चिंतन शिविर में भाग लेने का मौका। विधायक समर्थकों में खुशी का माहौल

सोनिया गांधी के कथन को चरितार्थ करने वाले प्रदेश में सबसे कम उम्र के युवा कांग्रेस नेता विकास उपाध्याय को चिंतन शिविर में भाग लेने का मौका। विधायक समर्थकों में खुशी का माहौल

रायपुर(छत्तीसगढ़)। चिंतन शिविर के ठीक पहले CWC की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा दिया गया ये कथन-

"अब पार्टी का कर्ज उतारने का समय आ गया है और ऐसे में नि:स्वार्थ भाव व अनुशासन के साथ काम करना होगा। पार्टी को फिर से मजबूत करने के लिए जादू की कोई छड़ी नहीं है। पार्टी ने हमेशा सबका भला किया है, अब समय आ गया है कि कर्ज को पूरी तरह चुकाया जाए।"

सोनिया गांधी,कांग्रेस अध्यक्ष

अपने आप में कई मायने रखता है। आइये इसे ऐसे समझते हैं।सोनिया गांधी ने कहा,अब पार्टी का कर्ज उतारने का समय आ गया है। निश्चित तौर पर इसका जीवंत उदाहरण छत्तीसगढ़ के कांग्रेस युवा विधायक विकास उपाध्याय का है। जिसे आगे और विस्तार करते हुए सोनिया गांधी बोलती हैं,ऐसे में नि:स्वार्थ भाव व अनुशासन के साथ काम करना होगा। यह भी विकास उपाध्याय के पूरे कार्यप्रणाली व दिनचर्या में साफ-साफ दिखाई देता है। विकास उपाध्याय जब कांग्रेस सत्ता से दूर थी तब भी जनता के साथ रोड़ पर उतर कर संघर्ष करते नजर आते थे और आज उनकी पार्टी सत्ता में है तब भी संघर्ष करते ही दिखाई देते हैं। कोई ये नहीं कह सकता कि सरकार के ऐशोआराम में लीन हो गए हैं। अर्थात पार्टी का कर्ज तब भी उतारते थे और अब भी क्योंकि उन्हें यह मालूम है कि पार्टी है तो वे हैं।इसीलिए तो कांग्रेस का एक बड़ा युवा वर्ग मानता है कि कांग्रेस की सत्ता में वापसी के एक मुख्य किरदार विकास उपाध्याय भी रहे हैं।

जिस नि:स्वार्थ भाव व अनुशासन के साथ काम करने की बात सोनिया गांधी बोल रही हैं।यह बात भी विकास उपाध्याय में कुटकुट कर भरा है।बल्कि वे एकमात्र विधायक हैं,जिनको इसी भाव के साथ 15 वर्षों तक संघर्ष कर रह उन लोगों,उन कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की भलीभांति पहचान भी है।जिनका सुध लेना वे कभी नहीं भूलते। और तो और उनको पहचान देने ऐसे कार्यकर्ताओं की नाम पट्टिका तक लगवा रहे हैं।विकास उपाध्याय की इस तरह का काम करने की शैली ही निराली है।अनुशासन प्रिय विकास उन लोगों से शक्त नफरत करते हैं जो अपने स्वार्थ के लिए कांग्रेस और सत्ता का उपयोग करते हैं।उनका प्रयास इसी बात को लेकर लगी रहती है कि कांग्रेस का जो सच्चा सिपाही है। जिनकी कांग्रेस की सत्ता में वापसी के संघर्ष की कहानी में योगदान रहा है।उनको उसका उचित इनाम मिले।

सोनिया गांधी ने कहा,पार्टी को फिर से मजबूत करने के लिए जादू की कोई छड़ी नहीं है।इसे सिर्फ मेहनत और लोगों के बीच काम कर ही मजबूत किया जा सकता है। सामान्यतः देखने को ये मिलता है कि कोई एक बार चुनाव जीत गया तो राजा बन गया की सोच आ जाती है। आराम से 12 बजे से 1 बजे तक लोगों से मिलो और उसके बाद और कब कोई ठिकाना नहीं। ऐसे में काम अब नहीं चलने वाला। विकास उपाध्याय की तरह लोगों से सतत संपर्क ही जरूरी है।जादू दिखा कर बार-बार उन्हीं से लाभ नहीं ले सकते और न ही जनता इतनी बेवकूफ है कि निष्क्रिय को मौका देगी।जो काम करेगा वही जनता के बीच राज करेगा।

सोनिया गांधी ने उन कांग्रेस के लोगों को भी याद दिलाने की कोशिश की है और कहा है,पार्टी ने हमेशा सबका भला किया है, अब समय आ गया है कि कर्ज को पूरी तरह चुकाया जाए।कोई विधायक,मंत्री,मुख्यमंत्री, राज्यपाल और न जाने संगठन स्तर पर कितने बड़े-बड़े पद पर इस पार्टी ने कांग्रेस के लोगों को अपनी पहचान दी। पर आज समय संकट का है। कांग्रेस पूरे देश में सिमटते जा रही है। कांग्रेस के उन नेताओं को फिर से एक बार जोर लगाने की जरूरत है। विकास उपाध्याय सरीके विभिन्न प्रदेशों में कई नेता होंगे जो आज कम उम्र में भी बड़े ओहदे पर हैं। इसके पीछे कांग्रेस पार्टी है। निश्चित तौर पर ये कम उम्र के नेता वही कर रहे हैं जो सोनिया गांधी बोल रही हैं।तभी तो विकास उपाध्याय जैसे एक मात्र नेता वो भी सबसे कम उम्र के उस चिंतन शिविर में भाग लेने जा रहे हैं जहाँ। देश भर के 422 लोग और छत्तीसगढ़ से मात्र 5 लोग शामिल होंगे।