यूँ ही कोई सब का चहेता नही बन जाता...। इस विधायक के समर्पण को देख कई सामाजिक लोगों के हाथ मजदूरों के लिए आगे बड़े।

रायपुर, कहते हैं जो दिल से लोगों की मदत करता है उसे प्रचार की जरूरत नही पड़ती। बल्कि लोगों का समूह उस व्यक्ति के अच्छे कार्यो को देख खुद ही उसे ढूंढते वहाँ पहुँच जाती है, ठीक यही आज कल रायपुर के टाटीबंध चौक में रोज क्षेत्रीय विधायक विकास उपाध्याय के साथ घटित हो रहा है। एकत्र हो रहे हजारों मजदूरों के बीच कोई न कोई संस्था, मदत करने वाले लोग एक के बाद एक रोज यहाँ विधायक विकास उपाध्याय का इस बात के लिए इंतजार में रहते हैं कि उनके हाथों इन मजदूरों को आज कुछ बंटवाना है।

यूँ ही कोई सब का चहेता नही बन जाता...। इस विधायक के समर्पण को देख कई सामाजिक लोगों के हाथ मजदूरों के लिए आगे बड़े।
यूँ ही कोई सब का चहेता नही बन जाता...। इस विधायक के समर्पण को देख कई सामाजिक लोगों के हाथ मजदूरों के लिए आगे बड़े।

रायपुर, कहते हैं जो दिल से लोगों की मदत करता है उसे प्रचार की जरूरत नही पड़ती। बल्कि लोगों का समूह उस व्यक्ति के अच्छे कार्यो को देख खुद ही उसे ढूंढते वहाँ पहुँच जाती है, ठीक यही आज कल रायपुर के टाटीबंध चौक में रोज क्षेत्रीय विधायक विकास उपाध्याय के साथ घटित हो रहा है। एकत्र हो रहे हजारों मजदूरों के बीच कोई न कोई संस्था, मदत करने वाले लोग एक के बाद एक रोज यहाँ विधायक विकास उपाध्याय का इस बात के लिए इंतजार में रहते हैं कि उनके हाथों इन मजदूरों को आज कुछ बंटवाना है।

पूरे देश में कुछ ही दिनों में ही छत्तीसगढ़ का रायपुर टाटीबंध चौक का नाम अचानक से ही  राष्ट्रीय पटल पर चर्चा में आ गया है।इसलिए नही कि यहाँ अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का कोई दौरा है। बल्कि इसलिए कि देश को सही मायने में गढ़ने और उसे आर्थिक दिशा देने में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले उन मजबूर अप्रवासी मजदूरों का जमावड़ा है जो देश के कई प्रान्तों से आ कर पिछले कई दिनों से यहीं बसर कर रहे हैं और अपने आपको सुरक्षित भी। इस चौक पर इन मजदूरों को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व्यक्तिगत रूप से रुचि के साथ पूरी संवेदनशीलता के साथ वो तमाम सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं,जो इन मजदूरों को उनको अपने घर पर नही मिल सकता साथ ही उनके गंतव्य तक सुरक्षित पहुँचने की पूरी जिम्मेदारी भी। कहा जाता है किसी अच्छे जनप्रतिनिधि की पहचान उसके अच्छे कार्यो से की जाती है न कि दिखावे के बैनर पोस्टर या बाहरी आडंबर से और इस बात की पहचान आज इस चौक में देखी जा रही है, क्षेत्रीय विधायक विकास उपाध्याय के रूप में जो मानो पूरे इस चौक को अपने आगोस में ले लिए हों, प्रतीत होता है। लगता है, पिछले कई दिनों से यही इनका स्थाई रूप से घर हो गया हो और इनके इस समर्पण को देख रायपुर के दानदाताओं ने भी अपने आप को रोक नही पा रहे हैं। प्रतिदिन कोई न कोई समुदाय इस बात का इंतजार करते रहता है की विधायक जी समय दे देते तो कोई सामान को उनके हाथों बंटवा देते कभी चप्पल लेकर कोई आ रहा है तो कोई गमछा तो कोई दूध का भंडार इस पूरे मिशन को अंजाम देने जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी मंशा जाहिर की तो सबसे पहले विकास उपाध्याय ही मैदान में उतर कर बढ़ चढ़ कर इन मजदूरों के लिए हाथ आगे बढ़ाया और उनके भोजन की व्यवस्था कर कई बस व ट्रकों का इंतजाम कर झारखंड से लेकर बिहार के बॉर्डर तक इन अप्रवासी मजदूरों को पहुंचाने की शुरुआत की और जैसे जैसे समय बितते गया इन अप्रवासी के साथ प्रवासी मजदूरों की संख्या बढ़ते गई। सरकार की ओर से राहत कैम्प की तरह कई स्टाल लग गए जहाँ भोजन,पानी फल, दवाई के साथ साथ लस्सी, मठा और वो सारी सुविधाएं जो एक बड़े होटलों में मिलता है, वो सारी चीजें भरपूर मात्रा में इन मजदूरों को दी जा रही है। मजदूरों के ठहरने बड़े बड़े पेन्डाल बनाया गया है, विधायक जी को पता चला यहाँ मच्छर बहुत हैं तो आज पूरे क्षेत्र को सेनेटराइज कर खुद फॉग मशीन चला कर राहत देने की कोशिश की। वाकई यह चौक अब कोरोना काल के लिए युगों युगों तक याद किया जाएगा।