पुरन्दर मिश्रा के लिए उनके राजनीतिक सफर में यह साल क्यों है इतना अहम? बसना में आज ऐतिहासिक स्वागत के क्या है मायने...

पुरन्दर मिश्रा के लिए उनके राजनीतिक सफर में यह साल क्यों है इतना अहम? बसना में आज ऐतिहासिक स्वागत के क्या है मायने...

रायपुर(छत्तीसगढ़)।भाजपा के नवनियुक्त विधायक पुरन्दर मिश्रा अपने लम्बे राजनीतिक सफर में इस प्रयास में हमेशा लगे रहे कि वे महासमुंद जिला के अंतर्गत आने वाले बसना विधानसभा का नेतृत्व करें।परंतु पार्टी ने उन्हें बसना से पिछले कई चुनावों में एक बार भी उम्मीदवार नहीं बनाया।बावजूद उन्होंने कभी पार्टी लाइन से हट कर बगावती तेवर नहीं दिखाए।बल्कि वे यहां से विधायक न होते हुए भी जनता की सेवा में इस कदर समर्पित रहे कि यहां की  जनता पिछले 20 वर्षों तक यह भूल गई थी कि उनका विधायक कोई और है!

इस तरह बसना विधानसभा का पूरा क्षेत्र भाजपा मय होते चला गया। पुरन्दर मिश्रा सामान्य बोल चाल में अक्सर यह बोला करते थे कि उन्हें पार्टी से टिकट मिला तो उनकी जीत सुनिश्चित है।पर हंस कर यह भी बोलने नहीं चूकते थे कि उन्हें टिकट मिले जब न! और देखिए उनकी किस्मत कहें या धैर्य की परीक्षा इस बार के चुनाव में उन्हें जब कर्म भूमि बसना के बजाय अपने धर्म भूमि रायपुर उत्तर से मैदान में उतार दिया गया,तो उन्होंने यह युद्ध भारी मतों से जीत कर साबित कर दिया कि वे चुनाव जीतना जानते हैं।इस तरह प्रदेश की राजनीति में पुरन्दर मिश्रा का नाम उस श्रेणी में भी जुड़ गया जो अपने क्षेत्र के इतर भी चुनाव जीत सकने की क्षमता रखते हैं।

बसना और सरायपाली क्षेत्र वह इलाका है जो पुरन्दर मिश्रा का कर्म क्षेत्र रहा है।राजधानी रायपुर में निवास करने के बावजूद पिछले दो दशक से सप्ताह में 3 से 4 दिन का समय वे इस क्षेत्र को देते रहे और वे ऐसा कर इस पूरे क्षेत्र में अपनी जमीन मजबूत करने के साथ ही बीजेपी को भी और मजबूत करते रहे। पूरे अंचल में सघन दौरा, पदयात्रा कर भाजपा की विचारधारा को दूरस्थ अंचल तक पहुंचाने लगे रहे यही वजह है कि इस विधानसभा से एक बार भाजपा तो एक बार कांग्रेस जीतते रही।इस बार हुए विधानसभा के चुनाव में वे रायपुर उत्तर विधानसभा से प्रत्याशी बनाये जाने की वजह से पिछले कई महीनों से उनका बसना क्षेत्र में जाना अवरुद्ध सा हो गया था।जबकि पुरन्दर मिश्रा का बसना से एक तरह से भावनात्मक जुड़ाव रहा है। आज जब वे विधायक के रूप में बसना क्षेत्र में पहुंचे तो  मानो वहां के लोगों को ऐसा महसूस हुआ उनका वर्षों का सपना साकार हो गया और हजारों की संख्या में लोग उनके स्वागत में रोड़ पर उतर आए।जगह-जगह ऐतिहासिक स्वागत के साथ उनका अभिवादन किया गया।लग रहा था जैसे विधानसभा के परिणाम आज ही आये हों।

भाजपा की ऐतिहासिक जीत से लेकर सत्ता में वापसी को लेकर विधायक पुरन्दर मिश्रा का मानना है, चुनाव एक युद्ध है, ये केवल एक चुनावी जुमला नहीं है। इस युद्ध के दो सबसे बड़े योद्धा नरेंद्र मोदी और अमित शाह हैं जो इस पर अमल भी करते हैं। पुरन्दर मिश्रा आगे कहते हैं,प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में पार्टी केवल हिंदुत्व के भरोसे न रहकर, उम्मीदवारों का चयन करते समय जाति, उप-जाति, सामाजिक संरचना और निर्वाचन क्षेत्रों की दूसरी बारीकियों पर भी गहराई से गौर करके रणनीति तैयार करती है और भाजपा के जीत का यही गुरुमंत्र भी है।इसीलिए भाजपा का प्रत्येक कार्यकर्ता आज गर्व से दावा करती है कि सदस्यता के हिसाब से यह विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है।उनका मानना है पार्टी के जीत का यह सिलसिला अब कभी रुकने वाला नहीं है।मिश्रा का मानना है अगर आप चुनाव से छह महीने पहले अपने एसी कमरों से निकलेंगे, लोगों के पास जाएंगे तो आप चुनाव नहीं जीत पाएँगे। अगर आप चुनाव जीतना चाहते हैं तो आपको लगातार काम करते रहना पड़ेगा।