जगदीप धनखड़ की एकतरफा जीत। होंगे देश के नए उपराष्ट्रपति

जगदीप धनखड़ की एकतरफा जीत। होंगे देश के नए उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली।शनिवार को हुए उपराष्ट्रपति के चुनाव में कुल 725 वोट पड़े। इनमें से जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले। जबकि विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 182 वोट मिले।इस जीत के बाद जगदीप धनखड़ भारत के 16वें उपराष्ट्रपति होंगे। 

मौजूदा उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को ख़त्म हो रहा है।ऐसे में देश के नए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ 11 तारीख़ को शपथ लेंगे।विदित हो कि भारत का उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक पद होता है। भारत के उपराष्ट्रपति राज्य सभा के सभापति भी होते हैं।राजस्थान जिले के झुंझुनू के किठाना गाँव में 18 मई, 1951 को जन्मे जगदीप धनखड़ ने बंगाल के राज्यपाल का कार्यभार 30 जुलाई, 2019 को संभाला था।पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनने के बाद से ही उनका राज्य सरकार और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के साथ विभिन्न मुद्दों पर टकराव का जो सिलसिला शुरू हुआ, वो हाल में महुआ मोइत्रा के 'काली विवाद' तक जारी रहा।

धनखड़ की शुरुआती पढ़ाई (कक्षा एक से पाँच तक) गाँव के ही सरकारी स्कूल में हुई। उसके बाद, उन्होंने स्कॉलरशिप हासिल करके चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में दाख़िला लिया। धनखड़ ने जयपुर के प्रतिष्ठित महाराजा कॉलेज से बीएससी (ऑनर्स) की डिग्री हासिल की। उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से ही क़ानून (एलएलबी) की पढ़ाई की. पढ़ाई में वे हमेशा अव्वल रहे। धनखड़ ने वर्ष 1979 में राजस्थान बार काउंसिल की सदस्यता ली। 27 मार्च, 1990 को वे सीनियर एडवोकेट बने।उसी समय से धनखड़ सुप्रीम कोर्ट में भी प्रैक्टिस करते रहे। वे 1987 में राजस्थान हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी चुने गए।

धनखड़ का राजनीतिक करियर वर्ष 1989 से शुरू हुआ। उस वर्ष वे भाजपा के समर्थन से जनता दल के टिकट पर झुंझुनू से लोकसभा चुनाव लड़े और जीत कर पहली बार संसद पहुंचे। वे केंद्र में मंत्री भी रहे। जनता दल के विभाजन के बाद वो पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के खेमे में चले गए। लेकिन जनता दल से टिकट न मिलने पर बाद में वो कांग्रेस में चले गए।उन्होंने अजमेर से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार गए। उसके बाद वर्ष 2003 में वे बीजेपी में शामिल हो गए। वर्ष 1993 से 1998 के बीच वे अजमेर की किशनगढ़ विधानसभा से विधानसभा के सदस्य रहे। लोकसभा और विधानसभा के अपने कार्यकाल के दौरान वे कई अहम समितियों के सदस्य रहे।